Lockdown in Varanasi अपनी ही नहीं, चिंता सबकी, BHU के दो छात्र कर रहे इंतजाम
बीएचयू स्थित सामाजिक विज्ञान संकाय में गांधी शांति अध्ययन केंद्र के छात्र वाराणसी में लॉक डाउन में लोगों की सहायता करने में जुटे है।
वाराणसी, जेएनएन। लॉकडाउन के चलते बीएचयू छात्रावासों में रह गए दूर-दराज के एक-दो छात्र अपने कमरे में क्वारंटाइन हो गुजर-बसर कर रहे हैं। इनमें ही शामिल पं. ब्रजनाथ छात्रावास के राज अभिषेक व मुरारी कुमार ने क्वारंटाइन का बंधन तोड़, अपनी चिंता छोड़ काशी की गलियों और गांवों में भूखे-बेसहारा लोगों को बीते चार दिनों से खाद्य सामग्री बांट रहे हैं। इनका उत्साह देख जिला प्रशासन ने एंबुलेंस और पास दे दिया है। इन दोनों विद्यार्थियों के इस परमार्थ के कार्य में जन विकास समिति व साझा संस्कृति मंच समेत अन्य संगठन मदद कर रहे हैं। अभी तक इन्होंने कुल 410 फूड किट बांटे हैैं, जिनसे तीन हजार लोग लाभान्वित हुए हैं।
किट में 15 दिन के लिए खाद्यान्न हैै। इसमें चावल, आटा, दाल, सरसों तेल, ब्रेड, बिस्किट, नहाने व कपड़ा धोने का साबुन और तीन मास्क शामिल है।
सामाजिक विज्ञान का अब है असल प्रयोग
बीएचयू स्थित सामाजिक विज्ञान संकाय में गांधी शांति अध्ययन केंद्र के छात्र राज अभिषेक बताते हैं साल भर समाज के संबंधों को व्याख्यान और किताबों में खूब पढ़ा था, लेकिन उसका वास्तविक प्रयोग मैं अब लॉकडाउन के दौरान देख पा रहा हूं। इस टीम में कुल 100 से ज्यादा लोग जुड़कर जरूरतमंदों की मदद का जिम्मा संभाल रहे हैं।
लॉकडाउन और खत्म मजदूरी
राज ने बताया कि चांदपुर स्थित मुसहर टोली में चार किमी की परिधि में कोई दुकान नहीं हैं। गेहूं की बालियां और उसके पत्ते उबालकर खाने को मजबूर लोगों तक सरकारी सुविधाओं की पहुंच नहीं हो पाई है। गांव निवासी गुड्डू अपनी मजबूरी की व्यथा सहायता दल से सुनाते हैैं कि लॉकडाउन से मजदूरी खत्म होने के बाद वह घर लौट आए, लेकिन अब भूख शांत करने और परिवार चलाने के लिए पैसे हैं, न राशन। इतना कहकर गुड्डू अन्न का पैकेट पाते ही उसे पकाने के लिए झट से अपने तंबू में चले जाते हैं। सहायता दल के मुताबिक चालीस परिवारों के इस गांव में ठोस सरकारी पहल की जरूरत है।