ब्रांड बनारस बढ़ाएगा मान, मिलेगा रोजगार
बनारसी रसना की बात ही अलग है, कचौड़ी, जलेबी, लौंगलता, मलइयो, मलई पुड़ी, ठंडई, लालपेड़ा, पान, बनारसी लगड़ा आम मुख्य है।
बनारस में पर्यटन और उससे जुड़े कारोबार की अपार संभावनाएं हैं। इसके इर्द गिर्द ही उद्योग, कारोबार और रोजगार का अर्थतंत्र है। सुविधाएं कम हैं, इंतजाम का अभाव काफी हैं। जिले के तीन औद्योगिक क्षेत्रों में छोटे हो या बड़े सभी उद्योग के समक्ष कई बुनियादी दिक्कतें हैं।
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सरकारी योजनाओं को ठीक से धरातल पर लाने की आवश्यकता हैं। ब्रांड बनारस के तौर पर मशहूर बनारस के उत्पादों से केंद्र और प्रदेश सरकार नए रोजगार के द्वार खोल रही है। बुनियादी सुविधाओं को मुहैया कराने की कोशिशें भी हो रही हैं तो अफसरशाही से निजात दिलाने का प्रयास भी चल रहा है, लेकिन कई जगहों पर मामला उलझ जा रहा है।
आने वाले दिनों में बनारस में पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की संख्या में काफी वृद्धि होगी। सावन से ही इसकी शुरूआत होगी और इसके बाद तो सिलसिला चलता रहेगा। दुर्गापूजा, दीपावली, छठ, देव-दीपावली, क्रिसमस अवकाश, कुंभ मेला की भीड़, अप्रवासी सम्मेलन का आयोजन होना है। बनारसी उत्पाद की काफी मांग होगी और इससे सम्मान बढ़ेगा। पर्यटकों की बढ़ती संख्या और आयोजनों में इजाफे के बीच होटलों की संख्या में अब मांग बढ़ गई है।
बनारस में धार्मिक और पर्यटन उद्योग को ध्यान में रखते हुए कई स्तर पर कार्य हो रहे। ज्यादा पर्यटक काशी और यहां के उत्पाद खरीदें ताकि आर्थिक रूप से स्थिति में सुधार हो सके। बुनियादी चीजों को ठीक करने की दिशा में सड़कों को ठीक करके, बिजली व्यवस्था में सुधार हो रहा है।
पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बनारसी उत्पाद को हर स्टोर, हर स्थान तक पहुंचाने की कवायद चल रही है। बाबतपुर एयरपोर्ट, ट्रेड फैसिलिटेशन सेंटर, होटल, मॉल, घाट और अन्य प्रमुख स्थानों पर बनारसी उत्पाद को प्रोजेक्ट किया जा रहा है। यहां फूल, माला से लेकर नाव संचालन तक कारोबार का हिस्सा है।
बनारसी उत्पादों की लंबी लिस्ट
बनारसी उत्पादों की एक लंबी लिस्ट है। यहां खान-पान के साथ हस्तकला, कुटीर उद्योग के आइटम बहुत हैं, जो दुनिया में काफी लोकप्रिय है। जीआइ (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग के उत्पाद सर्वाधिक दस यहीं के हैं, जिनकी संख्या आने वाले दिनों में संख्या बढ़ेगी।
सात प्रमुख उत्पादों को जीआइ टैग दिलाने की दिशा में कवायद जारी है। जीआइ का तमगा पाए बनारसी साड़ी, लकड़ी के खिलौने, मेटल रिपोजी, ग्लास बीड्स, कारपेट, गुलाबी मीनाकारी, सॉफ्ट स्टोन जाली वर्क, पॉटरी, दरी, वॉल हैंगिंग, हैंड ब्लाक प्रिंट, वुड कार्विंग, जरी जरदोजी आदि कुटीर उद्योग फल-फूल रहा।
बनारसी रसना की बात ही अलग है, कचौड़ी, जलेबी, लौंगलता, मलइयो, मलई पुड़ी, ठंडई, लालपेड़ा, पान, बनारसी लगड़ा आम मुख्य है।
जीआइ उत्पाद कारोबार
15 लाख लोग परोक्ष-अपरोक्ष रूप से जुड़े
20 हजार करोड़ का वार्षिक कारोबार
10 उत्पादों का जीआइ पंजीकरण
खादी मिला रहा कदम से कदम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार खादी को प्रोत्साहित करने पर बल दे रहे हैं। खादी से रोजगार बढ़ रहा है। सेवापुरी में खादी उद्योग का हब बना है।
- 885 सोलर चरखा
- 25 सोलर लूम
तकनीकी शिक्षा पर प्रशिक्षण
पूर्वांचल में रोजगार देने के बेहतर अवसर हो इसके लिए तकनीकी प्रशिक्षण पर खास जोर दिया जा रहा है। चांदपुर स्थित औद्योगिक आस्थान में एमएसएमई कार्यालय में कई कोर्स संचालित होते हैं।
जल परिवहन का सपना
वाराणसी में इंटरनेशनल एयरपोर्ट से कई देशों के लिए सीधी उड़ान सेवाएं दी जा रही है। गंगा में वाराणसी से हल्दिया के बीच जल परिवहन की बहुप्रतीक्षित योजना नवंबर में साकार होगी। वाराणसी से हल्दिया के बीच 1620 किलोमीटर तक गंगा में जल परिवहन के लिए आधारभूत ढांचा विकसित किया जा रहा है। ताहिरपुर में करीब 35 एकड़ जमीन में फ्रेट विलेज और लॉजिस्टिक हब प्रोजेक्ट पर काम होगा।
उद्योग को चाहिए बेहतर सुविधाएं
बड़े कारोबार के लिए रामनगर औद्योगिक क्षेत्र, मध्यम उद्यम के लिए चांदपुर औद्योगिक संस्थान, फूड प्रोसेसिंग में करखियांव में लगातार उद्यम लग रहे है। यहां बुनियादी चीजों की काफी कमी है। सड़क-बिजली की दिक्कतें हैं।
350 - उद्योग रामनगर में
125 - उद्योग चांदपुर में
40 - उद्योग करखियांव में
बनारस में वालमार्ट भी जमाएगा कदम
इस साल फरवरी में लखनऊ में हुए इंवेस्टर्स मीट में वालमार्ट ने प्रदेश के साथ अनुबंध किया है। कंपनी पूर्वांचल के जिलों में 80 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है। इसमें वाराणसी सहित कई जिले शामिल हैं।