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अब वाराणसी के सुभासपा विधायक ने कहा मुख्यमंत्री जी जिंदा हूं, मगर बहुत शर्मिदा हूं

सरकार, कहने को तो मैं आपके सहयोगी दल सुभासपा का विधायक हूं, मुझे प्रेाटोकाल नहीं मिलता।

By Edited By: Published: Wed, 23 May 2018 10:13 AM (IST)Updated: Wed, 23 May 2018 01:41 PM (IST)
अब वाराणसी के सुभासपा विधायक ने कहा मुख्यमंत्री जी जिंदा हूं, मगर बहुत शर्मिदा हूं
अब वाराणसी के सुभासपा विधायक ने कहा मुख्यमंत्री जी जिंदा हूं, मगर बहुत शर्मिदा हूं

वाराणसी [जेपी पांडेय]। सरकार, कहने को तो मैं आपके सहयोगी दल सुभासपा का विधायक हूं, मगर सुरक्षा कर्मी मुझे कोई तवज्जो नहीं देते। सामान्य लोगों की तरह मुझे प्रवेश द्वार पर रोक देते हैं। कहने पर भी जिला प्रशासन मेरी बातों को गंभीरता से नहीं लेता है। सरकार जिंदा हूं, लेकिन ऐसी स्थितियों से बहुत शर्मिदा हूं। ये पीड़ा है प्रदेश सरकार की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अजगरा विस क्षेत्र से विधायक कैलाश सोनकर की।

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प्रोटोकाल के तहत तवज्जो न मिलने पर उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर दर्द बयां किया है। शासन ने जिलाधिकारी से मामले में रिपोर्ट मांगी है। डीएम ने एडीएम सिटी को मामले की जांच का निर्देश दिया है। विधायक कैलाश सोनकर ने 20 जनवरी को सीएम को पत्र लिखकर कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस से आपको काफी लगाव है। आपका यहां आना लगा रहता है। इस दौरान एयरपोर्ट समेत अन्य स्थानों पर आपसे मिलने नहीं दिया जाता।

सभी जगह सुरक्षाकर्मी रोक देते हैं। जबकि सहयोगी दल होने के नाते प्रोटोकाल के तहत प्रशासन को आपसे से मिलने वालों की सूची में मुझे भी शामिल करना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। ऐसे में अनुरोध है कि एयरपोर्ट पर आपका स्वागत करने वालों की सूची में मेरा नाम भी शामिल किया जाए। पत्र में विधायक ने कहा है कि अन्य स्थानों पर भी कार्यक्रमों में उन्हें रोक दिया जाता है। उनके पत्र को गंभीरता से लेते हुए गत 27 फरवरी को ही मुख्यमंत्री के विशेष कार्यकारी अधिकारी अभिषेक कौशिक ने डीएम योगेश्वर राम मिश्र से मामले की जांच व आवश्यक कार्रवाई की अपेक्षा की है।

विधायक के पत्र पर ऐसी गंभीरता तो जनता का क्या होगाः मुख्यमंत्री व विधायकों के पत्रों को जब जिला प्रशासन गंभीरता से नहीं ले रहा तो आम जनता का क्या होगा। विधायक का पत्र शासन से होते हुए पांच माह के बाद अप्रैल में बनारस पहुंचा। शासन का पत्र आए करीब एक माह बीत जाने के बाद भी जिला प्रशासन ने उसे गंभीरता से नहीं लिया। डीएम के आदेश के बाद शासन से आए पत्र पर क्या कार्यवाही हुई इसके बारे में किसी को मालूम नहीं है।


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