संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में दुर्लभ पांडुलिपियों व वेधशाला को देख भाव विभोर हुए राज्यमंत्री
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के सरस्वती भवन पुस्तकालय में दुर्लभ पांडुलिपियों व वेधशाला को देख उत्तराखंड के उच्च शिक्षा राज्यमंत्री धन सिंह रावत भाव विभोर हो गए। इस दौरान कुलपति कक्ष में उन्होंने संवत 2078 का महामहोपाध्याय श्रीबापूदेव शास्त्री पंचांग का विमोचन किया।
वाराणसी, जेएनएन। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के सरस्वती भवन पुस्तकालय में दुर्लभ पांडुलिपियों व वेधशाला को देख उत्तराखंड के उच्च शिक्षा राज्यमंत्री धन सिंह रावत भाव विभोर हो गए। इस दौरान कुलपति कक्ष में उन्होंने संवत 2078 का महामहोपाध्याय श्रीबापूदेव शास्त्री पंचांग का विमोचन किया। वह बुधवार को मुख्य रूप से दुर्लभ पांडुलिपियों को देखने सरस्वती भवन पुस्तकालय अाए थे।
पुस्तकालय में उन्होंने एक हजार साल पुरानी हस्तलिखित श्रीमद्भागवत तथा देश की प्राचीनतम पांडुलिपियां कमावाचा व रास पंचाध्यायी (सचित्र) स्वर्णाक्षरयुक्त देख सरहना की। इसके अलावा वह मुद्रित पुस्तकालय, वेधशाला का भी अवलोकन किया। इस क्रम में पुस्तकालय के मुद्रित प्रभार में भी गए। यहां उन्होंने कंप्लीट फार शेक्सपियर नामक दुर्लभ पुस्तक देखी। कहा कि काशी मे स्थित यह परिसर देवभूमि है, यहां से संस्कृत-संस्कृति एवं संस्कार के संगम की धार प्रवाहित होकर सम्पूर्ण विश्व वांगमय को अपने आलोक से आलोकित करता है। आज मेरे जीवन का यह प्रहर सार्थक हो रहा है। अध्यक्षता करते हुए हुए कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने कहा कि विश्वविद्यालय 145 वर्षों से लगातार पंचांग प्रकाशित कर रहा है। यह पंचांग देश के अन्य पंचांगों से अलग है। ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष एव पंचांग के संपादक प्रो. अमित कुमार शुक्ल ने कहा कि इस पंचांग के द्वारा ही राज्य सरकार द्वारा व्रत पर्वों का निर्धारण किया जाता है। इसे बहुत ही सूक्ष्मता से गणितीय शुद्धता को ध्यान रखते हुए बनाया जाता है। धन्यवाद ज्ञापन डा. राजा पाठक ने किया। इस मौके पर पुस्तकालयाध्यक्ष डा. सूर्यकांत, कुलसचिव राज बहादुर, प्रो. राम पूजन पांडेय, प्रो. हरिप्रसाद अधिकारी, प्रो. सुधाकर मिश्र, चीफ प्रॉक्टर प्रो. आशुतोष मिश्र, डा. मधुसूदन मिश्र सहित अन्य लोग उपस्थित थे।