पुलिस पेंशनरों का करोड़ों रुपये उड़ाने वाले गैंग का सरगना गिरफ्तार, सीआरपीएफ जवान के बेटे ने दिया घटना को अंजाम
बैंक व ट्रेजरी अधिकारी बनकर पुलिस पेंशनरों के खाते से करोड़ों रुपये उड़ाने वाले गैंग के सरगना संदीप चौबे को साइबर क्राइम पुलिस ने साथी के साथ गिरफ्तार कर लिया। संदीप सीआरपीएफ जवान का बेटा और पढ़ा-लिखा बताया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : बैंक व ट्रेजरी अधिकारी बनकर पुलिस पेंशनरों के खाते से करोड़ों रुपये उड़ाने वाले गैंग के सरगना संदीप चौबे को साइबर क्राइम पुलिस ने साथी के साथ गिरफ्तार कर लिया। संदीप सीआरपीएफ जवान का बेटा और पढ़ा-लिखा बताया जा रहा है। इसकी उम्र 25 साल और इसके साथ की उम्र 22 साल है। इसकी गैंग में ज्यादातर कम उम्र के ही लड़के हैं।
गैंग ने कई पुलिस पेंशनरों को ठगी का शिकार बनाया है। उनके खाते से पांच से छह करोड़ रुपये उड़ा दिए हैं। पकड़े गए ठगों के पास से एक लैपटाप, 16 अन्य मोबाइल व सिम, 18 बैंकों के पासबुक व चेकबुक, 10 आधार कार्ड, 20 एटीएम कार्ड, दो पैन कार्ड, एक सोने की चेन, 8420 रुपया नकद बरामद किया। इनके कई बैंकों के खाते में लगभग 11 लाख रुपया सीज कर दिया गया है।
पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त गाजीपुर के सेमरा निवासी उपेन्द्र कुमार सिंह ने साइबर क्राइम पुलिस थाना में 18 लाख रुपये ठगी का मामला दर्ज कराया था। गाजीपुर के बारा निवासी लल्लन प्रसाद भी ठगी का शिकार हुए थे। वह 25वीं वाहिनी पीएसी रायबरेली से कम्पनी कमान्डर पद से सेवानिवृत्त हुए थे। मामलों की जांच के दौरान साइबर ठगों के गैंग का पता चल। साइबर क्राइम थाना प्रभारी विजय नारायण मिश्रा के अनुसार मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर गैंग के सरगना व साथी को पकड़ लिया गया। इनकी पहचान जहानाबाद के दवाली बिगहा के चंदन सागर उर्फ चंदन कुमार और बलिया के चैन छपरा के संदीप कुमार चौबे उर्फ लकी के रूप में हुई। उसने बताया कि बैंक या ट्रेजरी अधिकारी बनकर लोगों को झांसा देकर एनीडेस्क या क्विक सपोर्ट एप डाउनलोड कराकर उनके खातों से रुपये उड़ा देते हैं। बड़ी संख्या में पुलिस पेंशनरों को भी ठगी का शिकार बनाया है।
योजनाओं का लाभ देने का लालच देकर लोगों से उनका पैन व आधार कार्ड मंगाकर उसकी सारी जानकारी बेस्ट कार्ड प्रिंट पोर्टल पर भरकर अपनी फोटो लगाकर फर्जी आधार व पैन कार्ड बना लेते हैं। इसका इस्तेमाल बैंक खाता खोलने वा सिम कार्ड हासिल करने में करते हैं। संदीप साइबर अपराध से कमाए रुपयों से जमीन की प्लाटिंग में पैसा लगाता था। चार पहिया गाड़ी खरीद कर लग्जरी जीवन व्यतीत कर रहा था। गैंग के सदस्य बनारस कानपुर, अयोध्या, दिल्ली, जमशेदपुर, पटना,नालंदा में शिकार तलाशने के लिए होटलों में ठहरते थे।