सेहत : दूध हमेशा अमृत ही नहीं होता, समझबूझ कर ही करें प्रयोग, तभी मिलेगा लाभ
जब कभी भी संपूर्ण भोजन की बात होती है तो इसमें सबसे पहले दूध का नाम सामने आता है।
वंदना सिंह, वाराणसी : जब कभी भी संपूर्ण भोजन की बात होती है तो इसमें सबसे पहले दूध का नाम सामने आता है। दूध में प्रोटीन, विटामिन ए, बी 1, बी 2, विटामिन डी, पोटेशियम और मैग्नीशियम आदि बहुत से जरूरी तत्व होने की वजह से इसे सबसे ज्यादा पोषक माना जाता है।
शाकाहारी लोगों के लिए दूध को इसीलिए पूर्ण आहार माना जाता है क्योंकि इसमें प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट और वे सारे विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं जो एक अच्छे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। दूध में मौजूद इतने सारे न्यूट्रीशनल और पाचक गुण होने की वजह से इसे आयुर्वेद में एक अलग ही स्थान दिया गया है।
सामान्यतया दूध मधुर, चिकना, ओज एवं रस आदि धातुओं को बढ़ाने वाला, वात पित्त कम करने वाला, वीर्य को बढ़ाने वाला, कफकारक, भारी और शीतल होता है। मगर आयुर्वेद के अनुसार दूध से स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए सबसे पहले यह जानना है कि किस दूध जानवर का कैसे और कब पीना चाहिए।
आयुर्वेद के आचार्यो ने मुख्य रूप से 8 प्रकार के दुग्ध का उल्लेख किया है जिसमें गाय, भैंस, बकरी, ऊंटनी, घोड़ी, हथिनी, गधी और मां के दूध पर विशेष वर्णन मिलता है। इन आठों में से स्त्री यानी मा का दुग्ध सर्वोत्तम बताया गया है। इसके बाद गाय और बकरी के दुग्ध को अधिक फायदेमंद बताया है।
कौन से दूध का क्या गुण होता है इसके बारे में जानते हैं राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय के कायचिकित्सा और पंचकर्म विभाग के डा. अजय कुमार से- गाय के दुग्ध का गुण : गाय का दुग्ध सभी जानवरों के दुग्ध में सर्वश्रेष्ठ होता है। इसमें जीवनीय शक्ति और ओज को बढ़ाने वाले सभी गुण होते हैं। भैंस का दुग्ध : इसमें गाय के दुग्ध से अधिक वसा होती है और पचाने में भारी और अधिक शीतप्रकृति का होता है। इसके पीने से अधिक निद्रा आती है और अधिक भूख लगने की बीमारी में इससे अधिक लाभ होता है। अधिक वजन वाले लोगों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। बकरी का दुग्ध : इसका दुग्ध थोड़ा मीठा और कसैला होता है। शीघ्र पच जाता है और डायरिया, राजयक्ष्मा में बहुत ही फायदेमंद होता है। छोटे बच्चों जिनके मा को दुग्ध नहीं होता उन्हें गाय के दूध के बदले बकरी का दुग्ध लाभ पहुंचता है। अन्य दूध : ऊंटनी, घोड़ी और गधी का दूध भी अलग अलग रोगों में फायदेमंद होता है लेकिन आसानी से उपलब्ध नही होता है। अब बात करते है सिर्फ गाय के दूध की। गाय का मतलब सिर्फ देशी गाय से है न कि हाइब्रिड गाय से। जहा तक अल्लोपथ या साइंस की मानें तो दुग्ध केवल दुग्ध होता है लेकिन आयुर्वेद के अनुसार एक ही देशी गाय का दुग्ध भी अलग अलग कारणों से अलग अलग गुण वाला हो जाता है। जानते हैं कैसे- किस समय का कौन सा दुग्ध लेना चाहिए : सुबह निकाला गया दूध भारी, अधिक शीतल होता है। यानी इसका पाचन बहुत देर से होता है और कब्ज करता है इसलिए अगर डायरिया का रोगी है तो इसमें सुबह का दुग्ध बढि़या होता है।
शाम को निकाला गया दूध सारक होता है अर्थात कान्सि्टपेशन के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है और इसका पाचन आसानी से हो जाता है। सुबह का कच्चा दूध जिसे उबला नहीं गया है तो अभिष्यंदी और भारी होता है जिससे पेट में भारीपन और अपच की शिकायत हो सकती है। मगर इसी दूध को उबाल देने से इसका भारीपन कम हो जाता है जो पीने पर नुकसान नहीं करता है।
अगर दूध को बहुत अधिक देर तक उबाल दिया जाए तो भी यह भारी हो जाता है। इसलिए इसे बहुत अधिक देर तक नहीं उबाल कर पीना चाहिए। वजन बढ़ाना हो तो यह दूध लाभदायक होता है। किसके साथ दूध का सेवन नही करना चाहिए-
1. केले को दूध के साथ नहीं इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि दूध के साथ केला मिलकर अत्यधिक शीत और भारी हो जाता है और इसकी वजह से सर्दी, खासी, जुखाम, एलर्जी और स्किन पर चकत्ते पडऩे लगते हैं। 2. दूध को मछली के साथ नहीं लेना चाहिए। 3. दूध को अम्ल द्रव्यों यानी खट्टी चीजों के साथ नहीं सेवन करना चाहिए । ऊंटनी का दूध : पूरे शरीर में सूजन और एडिमा यानी पैरों के सूजन को दूर करता है। साथ ही पाइल्स में लाभदायक है। घोड़ी का दूध हाथ पैरों के दर्द में, जोड़ों के दर्द में आराम देता है साथ ही शरीर में ताकत बढ़ाता है। इसका स्वाद खटटा और नमकीन होता है। भेड़ का दूध : पहाड़ी लोग ज्यादा पीते हैं और उनका शरीर इसका आदी हो जाता है लेकिन सामान्य लोग इसका दूध पीएंगे तो उन्हें अस्थमा की शिकायत हो सकती है। कुल मिलाकर यह दूध आदत और वातावरण पर निर्भर करता है।