Move to Jagran APP

Lockdown Day 7 in varanasi : बनारस में कदमों तले Lockdown और हवा में उड़ रही बंदिशें

कोरोना वायरस का डर लोगों के दिल और दिमाग में इस कदर बैठ गया है कि लॉकडाउन में भी लोग अपने कदम रोक नहीं पा रहे हैं।

By Edited By: Published: Tue, 31 Mar 2020 01:52 AM (IST)Updated: Tue, 31 Mar 2020 10:21 AM (IST)
Lockdown Day 7 in varanasi : बनारस में कदमों तले Lockdown और हवा में उड़ रही बंदिशें
Lockdown Day 7 in varanasi : बनारस में कदमों तले Lockdown और हवा में उड़ रही बंदिशें

वाराणसी, जेएनएन। कोरोना वायरस का डर लोगों के दिल और दिमाग में इस कदर बैठ गया है कि लॉकडाउन में भी लोग अपने कदम रोक नहीं पा रहे हैं। वे बिना कुछ सोचे-समझे और साधन नहीं मिलने पर भी पैदल घर को निकल रहे हैं। रास्ते में पुलिस के रोकने के बावजूद रुक नहीं रहे। पुलिस के नहीं सुनने पर वे दूसरा रास्ता अख्तियार कर ले रहे हैं। वे एक-दो जिला नहीं, बल्कि कई जिलों और प्रदेशों को पैदल ही पार कर घर की राह पर हैं। पैरों में छाले पड़ने के बाद भी कदम रुक नहीं रहे हैं, उन्हें बस अपना घर दिखाई दे रहा है। परिवार के लोग आने की आस में इंतजार कर रहे हैं। कुछ लोगों का मोबाइल डिस्चार्ज होने से परिवार से संपर्क टूट गया है जिससे वे काफी परेशान हैं। उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि अपनी फरियाद किससे कहें। कौन उनकी समस्या को दूर करेगा। बिहार के गया जिले के रहने वाले संजय दास का कहना है कि हरियाणा के पानीपत में कपड़ा बिनाई का काम था। लॉकडाउन के साथ काम बंद हो गया। रहने और खाने की समस्या खड़ी हो गई। साधन न मिलने पर पैदल ही वहां से चल दिया। रास्ते में मोबाइल गिर गया। गोरखपुर के 65 वर्षीय रामजी ने बताया कि रोजी-रोटी के लिए दो सप्ताह पहले मीरजापुर गया था। साधन न मिलने पर पैदल ही चल दिया। आजमगढ़ के राजेश कुमार का कहना है कि कानपुर में एक फैक्ट्री में काम करता था। काम बंद होने पर खाने को पैसे नहीं बचे। तीन दिन पैदल चलकर आज दानगंज पहुंचा। इसी तरह महाराजगंज के देवीशरण, दिलीप कुमार, सुदीप, राकेश के साथ कई लोग ठीकेदार के साथ बनारस आए थे। कहा कि कोई व्यवस्था नहीं होने पर हम लोग पैदल ही चल दिए। कदमों से नाप दिए 103 किलोमीटर सेवापुरी क्षेत्र के पेडूका के पूर्व सैनिक व रेलवे में गेटमैन रणजीत सिंह इंदारा मऊ स्टेशन से 103 किलोमीटर पैदल चलकर गांव पहुंचे। चंदौली के श्याम बिहारी कानपुर में एक कंपनी में काम करते हैं। तीन दिन पहले फैक्ट्री मैनेजर ने एक हजार रुपये किराया देकर घर जाने को कहा। वेतन भी नहीं दिया। ऐसे में पैदल आने के सिवाय दूसरा कोई रास्ता नहीं था। तीन छात्र साइकिल से निकले घर साधन नहीं मिलने पर गाजीपुर के तीन छात्र 127 किलोमीटर साइकिल से सारनाथ पहुंचे। गाजीपुर के आदित्य, अमित और आशुतोष ने बताया कि प्रयागराज में पढ़ाई करते हैं। लॉकडाउन होने के बाद खाने के सामान नहीं मिलने पर रविवार की रात 10 बजे साइकिल से घर के लिए चल दिए। जौनपुर से पैदल पहुंचे बनारस जौनपुर में काम करने गया सोनभद्र के दो दर्जन मजदूरों का दल ठीकेदार के भागने के कारण सोमवार सुबह घर के लिए पैदल ही निकला। शाम पांच बजे सभी बनारस पहुंचे। इसके बाद सभी साधन के लिए कैंट पहुंचे। जहां उन्हें जाने के लिए साधन नहीं मिला। यही नहीं लॉकडाउन होने के बाद भी सभी जिले में प्रवेश कर गए और उन्हें न तो रोका गया, न ठहराने की व्यवस्था हुई।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.