आजमगढ़ के मनोज ने लिखे बाला साहब की जीवनी पर आधारित फिल्म के डायलाग
रोजी रोटी की हसरत लेकर जो भी इसकी ओर रूख किया सबको अपनाने वाले मुम्बई शहर में एक दौर ऐसा भी आया जब उत्तर भारतीयों को सपनों की यह नगरी बेगानी लगने लगी थी।
आजमगढ़, [जयप्रकाश निषाद]। राहुल सांकृत्यायन, कैफी आजमी, पंडित लक्ष्मी नारायण मिश्र, अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध की मिट्टी की तासीर ही ऐसी है कि जाने अनजाने यह अक्सर नई शुरुआतों का गवाह बन जाती है। महाराष्ट्र के लोगों में यूपी के भाईयों के प्रति प्रेम के अंकुर इसी जनपद की मिट्टी में फूटता दिखाई पड़ रहा है। जनपद के जीयनपुर के भरौली निवासी मनोज यादव ने इस फिल्म के लिए न केवल डायलाग लिखे वरन फिल्म के दोनो गीतों को भी लिखा। 'साहब तू सरकार तू व आया रे' गीत का जादू लोगों के सिर चढ़ कर बोल रहा है।
रोजी रोटी की हसरत लेकर जो भी इसकी ओर रूख किया सबको अपनाने वाले मुंबई शहर में एक दौर ऐसा भी आया जब उत्तर भारतीयों को सपनों की यह नगरी बेगानी लगने लगी थी। वह दौर था बाला साहब ठाकरे का। बाला साहब के कर्म और विचारों ने मराठियों और यूपी के लोगों के बीच जो दूरी बढ़ाई वह उनके बाद उनके जीवन पर आधारित फिल्म 'ठाकरे' से घटती नजर आ रही है। बाला साहब ठाकरे के जीवन पर बनी फिल्म ठाकरे की खासी चर्चा चल रही है। इस बायोपिक का निर्माण राज्यसभा सांसद व शिवसेना के नेता संजय राउत ने किया जबकि निर्देशन अभिजीत पांसे ने किया है। फिल्म 25 जनवरी को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई। उग्र हिंदुत्व की राजनीति को प्रश्रय देने वाले राजनेता बाला साहब करोड़ों हिदुओं के चहेते रहे सो इस फिल्म का चर्चा में रहना तय माना जा रहा है।
पहली बार यह बायोपिक चर्चा में तब जब इसका ट्रेलर रिलीज होते ही इस पर कमेंट बैन कर दिया गया। यूपी और बिहार के लोगों के लिए मुंबई एक सपनों की नगरी है। दोनो राज्यों से लाखों लोग मुंबई को अपनी जान समझते हैं और उसे ही अपना घर बना लिए हैं। एक ऐसा भी समय आया था जब यूपी और बिहार के लोगों को जिन्हें मराठी लोग निगेटिव सेंस में भईया कह कर बुलाते थे। तब यह नगरी किसी और देश की सरजमीं लगने लगी। क्षेत्रवाद के उभार ने मराठियों और गैर मराठियों के बीच दूरियां बढाईं। मराठियों और यूपी के लोगों के बीच एक विश्वास बहाली का अंकुर आजमगढ़ की धरती से फूटा है।
पिंकू, गब्बर इज बैक व अजहर जैसी फिल्मों वर्ल्ड कप क्रिकेट की थीम सांग 'दे घुमा के' लिखने वाले आजमगढ़ के जीयनपुर कोतवाली के भरौली निवासी मनोज यादव यह जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं। मनोज ने इस फिल्म के लिए न केवल डायलाग लिखे वरन फिल्म के दोनों गीतों को भी लिखा। साहब तू सरकार तू व आया रे ठाकरे बोल वाले गीतों का जादू लोगों के सिर चढ़ कर बोल रहा है। 'कटोरा लेकर भीख मांगने से अच्छा है कि गुंडा बनके अपना हक छीन लेना', 'जनता का काम करने के लिए जनता के बीच जाना होगा', 'राम मंदिर भारत में नहीं तो क्या पाकिस्तान में हैं' जैसे चुभते डायलाग ठाकरे के व्यक्तित्व को उभार कर रख दिए हैं। फिल्म में बाला साहब की भूमिका नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने निभाई है। बुढ़ाना मुजफ्फनगर के रहने वाले नवाजुद्दीन की अदाकारी की हर कोई तारीफ कर रहा है। मराठियों का यूपी की ओर झुकाव व प्रेम की यह नई शुरूआत क्षेत्रवाद के नाश का एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।