Make small strong : Corona से निर्यात प्रभावित हुआ तो स्थानीय बाजार की नब्ज थामी और कारोबार को दी धार
आधुनिक ज्ञान हासिल करने के बाद भी डा. वाचस्पति त्रिपाठी न केवल पारंपरिक ज्ञान से जुड़े रहे बल्कि माडर्न रूप में उसे दुनिया के सामने प्रस्तुत भी कर रहे हैं। सूर्या फार्मास्युटिकल्स के माध्यम से न केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेश में आयुर्वेद का डंका बजा रहे हैं।
वाराणसी, जेएनएन। भारतीय संस्कृति और विज्ञान एक-दूसरे के पूरक हैं। भारतीय धर्म संस्कृति स्वयं में विज्ञान है। वैदिक ग्रंथों की रचना गहन-चिंतन और वैज्ञानिक आधार पर किया गया। यही वजह रही कि आधुनिक ज्ञान हासिल करने के बाद भी डा. वाचस्पति त्रिपाठी न केवल पारंपरिक ज्ञान से जुड़े रहे, बल्कि माडर्न रूप में उसे दुनिया के सामने प्रस्तुत भी कर रहे हैं। सूर्या फार्मास्युटिकल्स के माध्यम से न केवल देश में बल्कि अमेरिका, इटली और जापान जैसे देश में आयुर्वेद का डंका बजा रहे हैं। कोरोना काल में जब बाहर के मुल्कों में निर्यात ठप हुआ तो प्रतिष्ठान के सामने मुश्किल खड़ी हुई। मगर स्थानीय बाजार की मांग के अनुरूप खुद को ढाल कर और उस जरूरत को पूरा कर काफी हद तक कोरोना से हुए नुकसान की भरपाई भी कर ली। यह सब समय और स्थान की जरूरत पर नजर रखने से संभव हुआ।
डा. वाचस्पति के दादा राजवैद्य देवदत्त शास्त्री पं. सत्यनारायण शास्त्री के सहयोगी थे। वहीं पिता प्रो. सुरेंद्र नारायण त्रिपाठी आयुर्वेद संकाय-बीएचयू के पूर्व संकाय प्रमुख रहे। आयुर्वेद का ज्ञान वाचस्पति त्रिपाठी को विरासत में मिला था। मगर पिता उनसे कुछ और ही कराना चाहते थे। इसी मकसद के तहत उन्हें आइआइटी-बीएचयू से बीएससी-फार्मा व एसएससी फार्मा कराया। बीएचयू व एमएससी फार्मा में वे गोल्ड मेडलस्टि रहे। इसके बाद वर्ष 1983 में दो सहयोगियों के साथ डा. वाचस्पति त्रिपाठी ने नगवां में सूर्या फार्मास्युटिकल्स की नींव रखी। इसी के साथ शुरू हुआ आयुर्वेदिक औषधियों की गुणवत्ता को सुरक्षित रखते हुए आधुनिक दवा के रूप में दुनिया के सामने पेश करने का सफर। दो से बढ़कर यह सफर अब 20 कर्मियों के कुनबे तक पहुंच गया है। सूर्या फार्मास्युटिकल्स विज्ञान की कसौटियों व मानकों के आधार पर आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माण, प्रचार-प्रसार और मानव सेवा के लिए लगभग चार दशक से आयुर्वेद के हर्बल प्रोडक्ट तैयार कर रहा है, जिनकी मांग अमेरिका, इटली, पोलैंड, हंगरी, दक्षिण अफ्रीका, जापान जैसे देशों में खूब है। कोरोना काल में सामने था तो सिर्फ स्थानीय बाजार, ऐसे में परिस्थितियों को देखते हुए तद्नुसार उत्पादों को लेकर आगे बढ़े और इसमें सफलता भी मिली।
60 से अधिक हैं पेटेंट प्रोडक्ट
विदेशों में मरकरी युक्त आयुर्वेदिक उत्पाद प्रतिबंधित हैं। ऐसे में फार्मा के आधुनिक ज्ञान की बदौलत डा. वाचस्पति त्रिपाठी ने आयुर्वेद के ऐसे हर्बल उत्पाद तैयार किए, जो वैश्विक मापदंडों पर खरा उतरते हैं। उनके यहां 60 से अधिक पेटेंट हर्बल प्रोडक्ट हैं। इसके अलावा आयुर्वेद में वर्णित लगभग हर तरह की और हर मर्ज की औषधियां यहां उपलब्ध हैं।
आयुष स्टैंडर्ड पर खरा उतरता है फार्मा
सूर्या फार्मास्युटिकल्स पूरे पूर्वांचल का पहला और एकमात्र आयुष स्टैंडर्ड फार्मा है। डा. वाचस्पति कहते हैं कि जब क्यूसीआई व आयुष मंत्रालय प्रमाणित करेगा, तभी तो दुनिया के अन्य देश भी हमारे उत्पाद पर और उसकी गुणवत्ता पर भरोसा करेंगे और हम लोकल से लेकर ग्लोबल मार्केट तक में अपनी छाप छोड़ पाएंगे।
सूर्या फार्मास्युटिकल्स के उत्पाद
रोग दवा
- किडनी रोग नेफ्रोमेड
- पेट के लिए कुटज
- मधुमेह डायबिटोमेड
- गठिया संधिका कैप्सूल
- दमा व श्वांस रोग शिरीषादि चाय
- हृदय एथिरोसिड कैप्सूल
रुद्र कैप्सूल को मिला था राष्ट्रीय पुरस्कार
आइआइटी-बीएचयू के डिपार्टमेंट आफ बायोटेक्नोलाजी के सहयोग से इस दवा को प्रो. वाईबी त्रिपाठी के शोध के आधार पर तैयार किया गया था। इसे राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। बाद में सूर्या फामास्युटिकल्स के नाम से टेक्नोलाजी ट्रांसफर हुई और इसका व्यवसायिक उत्पादन शुरू हुआ। हृदय रोग में यह दवा बेहद कारगर है।
कुंभ स्नान से बढ़ती है प्रतिरोधकता
डा. वाचस्पति के मुताबिक कुंभ मेले में स्नान करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा होता है। उनके इस पेपर को कुंभ के सरकारी बेवसाइट पर भी तरजीह दी गई है। वहीं उन्होंने बैलों से बिजली बनाने की तकनीक भी विकसित की है।
टूटी सप्लाई चेन, बरकरार रहा हौसला
सूर्या फार्मास्युटिकल्स की हर्बल औषधियां विदेशों में निर्यात होती हैं। कोरोना में सप्लाई चेन पूरी तरह ध्वस्त हो गई। हर देश की स्थिति खराब है। हालात सामान्य होने में अभी लंबा समय लगेगा। डा. वाचस्पति के मुताबिक कोरोना काल में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली औषधियों की मांग तेजी से बढ़ी। हमारा देश स्वयं में ही एक बड़ा मार्केट है। यदि हम अच्छी चीजें बनाकर लोगों को वाजिब दर पर उपलब्ध कराएंगे यानी लोकल मार्केट में ग्लोबल स्टैंडर्ड की चीजें देंगे तो जाहिर है हमारी मांग बढ़ेगी। इन्हीं हालात को देखते हुए अब स्थानीय आर्डर पूरे किए जाने लगे। इस दौरान करीब छह प्रवासी मजदूरों को भी अपने यहां काम दिया।