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काशी में लोक आस्‍था के पर्व 'लोटा भंटा मेला' में संतति की कामना से बाटी चोखा का भोले को लगा भोग

काशी में लोक आस्‍था का पर्व लोटा भंटा मेला रामेश्‍वर तीर्थ धाम में सोमवार की सुबह से ही आस्‍था का केंद्र बना नजर आया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 08:54 AM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 10:01 AM (IST)
काशी में लोक आस्‍था के पर्व 'लोटा भंटा मेला' में संतति की कामना से बाटी चोखा का भोले को लगा भोग
काशी में लोक आस्‍था के पर्व 'लोटा भंटा मेला' में संतति की कामना से बाटी चोखा का भोले को लगा भोग

वाराणसी, जेएनएन। काशी में लोक आस्‍था का पर्व 'लोटा भंटा मेला' रामेश्‍वर तीर्थ धाम में सोमवार की सुबह से ही आस्‍था का केंद्र बना नजर आया। श्रद्धालुओं ने संतति कामना से वरुणा नदी में पुण्‍य की डुबकी लगाने के बाद मन्दिर में दर्शन पूजन और दान पुण्‍य के बाद उपले पर बाटी-चोखा बनाकर भगवान शिव को भाेग लगाकर लोगों में प्रसाद भी वितरित किया। सुबह से ही लोक आस्‍था का पर्व चटख हो गया और हर हर महादेव के साथ जय श्री राम से रामेश्‍वर मेला क्षेत्र आस्‍थावानों से गुलजार हो गया। जगह जगह उपलों पर बाटी चोखा का प्रसाद चढ़ा तो श्रद्धालुओं ने भोले के भाल गुलाल के साथ भोग लगाकर संतति कामना भी की।

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मान्‍यता है कि भगवान श्री राम के द्वारा यहां वरुणा नदी की रेत से स्‍थापित रामेश्‍वर महादेव के म‍ंदिर में दर्शन पूजन और बाटी चोखा का भोग लगाने से संतान की प्राप्ति भी होती है। इसी मान्‍यता की कड़ी में सोमवार की सुबह से ही रामेश्‍वर मेला क्षेत्र गुलजार हो गया और लोक आस्‍था के पर्व को मनाने के लिए लोग उपले पर बाटी चोखा और दाल चावल को पकाकर प्रसाद के रूप में भगवान शिव को भी चढ़ाया। भगवान को भोग लगाने के बाद लोगों ने प्रसाद चखा और मेला क्षेत्र में परिवार के लिए खरीदारी भी की।

रामेश्‍वर धाम की मान्‍यता

रामेश्वर क्षेत्र काशी पंचक्रोशी के तीसरे पड़ाव स्थल पर बसा हुआ है। किसी जमाने में करौंदा की बहुतायत होने की वजह से इसे 'करौना' गांव के तौर पर भी पहचाना जाता था। भगवान श्रीराम द्वारा पंचक्रोशी यात्रा में आने पर वरुणा नदी के एक मुठ्ठी रेत से 'शिव की प्रतिमा' स्थापना करने और भगवान शिव के साथ मिलन होने की वजह से ही इसे रामेश्वर महादेव (रामेश्वर तीर्थ धाम) की मान्‍यता मिली हुई है। आध्यात्मिक दृष्टि से विविध रूपों में शिव एक ही सत्ता के साथ यहां पर विराजमान माने जाते हैं।

लोक मान्‍यता का पर्व

मान्‍यता है कि रामेश्वर महादेव के दरबार में एक दम्पती ने पुत्र रत्न की कामना से यहां आकर पूजन अर्चन और विशिष्‍ट अनुष्‍ठान किया था, उनकी कामना महादेव की कृपा से पूर्ण हुई। इसी बात को आधार मानकर मार्गशीर्ष (अगहन) छठ पर 'लोटा -भंटा' का विशाल मेला लगता है। इस मेले में वरुणा नदी में डुबकी लगाने के बाद रामेश्वर महादेव में मत्था टेकने के बाद बाटी -चोखा और दाल बनाकर भोले बाबा को चढ़ाने के बाद लोग स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करते हैं। प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष (अगहन) छठ पर यह मेला गुलजार होता है और दूर दूर से लोग रामेश्वर महादेव से मनोकामना की आशा के साथ आते हैं।

लोटा-भंटा मेले को लेकर पुलिस प्रशासन भी एक दिन पूर्व से ही मुस्तैद हो गया। पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) एमपी सिंह ने रविवार को शाम साढ़े पांच बजे रामेश्वर मंदिर, घाट, पंच शिवाला स्थल सहित पंचकोसी मार्ग की व्यवस्था का अवलोकन किया। मेला क्षेत्र के अंदर मुर्गा-मांस व शराब के ठेके को बंद करने का निर्देश दिया।वरुणा में स्नान के दौरान गोताखोर की तैनाती, भारी वाहनों ट्रक, चार पहिया वाहन को पूरी तरह बंद रखने का आदेश दिया। टेंपो, बाइक को बैरियर लगाकर रोकने का निर्देश दिया। डीएफएमडी, सीसीटीवी कैमरा लगाने, दो एनडीआरएफ को तैनात किया। मंदिर व घाट पर महिला पुलिस की तैनाती, चेन स्नेचिंग करने वाली महिलाओं पर कड़ी निगरानी रखने के लिए जंसा एसओ रामाशीष व बड़ागांव एसओ संजय सिंह को ताकीद कराया।

मेला क्षेत्र में बड़ा झूला, आर्केस्ट्रा व ड्रामा, जुआ गेम, मांस व शराब की दुकाने बंद रखने का निर्देश दिया। राधा-कृष्ण मंदिर के महंत राममूर्ति दास उर्फ मद्रासी बाबा से रामेश्वर लोटा-भंटा मेले की महत्ता की जानकारी ली। किसी भी श्रद्धालु के साथ कोई अप्रिय वारदात न हो, इसके लिए मुस्तैद रहने के लिए पुलिस कर्मियों को सचेत किया। रामेश्वर तीर्थ धाम में एसडीएम राजातालाब अमृता सिंह भी देर शाम पहुंचीं और व्यवस्था का जायजा लिया। 

एक नजर में मेले की सुरक्षा व्यवस्था : 10 दरोगा, 05 हेड कांस्टेबल, 60 कांस्टेबल, 02 सेक्शन पीएसी जवान, 05 यातायात पुलिस, 10 महिला पुलिस, 02 जल पुलिस के अलावा डॉग स्क्वायड टीम।


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