Move to Jagran APP

वाराणसी : जाम दूर करना हो या अपराध सामूहिक प्रयास बेहद अहम

समाज को यह समझना होगा कि बनारस अपना घर है। यदि इस भाव को हमने मन में उतार लिया तो शहर को बदलते, संवरते और पनपते देर नहीं लगेगी ।

By Krishan KumarEdited By: Published: Tue, 14 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 14 Aug 2018 11:36 AM (IST)
वाराणसी : जाम दूर करना हो या अपराध सामूहिक प्रयास बेहद अहम

विजय उपाध्याय, वाराणसी 

loksabha election banner

पढ़ने-लिखने के बाद हर कोई सोचता है कि उसे अच्छी नौकरी मिल जाए और घर परिवार के साथ सुकून से जीवन से बिताए। मगर बनारस के एक बहादुर युवा ने कभी सुख सुविधाओं की चाह रखी ही नहीं। वे सालों से दूसरों के लिए जी रहे हैं। कुआं हो या नदियां कहीं भी उतरने से संकोच नहीं करते। उनका एक ही ध्येय रहता है फंसे को उबारना। वह कोई और नहीं बल्कि संदीप कुमार है जो भेलूपुर प्रखंड में नागरिक सुरक्षा के पोस्ट वार्डेन है। घर की तमाम जरूरतों के बावजूद वे लोगों की मदद को ही प्राथमिकता देते हैं।

अपने शहर को शानदार बनाने की मुहिम में शामिल हों, यहां करें क्लिक और रेट करें अपनी सिटी

वर्ष 2015 में बनारस में अन्याय प्रतिकार यात्रा के दौरान हुई लाठीचार्ज में तत्कालीन डीएम राजमणि यादव पर बरसती ईंटों को संदीप ने झेल वाहवाही लूटी थी। उनका कहना है कि यह महज संयोग था कि डीएम बच गए, नहीं तो ईंटों की बौछार कुछ भी करा सकती थी।

बकौल संदीप, समाज को यह समझना होगा, महसूस करना होगा कि बनारस अपना घर है, परिवार है फिर शहर है। यदि इस भाव को हमने मन में उतार लिया तो शहर को बदलते, संवरते और पनपते देर नहीं लगेगा। आखिर हर काम के लिए पुलिस को ही क्यों आगे आना होता है। क्या हम अपने आप से व्यवस्था को सुदृढ़ नहीं कर सकते। जाम की समस्या हो या अपराध में कमी हर कुछ संभव है मगर सामूहिक प्रयास के दम पर।

हमें शहर के कोने-कोने से लगाव लगाना होगा। केवल व्यवस्था को कोसने से कुछ नहीं होता। आखिर हम सब भी सजग प्रहरी है। जागरूक व पढ़े लिखे हैं हम क्यों नहीं शहर को बदलने में आगे आएं। बनारस में आज सबसे बड़ी समस्या जाम की है। घर से कोई निकलता है या श्रद्धालु बाहर से आते हैं। कोई शहर में घूमना नहीं चाहता।

कारण बनता है महज जाम। यह सही है कि सड़कें उतनी ही चौड़ी रहेंगी, साधन संसाधन में बहुत बदलाव नहीं होगा मगर अपने संस्कार को दिखाकर हम व्यवस्था में बदलाव ला सकते हैं। अक्सर देखने में आता है कि हर छोटी घटना पर भी बवाल, भगदड़, लाठीचार्ज आदि की बात उड़ा दी जाती है मगर ऐसा नहीं होना चाहिए।

हमें हर किसी को प्रशिक्षित करना होगा जिससे कि शहर में किसी भी तरह के आपदा में वे सुरक्षित रहें। महिलाओं को कराते की जानकारी देनी होगी। पावर एंजिल के भी इस दिशा में काम करना होगा। डिजास्टर मैनेजमेंट के लिए प्रशिक्षण शिविर चले। लोग ज्यादा से ज्यादा सीसी कैमरे लगवाएं, इससे शहर सुरक्षित होगा। घटनाएं होने पर तत्काल खुलासा में मदद भी मिलेगा।

संदीप का कहना है कि कुछ महीने पहले कुआं में बच्चा गिर गया। पुलिस और स्थानीय लोग देख रहे थे लेकिन मैं खुद कुआं में उतर गया। जान पर खेलकर बच्चे की जान बचाई। ऐसा नहीं है कि हर कोई ऐसा नहीं कर सकता है। सभी लोग ऐसा कर सकते हैं मगर सेवा का भाव भरना होगा।

सुरक्षा की यदि बात करें तो महिला अपराध के प्रमाणिक होने पर बख्शा न जाए। इतनी सख्त कार्रवाई हो कि जीवन भर याद रहे। लेकिन किसी निर्दोष को फंसाया भी न जाए। इससे अपराध में बढ़ोतरी होती है। कुल मिलाकर सुरक्षा के लिए जितने नियम कानून बने हैं उतने से शहर पूरी तरह से सुरक्षित रह सकता है। कोई नए नियम की जरूरत नहीं है केवल फॉओ करने की जरूरत है। अपराध के बाद बड़े पैमाने पर हलचल हो जाती है तो हड़कंप मचता है।

मगर ध्यान देना होगा कि बार्डर पर रोज सेना न तैनात हो तो घटनाएं तो होने ही लगेंगी इसलिए पुलिस को रोज उतनी ही ईमानदारी से काम करना चाहिए जितना कि घटना के दौरान करती है। इन कुछ बातों का ध्यान दे दिया जाए तो अपराध कभी बढ़ेगा नहीं बल्कि दिन-प्रतिदिन घटना ही जाएगा।

अपने शहर को शानदार बनाने की मुहिम में शामिल हों, यहां करें क्लिक और रेट करें अपनी सिटी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.