नक्सली हमले में शहीद जवानों के घर मातम
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में रविवार को हुए नक्सली विस्फोट में बनारस के बड़ागांव और गाजीपुर का एक जवान शहीद हो गया।
वाराणसी : छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में रविवार को हुए नक्सली विस्फोट में बनारस के बड़ागांव के बसनी दल्लूपुर निवासी सीआरपीएफ के जवान रविनाथ सिंह पटेल (23) व शादियाबाद (गाजीपुर) थानाक्षेत्र के बरईपारा गांव के अर्जुन राजभर (35) शहीद हो गए। यह खबर सुनते ही शहीदों के गांव में मातम छा गया।
शहीद रवि के परिवार में दोपहर फोन कॉल आई। सबसे छोटी बहन को सीआरपीएफ के अफसरों ने बताया कि उनका भाई शहीद हो गया है। यह सुनते ही वह सदमे में आ गई। कुछ देर रोने के बाद उसने बूढ़े मां-बाप को इस बारे में बताना चाहा, लेकिन कहीं अनहोनी न हो जाए, इसके डर से बस इतना बताया कि भाई का एक्सीडेंट हो गया है। सोमवार को उसे गांव लाया जा रहा है। शहीद जवान के पिता सत्य प्रकाश पटेल व मां अनीता को शक हुआ कि बेटी क्यों रो रही है, हालांकि पूछने पर उसने समझा लिया। सोमवार को जब शहीद का शव गांव आएगा तो किस तरह बूढे मां-बाप को संभाला जाएगा, यह शायद परिवारवालों को भी नहीं पता। शहीद रवि दो भाई व एक बहन में दूसरे नंबर के थे। वर्ष 2013 में वह सेना में भर्ती हुए थे। अभी उनकी शादी नहीं हुई थी। दो माह पहले ही गांव आए रवि मई के अंत में भी गांव आने वाले थे।
उधर, अर्जुन के शहीद होने की खबर मिलते ही उनके पिता बलिराम राजभर व माता रमावती देवी का कलेजा फट पड़ा और वह पछाड़ खाने लगे। लोग पूरी रात उनके घर पर जमे रहे। अब सभी को अर्जुन का पार्थिव शरीर घर आने का इंतजार है। अर्जुन राजभर पांच भाइयों में चौथे नंबर पर थे। शेष चारों भाई मुंबई में रहकर फूल-माला का कारोबार करते हैं। अर्जुन सरकारी नौकरी वाले घर के अकेले सदस्य थे। उनकी एक बहन भी है जिसका विवाह हो चुका है। नक्सलियों के विस्फोट मेंछह जवान शहीद हुए, जबकि अर्जुन गंभीर रूप से घायल हो गए। बाद में इलाज के दौरान उनकी भी मौत हो गई। इसकी सूचना पहले मुंबई में रह रहे भाइयों को मिली, फिर उन्होंने घर फोन कर माता-पिता को सूचना दी। अर्जुन अभी पिछले 20 अप्रैल को 15 दिन की छुट्टी बिताकर ड्यूटी पर गए थे। इस बार वह अपने परिवार को भी साथ ले गए थे। यह पहला मौका था जब अपने परिवार को साथ ले गए थे। परिवार में पत्नी सुनीता देवी के साथ तीन बच्चे कविता (12), अभय (10) व अजय (8) हैं।