दो साल से बेसुध पड़ी काया को काय चिकित्सा से मिली संजीवनी
जागरण संवाददाता वाराणसी दो साल से बेटी के बेसुध शरीर को लेकर परिवार के लोग निजी अस्प
जागरण संवाददाता, वाराणसी : दो साल से बेटी के बेसुध शरीर को लेकर परिवार के लोग निजी अस्पतालों की ठोकर खा रहे थे, लेकिन काय चिकित्सा ने सुन्न पड़े शरीर को सजीव कर दिया। बीएचयू के आयुर्वेदिक उपचार का ऐसा कमाल हुआ कि एक माह में ही बेटी अपने पैरों पर चलने लगी।
यह दृश्य देखने को मिला है बीएचयू आयुर्वेद की ओपीडी में। देश भर के कई न्यूरो सर्जन सत्या का इलाज चला चुके थे लेकिन उसकी हालत जस की तस थी। कमर के नीचे के हिस्से और हाथ पूरी तरह बे-दम थे। हाथ पैर में चिपके हुए थे। परिवार के लोगों को उम्मीद नहीं थी कि अब वह बिस्तर से कभी उठ पाएगी। चंदौली की रहने वाली वही सत्या चौबे अब बिना किसी सहारे के अपना काम खुद से कर रही है।
इससे पहले, जब बेटी को किसी के इलाज से कोई लाभ नहीं हुआ तो परिवार के लोग एक दिन उसे लेकर आयुर्वेद संकाय के काय चिकित्सा विभाग में प्रो. जेएस त्रिपाठी के पास पहुंचे। मामला बेहद जटिल था, सत्या के इलाज की प्रक्रिया शुरू हुई। काय चिकित्सा के अंतर्गत नस्य पद्धति से नाक से दवाओं को प्रवेश कराया गया। अभ्यंग चिकित्सा के तहत जड़ी-बूटी के सिद्ध तेल से मालिश और अन्य कई आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन एक माह तक कराया गया। प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि सत्या की एमआरआइ रिपोर्ट के अनुसार उसे सर्वाइकल और डिस्क प्रोलैप्स की समस्या थी। डिस्क अपनी जगह से खिसक गया था। गर्दन का हिस्सा काम नहीं कर रहा और यूरिन भी अनियंत्रित थी। इस स्थिति में पहला दिन तो रोग के बारे में समझते-समझते गुजर गया, उसके बाद औषिधियों का एक खाका तैयार कर इलाज शुरू हुआ। बीच में महज एक बार सत्या की दवा बदली गई। इसके एक माह बाद जब सत्या ओपीडी में आई तो उसे चलते हुए देखकर चिकित्सकों को काफी हैरानी हुई।