वाराणसीः पर्यटकों को लुभाती हैं गंगा की लहरें इसलिए गंगा का वैभव लौटाएं
सरकार के साथ ही आम लोगों को भी आगे आना होगा, जिस दिन ईमानदारी से ठान लेंगे कि गंगा नदी में एवं घाटों पर गंदगी नहीं फैलाएंगे तो स्थिति स्वयं सुधर जाएगी।
काशी पौराणिक शहर है। देश-दुनिया के लिए प्रमुख आकर्षण के केंद्र यहां के घाट हैं। गंगा की लहरें भी पर्यटकों एवं दर्शनार्थियों, स्नानार्थियों को लुभाती हैं। जरूरी है इको टूरिज्म का विकास, इसको बढ़ावा देने से ही काशी एवं घाटों का सौंदर्य बरकरार रहेगा और बेहतर भी होगा।
सरकार के साथ ही आम लोगों को भी आगे आना होगा, जिस दिन ईमानदारी से ठान लेंगे कि गंगा नदी में एवं घाटों पर गंदगी नहीं फैलाएंगे तो स्थिति स्वयं सुधर जाएगी। बस इसके लिए इच्छा शक्ति की जरूरत है, काशी यूं ही मुस्कुराती रहे इसके लिए जरूरी है कि बड़े पत्ते वाले पेड़ लगे और डीजल और पेट्रोल युक्त वाहनों और जनरेटर का संचालन बंद किया जाए। इससे हमारी और पर्यावरण की भी सेहत दुरूस्त रहेगी।
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अर्धचंद्राकार घाटों के बारे में चिंतन जरूरी
सर्वप्रथम गंगा के अर्धचंद्राकार घाटों के बारे में सरकार और लोगों को चिंतन करने की जरूरत है, ताकि घाटों का स्वरूप बेहतर हो सके। इसके लिए अस्सी नदी को पुर्नजीवित करना होगा, डिस्चार्ज की समस्या से छुटकारा मिले।
ऑक्सीजन के लिए सोचना होगा
काशी का सौंदर्य बेहतर हो यह तो होना ही चाहिए, इसके साथ ही सबसे जरूरी है जीवन। जीवन का सौंदर्य नहीं बिगड़े इस पर भी ध्यान देना होगा। जीवन चलाने के लिए ऑक्सीजन जरूरी है, लेकिन इसकी कोई चिंता नहीं कर रहा है। विकास के नाम पर अंधाधुंध वृक्ष कट रहे हैं और पौधरोपण के नाम पर बस खानापूर्ति की जा रही है। जरूरी है कि चौड़ी पत्ती वाले वृक्ष खासकर पीपल और बरगद को लगाया जाए। अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाने से काशी का सौंदर्य भी बढ़ेगा और पर्यावरण की सेहत भी सुधरेगी।
शहर में चले सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन
शहर का सौंदर्य धूमिल न हो इसके लिए शहर में सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन ही चलने की अनुमति दी जाए। डीजल-पेट्रोल से चलने वाले वाहनों पर रोक लगाने से ही काशी का स्वरूप और अच्छा होगा। अब प्रशासन को चाहिए कि विरोध-प्रदर्शन को दरकिनार सख्ती से अतिक्रमण हटाए।
निर्बाध हो बिजली सप्लाई, बंद हो जनरेटर
काशी में निर्बाध रूप से 24 घंटे बिजली सप्लाई की व्यवस्था की जाए। ताकि जनरेटर नहीं चले। शहर में जनरेटर पर सख्ती से रोक लगाने की जरूरत है। गली-मोहल्लों एवं बाजार में जनरेटर चलने से तमाम विषैली गैस निकलती है। सबसे घातक हैं कि घनी आबादी होने के कारण यह गैस ऊपर नहीं पहुंच पाती और लोगों के सांस के रास्ते फेफड़े में पहुंचती है, इससे बीमारियां घर कर रही हैं। निरंतर बिजली सप्लाई और जनरेटर पर रोक लगाने से शोरगुल से बचा जा सकता है।
गंगा में भी बंद हो मोटरबोट
नदी में मोटर वोट के कारण गंगा और भी दूषित हो रही है। तत्काल प्रभाव से मोटर वोट के संचालन पर रोक लगाई जाए। इसकी जगह सोलर वोट चलाई जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसके लिए पहल की थी। बावजूद इसके आज गंगा में सोलरबोट नहीं चल रहे हैं।
- लेखक बीएचयू में प्रोफेसर और राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार हैं।