मंडुआडीह स्टेशन का नाम अब बनारस, केंद्र सरकार की तरफ से जारी हुई अधिसूचना
अब मंडुआडीह स्टेशन की नई पहचान बनारस नाम से ही की जाएगी। इस बाबत सोमवार की देर शाम केंद्र सरकार की तरफ से एक अधिसूचना जारी कर दी गई है।
वाराणसी, जेएनएन। अब मंडुआडीह स्टेशन की नई पहचान "बनारस" नाम से ही की जाएगी। इस बाबत सोमवार की देर शाम केंद्र सरकार की तरफ से एक अधिसूचना जारी कर दी गई है। पूर्व रेल राज्यमंत्री मनोज कुमार सिन्हा की पहल ने आखिरकार रंग ला दिया। नाम को लेकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न होने के चलते यात्री और सैलानियों को परेशानी का सामना करना पड़ता था। सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजधानी काशी में होने के बावजूद अंतराष्ट्रीय पटल पर लोग मंडुआडीह स्टेशन के नाम से अनजान थे। अमूमन नाम को लेकर भ्रमवश यात्रियों को इधर- उधर भटकना पड़ता है। ऑनलाइन रेलवे टिकट बुकिंग में भी उन्हें परेशानी होती थी। अब जनपद के समानांतर मंडुआडीह स्टेशन का नाम बदलने से कोई कठिनाई नहीं होगी।
पूर्व रेल राज्यमंत्री का वादा पूरा
यूं तो मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की मांग समय- समय पर उठाई जाती रही है। लेकिन इसे मूर्तरूप देने का काम पूर्व केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज कुमार सिन्हा ने किया। उन्होंने वर्ष 2014- 15 में रोहनिया स्थित एढे गांव में आयोजित एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए मंडुआडीह स्टेशन का नाम बदलने का वादा किया था। मनोज सिन्हा ने इस दिशा में मंत्रालय की स्वीकृति प्रदान करने के पश्चात राज्य और केंद्र को फ़ाइल बढ़ा दिया था। कैस बनारसी फाउंडेशन और जनजागृति समिति ने भी नाम बदलने की वकालत की थी। कैस बनारसी फाउंडेशन के सदस्य डॉ रतनेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि यह जरूरी था।
एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित सुविधाएं
माण्डूक ऋषि के नाम पर आधारित मंडुआडीह स्टेशन पर यात्री सुविधाएं एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित हुई हैं। इस टर्मिनल स्टेशन पर प्रथम श्रेणी के विशाल प्रतीक्षालय क्षेत्र, सर्कुलेटिंग एरिया, वेटिंग रूम, एसी लाउंज आदि सुविधाएं हैं। द्वितीय प्रवेशद्वार पर नयनाभिराम दृश्य यात्रियों को आकर्षित करता है। यहां सर्कुलेटिंग एरिया में हराभरा पार्क, फौहारा और विशाल प्रवेशद्वार खुद को एयरपोर्ट में होने का अहसास कराता है। सामान्य दिनों में यहां से 22 ट्रेनें विभिन्न रूटों के लिए प्रस्थान होती है। प्रतिदिन 14 हजार यात्रियों का दबाव रहता है।