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भाजपा काशी क्षेत्र के साप्ताहिक वेबिनार में बोले गीतकार समीर - 'बनारस की मस्ती, अक्खड़पन जीवंत'

साप्ताहिक वेबिनार गुरुवारीय अड़ी की 11वीं कड़ी में देश के प्रख्यात गीतकार कवियों एवं प्रबुद्धजनों ने सावन और रक्षाबंधन पर चर्चा की।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 01:36 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 01:36 PM (IST)
भाजपा काशी क्षेत्र के साप्ताहिक वेबिनार में बोले गीतकार समीर - 'बनारस की मस्ती, अक्खड़पन जीवंत'
भाजपा काशी क्षेत्र के साप्ताहिक वेबिनार में बोले गीतकार समीर - 'बनारस की मस्ती, अक्खड़पन जीवंत'

वाराणसी, जेएनएन। प्रबुद्ध प्रकोष्ठ भाजपा काशी क्षेत्र द्वारा आयोजित साप्ताहिक वेबिनार गुरुवारीय अड़ी की 11वीं कड़ी में देश के प्रख्यात गीतकार, कवियों एवं प्रबुद्धजनों ने सावन और रक्षाबंधन पर चर्चा की। हिंदी फिल्म के प्रख्यात गीतकार समीर (शीतला पांडेय) ने कहा कि देश की सांस्कृतिक धरोहर ही भारत की पहचान है। काशी भारत की सांस्कृतिक राजधानी है। काशी की हर गली, मोहल्ले में कोई न कोई विद्वान मिल ही जाएगा। मेरे पिता अंजान (लालजी पांडेय) ने बनारस को अपने शब्दों से पिरोया है। 

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मैंने भी फिल्मों के माध्यम से अपने गीतों में बनारस की मस्ती, अक्खड़पन व जीवंत है जिसे गीतों में भी दिखाने की कोशिश रहती है। कहा कि मेरे पिता अंजान के गीत 'खइके पान बनारस वाला, खुल जाय बंद अकल का ताला...' बनारस की जिंदादिली को प्रदर्शित करता है। कहा कि जब भी समय मिलता है मैं बनारस आता हूं। कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को काशी से बहुत प्यार है। यह उनके भाषणों में झलकता है। कोरोना संकट में मास्क की जगह गमछे के प्रयोग की सलाह काशी के प्रति पीएम के लगाव को दर्शाता है। कहा, मैंने सावन में गाने वाली कजरी पर आधारित गीत फिल्मों में दिए हैं। देशभक्ति से ओतप्रोत कविताओं के लिए प्रसिद्ध कवि डा. हरिओम पवार ने कहा कि भारत की पहचान उसके संस्कारों, मूल्यों एव परंपराओं से है। भारत की पहचान काशी और अयोध्या से है। उन्होंने खुद की कविता 'जिन्होंने तिरंगे को गाली दी उन्हेंं चौराहे पर लटकाने निकला हूं, मैं कश्मीर घाटी के दिल की धड़कन गाने निकला हूं...', व 'मेरा राम तो मेरा हिंदुस्तान है...' को गाकर सुनाया। प्रो. उपेंद्र कुमार त्रिपाठी ने कहा कि श्रावण मास की पूॢणमा पर मनाया जाने वाला पर्व रक्षा बंधन महत्वपूर्ण पर्व है। इसी दिन श्रावणी उपकर्म किया जाता है।

प्रसिद्ध कवि गजेंद्र सिंह सोलंकी ने प्रसिद्ध मुक्तक 'बनारस की सुबह, अनुपम अवध की शाम लाया हूं...' को गाकर सुनाया। प्रख्यात तबलावदक पं. रामकुमार मिश्र व सरोद वादक पं. विकास महाराज ने संगत किया। इस अड़ी में भाजपा काशी एवं गोरक्ष क्षेत्र संगठन महानंत्री रत्नाकर, मंत्री अनिल राजभर, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष व एमएलसी लक्ष्मण आचार्य, अशोक पांडेय, उर्मिला मिश्रा, मनीष कपूर, सुरेश सिंह, डा. उत्तम ओझा, वैभव कपूर, डा. रामसुधार सिंह, अशोक कपूर, मोहितोष नारायण, नवीन कपूर, नवरतन राठी आदि जुड़े। विषय प्रवर्तन धर्मेंद्र सिंह तथा संयोजन व धन्यवाद डा. सुनील मिश्र ने ज्ञापित किया।


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