Mark Twain की पुण्यतिथि आज, मार्क ने varanasi को दी थी ऑक्सफोर्ड ऑफ इंडिया की उपाधि
मार्क ट्वेन 1896 में बनारस आए थे। जनवरी से अप्रैल के बीच उन्होंने देश के कई शहरों में भ्रमण किया। बनारस को उन्होंने बहुत नजदीक से देखा।
वाराणसी [हिमांशु अस्थाना]। 'बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किवदंतियों से भी प्राचीन है और जब इन सबकों एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।' अमेरिकी साहित्यकार मार्क ट्वेन ने अपने यात्रा वृतांत 'फॉलोविंग दी इक्वेटर' में यह बातें लिखी हैं। इतना ही नहीं इस वृतांत के चार चैप्टर बनारस को ही समर्पित हैं। हिंदू धर्म और संस्कृत की शिक्षा पद्धति को देखकर उन्होंने अपनी डायरी में बनारस को 'ऑक्सफोर्ड ऑफ इंडिया' की संज्ञा दी है।
मार्क ट्वेन 1896 में बनारस आए थे। जनवरी से अप्रैल के बीच उन्होंने देश के कई शहरों में भ्रमण किया। बनारस को उन्होंने बहुत नजदीक से देखा। गंगा घाट, बनारस की गलियों में टहलने के अलावा संतों से भी मुलाकात की।
मैैंने भगवान को देखा ...
बनारस में मुझे इंसान के रूप में भगवान का साक्षात दर्शन हुआ, जो कि बेहद उदार और देवता जैसी तेज के साथ आंखों में दया का भाव लिए एक बाग में बैठे हुए थे। उन्होंने मुझे 'हिंदू होली राइटिंग्स' किताब दी, मैंने भी अपनी पुस्तक 'दी एडवेंचरस ऑफ हेकलबरी फिन' भेंट की। मार्क ट्वेन ने यात्रा वृतांत 'ट्रवेलॉग फॉलोविंग दी इक्वेटर' में यह बातें स्वामी भास्करानंद सरस्वती के बारे में लिखी हैं।
ब्रह्म सत्य जगत मिथ्या ... पर लिखी अंतिम किताब
बीएचयू में अंग्रेजी विभाग के प्रो. माया शंकर पांडेय के मुताबिक ट्वेन स्वामी भास्करानंद से बहुत प्रभावित थे। अंतिम किताब 'दी मिस्टीरियस स्ट्रेंजर नंबर 44' ब्रह्म सत्य, जगत मिथ्या पर रच डाली। हालांकि यह किताब उनके देहांत के बाद प्रकाशित हुई। हॉलीवुड की कई फिल्में भी इस पर बन चुकी हैं।
ट्वेन पत्रकार व बोट चालक भी
मार्क ट्वेन का जन्म अमेरिका के फ्लोरिडा में 30 सितंबर, 1935 को हुआ था। मूल नाम सैमुअल लैंग हॉर्न क्लीमेंस था। वह लेखक के अलावा एक बेहतर हास्यकार, पत्रकार, रिवर बोट चालक, बिजनेस मैन और अनुसंधानकर्ता भी थे। अमेरिकी विद्वान विलियम ने फॉकनर उन्हें अमेरिकी साहित्य का जनक कहा है। मार्क ट्वेन ने 21 अप्रैल 1910 को अंतिम सांस लीं, मगर उनकी एडवेंचर्स ऑफ टॉम शायर और उसकी सीक्वेल एडवेंचर्स ऑफ हकलबरी फिन सहित दर्जनों कृतियों ने उन्हें अमर बना दिया।