जहां दिखता है खुला मेनहोल वहां जाकर बनाते हैं 'लैंड मार्क', हजारों लोग जुड़े अभियान से
पुलिस व स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से और मजबूत बनाना होगा। उनके मन में इतनी मजबूती भरनी होगी कि वे महज पुलिस के भरोसे पर शहर में न रहें।
विजय उपाध्याय, वाराणसी
बनारस की बड़ी समस्या जाम है जो कालजयी रूप धारण करती जा रही है। लोगों को समझ में नहीं आ रहा कि आखिर यह समस्या दूर होगी कैसे और कब। शायद इन दोनों सवालों का जवाब किसी अफसर के पास नहीं है, यदि जनता प्रयास में जुट जाए तो शायद समस्या जरूर दूर हो जाएगी। इसकी बानगी बीएचयू के छात्र बिट्टू कुमार के प्रयास से दिख भी रहा है।
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एक सोच सैंडबाक्स के लीडर बिट्टू बताते हैं कि अक्सर देखने में आता है कि सीवर का ढक्कन ऊपर नीचे होता है। कई जगह सीवर बहता रहता है जिससे समझ में नहीं आता कि उसके ऊपर से वाहन गुजर सकता है या नहीं, इसके चलते चार पहिया वाहन तो पार हो जाते हैं मगर उनके पीछे आने वाले बाइक सवार, साइकिल सवार व राहगीर फंस जाते हैं।
इससे लोग कई बार गंभीर चोटिल भी हो जाते हैं। वह बताते हैं एक बार मैं रामनगर की ओर दोस्त के साथ बाइक पर जा रहा था। तभी सीवर के मेनहोल की चपेट में आने से हम लोग गिर पड़े। दोस्त का हाथ फ्रैक्चर हो गया जबकि मैं भी चोटिल हो गया। तभी ठान लिया ऐसा किया जाएगा जिससे कि लोग सुरक्षित हो सके।
इसके बाद हम लोग मेनहोल वाले जगहों पर लैंड मार्क बनाना शुरू कर दिया। उसके दोनों ओर एरो बना देते हैं जिससे कि लोगों को पता चल जाता है कि किधर से आने पर वे सुरक्षित यात्रा कर सकते हैं। यह प्रयास आज बेहतर होने लगा है। उनकी मुहिम से हजारों युवा जुड़ चुके हैं। इसे और व्यापकता प्रदान किया जाएगा।
रही बात बनारस में यातायात को मुहिम दिन में चलाना भी बेहद मुश्किल होता है इसलिए रात में हम सभी साथी मिलकर प्रयास करते हैं। अभियान में अब सात राज्यों के लड़के काम करने लगे हैं। यह तो हो गई सामान्य सुरक्षा की मगर अपराध के मामलों में कमी लाने के उद्देश्य से हमें और कुछ करना होगा। इसके लिए महिलाओं व बच्चों को सेल्फ डिफेंस के लिए मजबूत बनाना होगा।
उन्हें पुलिस व स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से और मजबूत बनाना होगा। उनके मन में इतनी मजबूती भरनी होगी कि वे महज पुलिस के भरोसे पर शहर में न रहें। खुद वे इतना मजबूत है कि कुछ भी कर सकते हैं। इसके लिए सरकार, शासन या फिर पुलिस का मुंह नहीं देखना होगा।
शहर की तमाम संस्थाएं व सामाजिक कार्यकर्ता है उन्हें भी प्रयास करना होगा।
वास्तव में बनारस को आगे लाना होगा। इसके लिए निचले स्तर के प्रयास की भी सराहना करनी होगी। पुलिस प्रशासन हर तबका को पुरस्कृत करे। इससे लोगों के मन में उत्साह का संचार होगा और फिर बनारस को बदलते हुए कोई रोक नहीं पाएगा।
सुरक्षा के बाबत सुझाव दिया कि हम सभी एक ही जगह पर हर किसी के लिए एक नियम नहीं लगा सकते। वृद्धों व महिलाओं के लिए यदि हर जगह पर पूरी तरह से यातायात नियमों के पालन के लिए मजबूर किया जाएगा तो समस्याएं आएंगी ही इसलिए हमें कुछ मामलों में ढील देनी ही होगी।
ऐसे करना होगा बनारस में काम
जनसहयोग से काम कराएं, बनारस को बदलने में देर नहीं लगेगा। शहर में सर्वे कराकर काम कराया जाए। सुरक्षा हो या यातायात दोनों क्षेत्रों में बेहतरी के लिए पूर्व अधिकारियों की मदद ली जाए। यदि ये सभी कवायदों को धरातल पर उतारा जाएगा तो ही बनारस का कुछ हो सकता है वरना योजनाएं बनती रहेगी और फाइलों में दबकर रह जाएंगी। पुलिस अफसरों को अब कोताही न बरतते हुए अविलंब जन सहयोग से बनारस को बदलने की दिशा में काम शुरू कर देना चाहिए।
- बिट्टू कुमार
( एक सोच सैंडबाक्स के लीडर हैं)
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