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विंध्यवासिनी मंदिर के पास गंगा नदी में मत्‍स्‍य प्रजातियों के संरक्षण के लिए 15000 मत्स्य बीज छोड़े

सिफरी प्रयागराज के द्वारा गंगा नदी में 15000 भारतीय प्रमुख कार्प कतला रोहू मृगल मछलियों के बीज को रैचिंग कार्यक्रम के तहत छोड़ा गया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 29 Feb 2020 04:46 PM (IST)Updated: Sat, 29 Feb 2020 04:46 PM (IST)
विंध्यवासिनी मंदिर के पास गंगा नदी में मत्‍स्‍य प्रजातियों के संरक्षण के लिए 15000 मत्स्य बीज छोड़े
विंध्यवासिनी मंदिर के पास गंगा नदी में मत्‍स्‍य प्रजातियों के संरक्षण के लिए 15000 मत्स्य बीज छोड़े

मीरजापुर, जेएनएन। विंध्याचल के दीवान घाट पर गंगा नदी तट स्थित विंध्यवासिनी मंदिर के पास दीवान घाट पर शनिवार को नदी में विलुप्त हो रहे मत्स्य प्रजातियों के संरक्षण एवं संवर्धन को ध्यान में रखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद केंद्रीय अंतर स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफरी), प्रयागराज के द्वारा गंगा नदी में 15000 भारतीय प्रमुख कार्प, कतला, रोहू, मृगल मछलियों के बीज को रैचिंग कार्यक्रम के तहत छोड़ा गया। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के अंतर्गत आयोजित इस कार्यक्रम में संस्थान के केन्द्राध्यक्ष डॉ. डीएन झा ने उपस्थित लोगों को नमामि गंगे परियोजना के बारे में जानकारी दी। जिसके अंतर्गत पूरे गंगा नदी में कम हो रहे महत्वपूर्ण मत्स्य प्रजातियों के बीज का रैचिंग होना रखा है।

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बताया कि लोगों को गंगा के जैव विविधता और स्वच्छता के बारे में जागरूक करना भी मकसद है। संस्था के वैज्ञानिक डॉ. अबसार आलम ने समारोह में आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया तथा रैचिंग के महत्व को बताया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉक्टर के डब्ल्यू वारसी, उपनिदेशक मत्स्य विभाग मीरजापुर में भाग लिया। उन्होंने गंगा में मछलियों के महत्व तथा इसके संरक्षण एवं संवर्धन के बारे में अवगत कराया एवं गंगा के जैव विविधता को बचाने के लिए उपस्थित लोगों से आह्वान किया। इस अवसर पर सिफरी के अन्य वैज्ञानिकों ने अपने संबोधन में कहा कि मानव सभ्यता के अस्तित्व के लिए गंगा नदी का अस्तित्व में होना आवश्यक है। इसलिए सभी को गंगा के प्रति जागरूक होना चाहिए साथ ही गंगा को स्वच्छ रखने का संकल्प व्यक्त किया।

कार्यक्रम में गंगा विचार मंच, मत्स्य विभाग उत्तर प्रदेश, आसपास गांव के मत्स्य पालक, मत्स्य व्यवसायी, तथा गंगा तट पर रहने वाले स्थानीय लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में संस्थान के वैज्ञानिक डॉक्टर वेंकटेश ठाकुर ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आश्वस्त किया कि समाज की भागीदारी से हम इस परियोजना के उद्देश्यों को पाने में सफलता प्राप्त करेंगे। कार्यक्रम में संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. जीतेंद्र कुमार, राम सजीवन आदि ने सभा को संबोधित किया और आयोजन में भाग लिया।


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