सोनभद्र में बालू साइड संचालन के लिए जारी हुआ लेटर, धारा-20 के प्रकाशन के बाद खनन का रास्ता साफ
बालू खनन का रास्ता साफ हो गया है। धारा-20 के प्रकाशन के बाद 11 बालू साइडों पर खनन के लिए पट्टा धारकों को सहमति पत्र जारी कर दिया गया है। पट्टा धारकों द्वारा पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र देते ही सभी खदानों में खनन का कार्य शुरू हो जाएगा।
सोनभद्र, जेएनएन। : जनपद में बालू खनन का रास्ता साफ हो गया है। धारा-20 के प्रकाशन के बाद ङ्क्षचहित 11 बालू साइडों पर खनन के लिए पट्टा धारकों को लेटर आफ इंटेंट (सहमति पत्र) जारी कर दिया गया है। पट्टा धारकों द्वारा पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र देते ही सभी खदानों में खनन का कार्य शुरू हो जाएगा। यह खनन जिले के अगोरी खास, भगवां, ससनई ब्रह्मोरी में किया जाएगा। इन बालू साइटों के प्रारंभ होने से प्रदेश सरकार को हर वर्ष 100 करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त होगा। वर्तमान समय में जिले में एक ही बालू साइट संचालित हो रही है।
वर्ष 2018 से लटका था मामला
जिले के 11 बालू साइटों के संचालन के लिए वर्ष 2018 में टेंडर जारी किया गया था लेकिन उक्त सभी जमीन धारा-4 में होने के कारण यहां पर खनन का कार्य शुरू नहीं हो सका। जिसके बाद खनन अधिकारी मोहम्मद महबूब ने इसके लिए शासन स्तर पर पत्राचार किया। जिसके बाद 21 दिसंबर 2020 को शासन ने धारा-20 का प्रकाशन कर दिया। धारा-20 के प्रकाशन के बाद टेंडर हुए सभी खदानों में खनन का रास्ता साफ हो गया।
क्या है धारा-4 व धारा-20
भारतीय वन अधिनियम की धारा-4 के तहत सरकार किसी भूमि को वन क्षेत्र में शामिल किए जाने का इरादा जाहिर करती है। वहीं अधिनियम की धारा-20 के तहत वो भूमि अंतिम तौर पर वन क्षेत्र घोषित कर दी जाती है।
पूर्वांचल की मंडियां होंगी प्रभावित
सोनांचल की लाल बजरी पूर्वांचल की मंडियों में पहुंचती है। पिछले कुछ समय से बालू खदानें बंद होने के कारण लाल बजरी के दाम आसमान छूने लगे थे। मांग के अनुपात में आपूर्ति न होने के कारण पड़ोसी राज्यों से बालू मंगाया जाता था, जिसके कारण इसके दाम बढ़ गए। अब जिले में एकसाथ 11 बालू की खदानें शुरू होने से निश्चित रूप से जहां एक ओर बालू की उपलब्धता बढ़ेगी तो वहीं दूसरी ओर इसके दाम भी गिरेंगे।
सभी पट्टा धारकों को खनन कार्य करने के लिए लेटर आफ इंटेंट जारी कर दिया गया है। पट्टा धारक जैसे ही पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र लाएंगे, उन्हें खनन करने की अनुमति दे दी जाएगी। 11 बालू खदान प्रारंभ होने से जहां एक तरफ पूर्वांचल की मंडियों में लाल बजरी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी तो वहीं दूसरी ओर शासन को हर वर्ष करोड़ों रुपये राजस्व के रूप में भी मिलेगा। - मोहम्मद महबूब।