श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में दूसरे दिन भी ठगे गए श्रद्धालु, शुल्क जमाकर दुग्धाभिषेक से रोका
दिल्ली से आए पांच श्रद्धालुओं के पास 50 लीटर दूध से बाबा का अभिषेक की अनुमति का पत्र होने के बाद भी सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें गर्भगृह के बाहर ही रोक दिया, पांचों श्रद्धालु दो घंटे इंतजार में खड़े रहे।
वाराणसी, जेएनएन। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा भक्तों की श्रद्धा पर दूसरे दिन भी व्यवस्थागत मनमानी भारी पड़ी। दिल्ली से आए पांच श्रद्धालुओं के पास 50 लीटर दूध से बाबा का अभिषेक की अनुमति का पत्र होने के बाद भी सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें गर्भगृह के बाहर ही रोक दिया। पांचों श्रद्धालु दो घंटे इंतजार में खड़े रहे। अनुमति पत्र दिखाने के बाद भी बात न बनी और मध्याह्न भोग आरती का समय हो जाने से गर्भगृह के पट बंद हो गए। ऐसे में परिसर स्थित तारकेश्वर महादेव को दूध समर्पित किया। भारी मन से मंदिर प्रशासन से लिखित शिकायत की और कार्रवाई की मांग के साथ दिल्ली लौट गए।
पांच सदस्यीय श्रद्धालु दल ने बाबा का रूद्राभिषेक व 50 लीटर दूध से अभिषेक के लिए दिल्ली से ही आनलाइन शुल्क जमा किया था। सुबह 9.30 बजे मंदिर पहुंचे तो 11 शास्त्रियों ने रूद्राभिषेक तो करा दिया लेकिन जब दूध चढ़ाने की बारी आई तो द्वार पर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने नियमों का हवाला देते रोक दिया।
छह माह में अपडेट न हुई वेबसाइट : दरअसल, पिछले साल मंदिर प्रबंधन ने न्यास की बैठक में आधा लीटर से अधिक दूध चढ़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसे मंदिर वेबसाइट की ऑनलाइन टिकटिंग व्यवस्था में संशोधित नहीं किया गया। ऐसे में मंदिर प्रशासन को गलती स्वीकारते हुए विशेष प्रावधान के तहत अनुमति पत्र जारी करना पड़ा। इसके बाद भी सुरक्षाकर्मियों ने इस पर अमल के बजाय श्रद्धालुओं की भावना से खिलवाड़ किया। इस संबंध में ज्ञानवापी नियंत्रण कक्ष का कहना था कि अधिक भीड़ के कारण दर्शनार्थियों को रोक पाना मुश्किल था। इस कारण दुग्धाभिषेक के लिए छोडऩा संभव न था।
मंदिर प्रशासन की चूक पड़ रही श्रद्धालुओं पर भारी : श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में व्यवस्थागत खामी का खामियाजा लगातार दूसरे दिन भी श्रद्धालुओं को भुगतना पड़ा। शुक्रवार को अनुष्ठान टिकट रैकेट के फर्जीवाड़े में 28 श्रद्धालु तय शुल्क से अधिक राशि खर्च करने के बाद बी रूद्राभिषेक से वंचित रह गए थे। टिकट का फर्जीवाड़ा पकड़े जाने के बाद श्रद्धालुओं को सिर्फ दर्शन करा कर और आरती दिखा कर विदा कर दिया गया था। ऐसा ही शनिवार को भी नई दिल्ली से आए श्रद्धालुओं के साथ हुआ। इससे मंदिर में श्रद्धालुहित में सुविधाएं बढ़ाने के दावे को पलीता लगा। इससे पहले प्रवासी दिवस सम्मेलन के दौरान भी मेहमानों को पलीता लगाने का प्रकरण सामने आया था।
कुंभ स्नानार्थियों का रेला, बाबा दरबार क्षेत्र जाम : प्रयागराज कुंभ में डुबकी लगाने जा रहे और लौट कर आ रहे श्रद्धालुओं की भीड़ से शनिवार को बाबा दरबार क्षेत्र जाम हो गया। भोर में मंगला आरती के बाद से ही जो कतार लगी तो रात तक इसका पारावार न रहा। एक कतार बांसफाटक होते गोदौलिया के रास्ते दशाश्वमेध तो दूसरी सरस्वती फाटक होते गली केरास्ते डेढ़सी पुल पहुंच गई। हर ओर गलियों से लेकर सड़कों तक भक्तों का रेला उमड़ता रहा, इससे परिक्षेत्र का दायरा कम पड़ता रहा। ऐसे में लोगों को बाबा गर्भगृह तक पहुंचने में छह घंटे लग गए। इसके अलावा पूरे इलाके में जाम के कारण सैलानियों व व्यापारियों को भी दिन भर जूझना पड़ा।
स्थिति यह कि तत्काल दर्शन के लिए 300 रुपये में सुगम दर्शन का टिकट लेने वालों की भी कतार लंबी हो गई। इससे पहले बांसफाटक व सरस्वती फाटक स्थित हेल्प डेस्क पर टिकट लेने वालों की अलग ही कतार लग गई। इससे सकते में आए मंदिर प्रशासन को काउंटर बंद करना पड़ा। माना जा रहा है कि मौनी अमावस्या के बाद दर्शनार्थियों की भीड़ और बढ़ेगी जो वर्तमान व्यवस्था पर भारी पड़ सकती है।