Make Small Strong : तकनीक ने दी ब्रेड के व्यापार को धार, Lockdown में भी चल पड़ा कारोबार
परिवार ब्रांड ब्रेड की डिलीवरी के पश्चात हम व्यापारियों से पेमेंट के लिए डिजिटल माध्यम जैसे गूगल पे फोन पे पेटीएम आदि का सहारा लेकर ही पेमेंट स्वीकारते थे। ठीक वैसे ही उत्पादन में प्रयोग होने वाले सामानों की खरीदारी के बाद भुगतान भी डिजिटल से ही करते थे।
वाराणसी, जेएनएन। लाकडाउन की घोषणा रात आठ बजे की गई थी। रात तो बीत गई लेकिन अगले दिन सुबह सड़कों पर सन्नाटा छाया था। हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि हमारा व्यापार कच्चा व्यापार है। हमारे परिवार ब्रांड के ब्रेड की बिक्री खूब होती है। सबसे ज्यादा चिंता उसी को लेकर था। कच्चा सौदा है, दो दिन भी रूक गया तो लाखों की चपत लग जाएगी। शहर के होलसेल कारोबारी गोविंद किशनानी कहते हैं कि शुरुआत के पांच दिन तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि कैसे और क्या करें, कारखाने के मजदूर बैठे थे। उत्पादन बंद था। इधर हमारे ग्राहकों के बराबर फोन आ रहे थे कि आज सप्लाई होगी की नहीं।
सड़कें छावनी में तब्दील थीं। फिर भी हमने हौसला नहीं खोया। हमने गूगल से पहले डीएम कार्यालय का नंबर और मेल आईडी निकाला। फिर संपर्क किया और मुलाकात के लिए समय मांगा। डीएम साहब से मिलने के बाद बेचैनी थोड़ी कम हुई। उन्होंने भरोसा दिलाया कि आपके सभी हाकरों और दुकानदारों को कोविड-19 में खाद्य आपूर्ति की सप्लाई करने के लिए आनलाइन पास जारी किया जाएगा। बस फिर क्या यहीं से सप्ताह भर से रूके कारोबार की गाड़ी रफ्तार पकड़ ली। ग्राहकों का सबसे भरोसेमंद बेकरी उत्पाद उनके घर पहुंचने लगा।
सबसे पहले जारी हुए आनलाइन पास
डीएम साहब ने खाद्य सामग्रियों की सप्लाई के लिए थोक दुकानदारों और होलसेलरों से पास जारी करने के लिए आनलाइन आवेदन मांगा। उसके बाद जिला प्रशासन की टीम ने उसे सत्यापित किया। उसके बाद आनलाइन ही पास जारी कर दिया गया। इससे हम लोगों को कारोबार में सबसे सहूलियत हुई।
दस दिन बाद शुरु हुआ वाट्सएप पर आर्डर मिलना
जिला प्रशासन की ओर से पास जारी होने के दस दिन बाद वाट्सएप पर आर्डर मिलना शुरु हुआ। हमने अपने सहयोगीयों से कहा कि हर काउंटर का आर्डर शाम तक वाट्सएप पर उपलब्ध करा दें। जिससे कि माल का उत्पादन मांग के अनुसार कराया जा सके। प्रतिदिन शाम तक हमारे वाट्सएप पर शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के सभी आर्डर उपलब्ध रहते थे। उसी के आधार पर हम बेकरी उत्पादों के अत्पादन की तैयारी करते थे।
माल भेजने में भी इंटरनेट मीडिया ने की मदद
उत्पाद के बाद बात जब सप्लाई की आई तो हमने सभी व्यापारियों के वाट्सएप पर उनके आर्डर के मुताबिक उनका माल किस वाहन से भेजा जा रहा है। उस वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर, चालक का नाम और मोबाइल नंबर, उनका बिल आदि भेज देता था। फिर वह उस सूचना के आधार पर संबंधित वाहन के चालक से संपर्क करके अपने माल की डिलीवरी करा लेते थे।
पेमेंट के लिए अपनाया डिजिटल माध्यम
माल की डिलीवरी के पश्चात हम व्यापारियों से पेमेंट के लिए डिजिटल माध्यम जैसे गूगल पे, फोन पे, पेटीएम, इंटरनेट बैंकिंग आदि का सहारा लेकर ही पेमेंट स्वीकारते थे। ठीक वैसे ही उत्पादन में प्रयोग होने वाले सामानों
की खरीदारी के बाद भुगतान भी डिजिटल माध्यम से ही करते थे। इन माध्यमों के द्वारा हम महामारी के दौरान कभी बैंक गए ही नहीं। कभी अगर अकाउंट के स्टेटमेंट की आवश्यकता होती तो बैंक से वह भी ईमेल पर ही प्राप्त हो जाता था।
सैंपल के लिए भेजते थे उत्पाद की फोटो
दुकानदारों को सैंपल दिखाने के लिए उत्पाद की फोटो वाट्सएप पर भेजते थे। इसमें सबसे सहूलियत यह थी कि एक बार में कई दुकानदारों को सैंपल की फोटो भेजते थे।