Coronavirus मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत है या नहीं, बताएगा मेडिपॉर्ट, बीएचयू के छात्रों ने विकसित की तकनीक
आइआइटी व आइएमएस बीएचयू के छात्रों ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे न सिर्फ कोरोना मरीजों की स्थिति का आकलन किया जा सकेगा बल्कि उनकी जान भी बचाई जा सकेगी।
वाराणसी [मुहम्मद रईस]। आइआइटी व आइएमएस बीएचयू के छात्रों ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे न सिर्फ कोरोना मरीजों की स्थिति का आकलन किया जा सकेगा, बल्कि उनकी जान भी बचाई जा सकेगी। छात्रों द्वारा संचालित स्टार्टअप मेडिपॉर्ट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) तकनीक की मदद से कोरोना संक्रमित मरीजों की स्थिति का जायजा लेकर वेंटिलेटर की जरूरत का पूर्वानुमान लगाने में सक्षम है। संस्थान के पुरातन छात्रों के सहयोग से अमेरिकी कंपनी फेनो एमएक्स व साउथ कोरियाई अस्पतालों के साथ संयुक्त शोध के बाद मेडिपॉर्ट द्वारा तैयार प्रोटोटाइप मरीजों की जांच रिपोर्ट का स्मार्ट तरीके से विश्लेषण कर सकता है। इससे चिकित्सक एवं रोगी दोनों को फायदा होगा।
मेडिपॉर्ट के सीईओ शुभम जैन व मेडिकल एडवाइजर डा. अमन देव के मुताबिक देश में कोरोना संकट और वेंटिलेटर की कमी को देखते हुए हमने इटली व स्पेन जैसे देशों के मरीजों के डाटा का अध्ययन किया। इसके बाद एआइ तकनीक के माध्यम से मॉडल विकसित किया गया। इसकी साइट पर मरीज की ब्लड रिपोर्ट की जानकारी फीड करते ही कोरोना संक्रमित को भविष्य में वेंटिलेटर की जरूरत है या नहीं इसका पता लगाया जा सकता है। पूरी तरह निश्शुल्क वेंटिलेटर प्रेडिक्टर कोरोना से जंग में देश व समाज के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसमें यूएसए के गिरीश श्रीनिवासन सहित आइआइटी-बीएचयू के जय धनवंत, मंथन जैन, अकुल गुप्ता व सूरज सैनी ने सदस्य के रूप में सहयोग किया है।
वेलनेस ट्रैकिंग सिस्टम पर चल रहा काम
वर्तमान में मरीजों के अधिकांश मेडिकल रिपोर्ट काफी जटिल होती है। मेडिपॉर्ट एक ऐसा प्लेटफार्म विकसित कर रहा जिससे इन रिपोर्ट को सरल जानकारी में आसानी से बदला जा सकता है। एआइ टेक्नोलॉजी पर आधारित इस प्लेटफॉर्म का उपयोग डॉक्टर, लैबकर्मी व मेडिकल स्टाफ द्वारा मरीज आधारित चिकित्सा में किया जा सकता है। रोगियों को शिक्षित करने और भविष्य में उनके साथ साझा करने के लिए इन स्मार्ट एवं ऑटोमेटेड रिपोर्ट का उपयोग किया जा सकता है। मेडिपॉर्ट अमेरिकी कंपनी फेनो एमएक्स के साथ मिलकर आमजन के लिए वेलनेस ट्रैकिंग सिस्टम विकसित करने पर भी काम कर रहा है। इसके अलावा मेडिपॉर्ट अपनी वेबसाइट पर शरीर को बेहतर तरीके से जानने व स्वस्थ जीवन जीने के सुझावों को शामिल करने पर भी कार्य कर रहा है।
पहला रिस्क प्रेडिक्टर बनाने का दावा
टीम मेडिपॉर्ट का दावा है कि उन्होंने जिओ, ओपोलो एवं देश की अन्य नामी कंपनियों से पहले ही कोरोना रिस्क प्रेडिक्टर बना लिया था। अत्याधुनिक तकनीक से लैस यह रिस्क प्रेडिक्टर आपके लक्षणों का विश्लेषण करके आपको कोरोना संक्रमण की आशंका को बताने में सक्षम है। इसके लिए पर जाकर व्यक्ति अपने स्वास्थ्य से संबंधित कुछ मामूली जानकारी फीड कर सहजता से कोरोना संक्रमण के प्रति रिस्क से अवगत हो सकता है।