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वाराणसी में मां अन्नपूर्णा मंदिर में धान की बालियों से किया गया श्रृंगार, 17 दिवसीय व्रत का हुआ समापन

अन्न की देवी भगवती अन्नपूर्णा का धान की बालियों से मंगलवार को श्रृंगार किया गया। इन बालियों से मंगलवार को मध्याह्न भोग आरती के बाद माता के गर्भगृह में श्रृंगार हुआ। बीती रात में पूरे मन्दिर प्रांगण को सजाया गया।

By Jagran NewsEdited By: Saurabh ChakravartyPublished: Tue, 29 Nov 2022 05:41 PM (IST)Updated: Tue, 29 Nov 2022 05:41 PM (IST)
वाराणसी में मां अन्नपूर्णा मंदिर में धान की बालियों से किया गया श्रृंगार, 17 दिवसीय व्रत का हुआ समापन
अन्नपूर्णा मंदिर में धान की बालियों से गर्भगृह में मां अन्नपूर्णा का हुआ श्रृंगार

वाराणसी, जागरण संवाददाता : अन्न की देवी भगवती अन्नपूर्णा का धान की बालियों से मंगलवार को श्रृंगार किया गया। इन बालियों से मंगलवार को मध्याह्न भोग आरती के बाद माता के गर्भगृह में श्रृंगार हुआ। बीती रात में पूरे मन्दिर प्रांगण को सजाया गया।

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13 नवंबर से यह महा व्रत सुरू हुआ जिसका समापन मंगलवार को हुआ। व्रत उद्यापन करने के लिए भक्तों का तांता लगा रहा। श्रद्धालुओं ने 21, 51,101 और 501 परिक्रमा कर अपने मन्नतों की हाजरी लगाई। मां अन्नपूर्णा के दर्शन के लिए सुबह से मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ लगी रही।

महंत शंकरपुरी ने बताया कि माता अन्नपूर्णा अन्न की देवी हैं। पूर्वांचल के किसानों की पहली फसल मां को अर्पित करते हैं। इन्ही धान की बालियों से देवी का श्रृंगार किया जाता है। कई दशक से पूरे पूर्वांचल से किसान अपनी धान की बालियों को देवी के श्रृंगार के लिए भेजते हैं।

मान्यता है कि धन्य धान्य की कमी नहीं होती। देवी के श्रृंगार में लगे इन धान की बालियों को श्रृंगार के अगले दिन प्रसाद स्वरूप भक्तों में विरतण किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि धान के इन बालियों को घर के अन्न के भंडारे में रखने से कभी अन्न की कमी नहीं होती है। काशी के पुराधिपति बाबा विश्वनाथ ने भी मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी। माता का ही आशीर्वाद है कि काशी में कभी भी कोई भूखा नहीं सोता है ।


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