मोबाइल पर जानें शहर की आबोहवा का हाल
वाराणसी : बनारस को अब महानगर कहना ठीक नहीं होगा इसने कस्मोपालिटन सिटी (जिस शहर में विभिन्न समुदाय के लोग एक रहते हो) कहना ज्यादा उचित होगा। लगभग 20 लाख आबादी वाले शहर के लोगों के फेफड़ों का हाल बताने के लिए मात्र दो वायु प्रदूषण मापक यंत्र हैं लेकिन अब स्थिति बदलने वाली है। बनारस के वायु प्रदूषण का स्तर बताने के लिए विभिन्न स्थानों पर 50 एयर सेंसर लगाए जा रहे हैं। इसके परिणाम आप कभी भी अपने मोबाइल पर देख सकते हैं। वाराणसी : बनारस को अब महानगर कहना ठीक नहीं होगा इसने कस्मोपालिटन सिटी (जिस शहर में विभिन्न समुदाय के लोग एक रहते हो) कहना ज्यादा उचित होगा। लगभग 20 लाख आबादी वाले शहर के लोगों के फेफड़ों का हाल बताने के लिए मात्र दो वायु प्रदूषण मापक यंत्र हैं लेकिन अब स्थिति बदलने वाली है। बनारस के वायु प्रदूषण का स्तर बताने के लिए विभिन्न स्थानों पर 50 एयर सेंसर लगाए जा रहे हैं। इसके परिणाम आप कभी भी अपने मोबाइल पर देख सकते हैं।
वाराणसी : बनारस को अब महानगर कहना ठीक नहीं होगा इसने कस्मोपालिटन सिटी (जिस शहर में विभिन्न समुदाय के लोग एक रहते हो) कहना ज्यादा उचित होगा। लगभग 20 लाख आबादी वाले शहर के लोगों के फेफड़ों का हाल बताने के लिए मात्र दो वायु प्रदूषण मापक यंत्र हैं लेकिन अब स्थिति बदलने वाली है। बनारस के वायु प्रदूषण का स्तर बताने के लिए विभिन्न स्थानों पर 50 एयर सेंसर लगाए जा रहे हैं। इसके परिणाम आप कभी भी अपने मोबाइल पर देख सकते हैं।
आइआइटी मद्रास के पर्यावरण एवं जल संसाधन इंजीनिय¨रग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर एसएम शिवा नागेंद्र ने एयर ओके टेक्नोलाजी सिस्टम का उपयोग कर ऐसा डिवाइस विकसित किया है जो 24 घंटे आपके मोबाइल पर वायु प्रदूषण में पीएम 2.5, पीएम 10 और एनओ 2 का स्तर बताएगा। इस शोध को एक स्टार्ट अप कंपनी धरातल पर ला रही है। कंपनी इस डिवाइस का इस्तेमाल कर शहर के लोगों को बताएगी कि अमुक स्थान पर अभी वायु प्रदूषण का स्तर क्या है। स्टार्ट अप कंपनी मुंबई, नोएडा, दिल्ली, कानपुर और लखनऊ सहित 70 शहरों में एयर सेंसर लगाएगी जिसमें बनारस भी शामिल है।
यहां पर लगे हैं वायु प्रदूषण स्तर बताने वाले दो यंत्र
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की देखरेख में अर्दली बाजार की एक गली में यंत्र लगा है। साथ ही दूसरा यंत्र छावनी परिषद ने नेहरू पार्क में लगवाया है।
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सितंबर में सर्वे होगा शुरू
स्टार्ट अप के इंजीनियर सितंबर में नगर का सर्वे करेंगे और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहयोग से 50 सेंसर लगाएंगे। इनको इस तरह से लगाया जाएगा कि अधिक से अधिक आबादी कवर हो जाए।
रोड मैप बनाने में मिलेगी मदद
50 सेंसर लग जाने से हमारे विभाग को रोड मैप बनाने में भी मदद मिलेगी। हमें पता चल सकेगा कि किस क्षेत्र में किस समय कितना वायु प्रदूषण है और इसका कारण क्या है।
डा. एससी शुक्ला, वैज्ञानिक
अधिकारी, उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
विश्व स्वास्थ्य संगठन भी जता चुका है चिंता
कुछ महीने पहले विश्व स्वास्थ्य
संगठन ने वायु प्रदूषण से सर्वाधिक प्रभावित शहरों की सूची जारी की थी, उसमें बनारस भी शामिल था। उसके बाद जिला प्रशासन ने कई कदम उठाए। इसके परिणाम सही मायने में सर्दियों में देखने को मिलेंगे।