पपीते के ताजी पत्तियों का रस है जीवन दायक, कई बीमारियों में पहुंचाता बड़ी राहत
पपीता बहुतायत से पाया जाने वाला फल है, फल के अलावा कुछ लोग पपीते के पत्तों का काफी इस्तेमाल करने लगे हैं यह डेंगू ही नहीं कई बीमारियों में असरकारक है।
वाराणसी [वंदना सिंह] । पपीता भारत में बहुतायत से पाया जाने वाला फल है । ग्रामीण क्षेत्र के लोग इसे सुबह सुबह बड़े ही चाव से खाते है। पपीते के फल के अलावा कुछ लोग पपीते के पत्तों का काफी इस्तेमाल करने लगे हैं। इसके प्रयोग से घातक रोग जैसे कैंसर, दिल की बीमारी डेंगू, ब्लड शुगर तथा आंतों में बसे परजीवियों को नष्ट करने में सफलता मिलती है। यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
आयुर्वेद में इसका वर्णन बहुत प्राचीन काल से मिलता है और बहुत से रोगों में इसका प्रयोग बताया है। आयुर्वेद में वर्णित गुणों की जांच आधुनिक शोध से की जा रही है जो आज भी शत प्रतिशत सही पाई जा रही है।
चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य डा. अजय कुमार ने बताया की पपीते की ताजी और छोटी पत्तियां शरीर से डेंगू के विषैले जहर को निकालने में मदद करती हैं। पपीते की ताजी पत्तियों को पीस कर उसके रस को रोगी को पिलाने से प्लेटलेट्स बढऩे शुरु हो जाते हैं।
पपीते से लाभ : यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के रिसर्च सेंटर में एक रिसर्च ने पपीते के पत्तों के जूस के फायदों के बारे में बताया गया है। इस अध्ययन में पाया गया है कि पपीते के पत्तों का जूस कैंसर से लडऩे में प्रभावी हो सकता है और इससे इम्यूनिटी बढ़ती है जो वाकई में डेंगू के केसेज में महत्वपूर्ण है। वाल्टर (2008) ने इसकी पत्तियों के जूस पर किये गए शोध में पाया की इसमे एक (एंटी टर्नर एजेंट) पाया जाता है जो की कैंसर जैसे रोगों में लाभ पहुंचता है।
2010 में अमेरिकी और जापान के जनरल ऑफ इथनोफार्मोकॉलिजी के अनुसार ये माना गया है कि पपीते की पत्तियों में ऐसे एंजाइम मौजूद हैं जो कैंसर और ट्यूमर के कुछ प्रकारों से लडऩे की क्षमता रखते हैं जैसे ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, लीवर कैंसर, लंग कैंसर और पैंक्रियेटिक कैंसर आदि।
इसकी पत्तियों से एक दुधिया द्रव्य निकलता है जिसमें पपेन एंजाइम पाया जाता है जो की सबसे बढिय़ा अप्पेटाइजर है।
आयुर्वेद में वर्णन मिलता है
1. यह कफ़वात शामक है ।
2. इसकी पतियों में पाए जाने वाले रस से हृदस्पन्दन कम होता है।
3. इसमें पाए जाने वाले एंजाइम से भोजन का पाचन शीघ्र हो जाता है।
4. इसमें पाए जाने वाले रस से पेट के कीड़े या तो मर जाते है या या बाहर निकल जाते है।
5. इसके पत्ते ज्वरघ्न होते हैं यानी ज्वर का नाश करते हैं।
6. इसका दूध स्किन के रोगों में फायदा पहुंचाता है।
7. मूत्र रोगों में इसके पत्ते उबालकर पाइन से लाभ मिलता है।