महाश्मशान पर सैकड़ों लोगों समझा मोरारी बापू का मानस-मसान एकाकार
कथा वाचक संत मोरारी बापू ने महाश्मशान मणिकर्णिका के सामने गंगा पार मानस-मसान को एकाकार किया और मणिकर्णिका का महत्व बताया।
वाराणसी (जेएनएन)। कथा वाचक संत मोरारी बापू ने महाश्मशान मणिकर्णिका के सामने गंगा पार मानस-मसान को एकाकार किया और काशी-विश्वनाथ-गंगे व मणिकर्णिका का महत्व बताया। बापू ने कहा जहां मृत्यु होती है वहां मसान का जिक्र होता है। आदमी अपनी आयु से ज्यादा भय के कारण मरता है जबकि मृत्यु परम सत्य है। मृत्यु कहीं भी हो लेकिन देह की अंतिम जगह मसान ही होती है। मसान ही एक ऐसी जगह है जहां राजा हो रंक सभी स्वीकार्य होते हैं। यहां किसी की उपेक्षा नहीं होती, यही प्रेम है। बाबा विश्वनाथ की करूणा है कि काशी में मृत्यु होने पर जीवन मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त हो जाता है। ऐसे में काशी को महाश्मशान माना गया है जो सत्य, प्रेम व करूणा की भूमि है। वास्तव में सदा के लिए सोना हो या जागना हो तो मसान ही जाना होगा।
संतकृपा सनातन संस्थान की ओर से सतुआबाबा गोशाला डोमरी में आयोजित नौ दिनी कथा मानस मसान का मोरारी बापू ने हनुमत प्रभु का आह्वान कर श्रीगणेश किया। गुजराती नववर्ष व दीप ज्योति पर्व की बधाई दी। विह्वïल मन से कहा 700वीं कथा कैलाशनाथ में तो 800वीं विश्वनाथ के चरणों में सुनाने का सौभाग्य मिला। उन्होंने कहा कि काशी में ब्रह्मांड के सबसे बड़े उपदेशक बाबा विश्वनाथ स्वयं विराजमान हैं। यहां वेद आदेश और उपनिषद उपदेश देते हैं। वास्तव में श्मशान एक ज्ञान भूमि है और हर व्यक्ति को मन से इसका भय निकाल देना चाहिए। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति को प्रलोभन व मृत्यु का भय मन से निकल जाए तो समझो सब कुछ पा लिया।
मानस स्वयं मसान, सदा देती विश्राम
मोरारी बापू ने कहा मानस स्वयं मसान है जो सदा विश्राम देता है। मानस मसान को जो व्यक्ति समझ लेता है वह स्वयं जागृत होता है। मानस वाद-विवाद का नही संवाद का विषय है। भजन करना हो तो विवाद नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे समय ही नष्ट होता है। रामचरित मानस में उत्तरकांड को छोड़ प्रत्येक कांड में मृत्यु का वर्णन है लेकिन गोस्वामी तुलसीदास ने इसमें सिर्फ तीन बार मसान शब्द का प्रयोग किया है। उत्तरकांड में किसी मृत्यु का नहीं महाकाल का वर्णन है और यह अमरत्व का कांड है।
रोचक प्रसंगों से गुदगुदाया और रहस्य बताया
मोरारी बापू ने चौपाइयों के गायन और रोचक प्रसंगों से विभोर किया। मकार वाले शब्दों की महिमा बताते हुए कहा मसान, मंत्र, महात्मा, महादेव, मित्र, मृत्यु सभी इससे ही शुरू होते हैं। उन्होंने गुरु और हनुमत प्रभु की महिमा का बखान किया। तुलसीघाट, संकट मोचन, मानस मंदिर, गंगा के 84 घाट का ध्यान करते हुए योगी सरकार को भी साधुवाद दिया। कहा किसी चीज का उद्घाटन करें तो पहले खुद समर्पित करें। दान करने को किसी से कहें तो सबसे पहले खुद ऐसा करें। सतुआबाबा पीठाधीश्वर संतोष दास महाराज, काशीनरेश महाराज अनंत नारायण सिंह, पद्मभूषण पं. छन्नूलाल मिश्र, मदन पालीवाल, एमएलसी लक्ष्मण आचार्य आदि थे।