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Kashi Tamil Sangamam : एक ही स्थान पर करें दक्षिण और उत्तर के 90 प्रमुख मंदिरों का दर्शन, आकर्षण का बना केंद्र

Kashi Tamil Sangamam तमिलनाडु और काशी दोनों जगहों के प्रसिद्ध मंदिरों का छायाचित्र लगाया गया है। 90 छायाचित्र प्रदर्शित किए गए हैं। जिसमें लगभग 61 छायाचित्र तमिलनाडु के और 29 काशी के हैं। काशी और तमिलनाडु का बड़ा ही गहरा नाता रहा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 23 Nov 2022 04:55 PM (IST)Updated: Wed, 23 Nov 2022 04:55 PM (IST)
Kashi Tamil Sangamam : एक ही स्थान पर करें दक्षिण और उत्तर के 90 प्रमुख मंदिरों का दर्शन, आकर्षण का बना केंद्र
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र वाराणसी द्वारा 90 प्राचीन मंदिरों और देवी-देवताओं के मूर्तियों की एग्जीबिशन लगाई गई है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। Kashi Tamil Sangamam काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एंफीथिएटर ग्राउंड में चल रहे काशी तमिल संगमम् में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र वाराणसी द्वारा काशी और तमिलनाडु के 90 प्राचीन मंदिरों और देवी-देवताओं के मूर्तियों की एग्जीबिशन लगाई गई है। इसमें वाराणसी के 29 और 61 मंदिर तमिलनाडु के हैं। एग्जीबिशन में तमिलनाडु के मंदिरों की भव्यता और आर्किटेक्चर देखते ही बनती है। वहीं, काशी की दुर्लभ देव मूर्तियां लोगों को आकर्षित कर रहा हैं।

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इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा यह प्रदर्शनी लगाई गई है। जिसमें तमिलनाडु और काशी दोनों जगहों के प्रसिद्ध मंदिरों का छायाचित्र लगाया गया है। कुल 90 छायाचित्र प्रदर्शित किए गए हैं। जिसमें लगभग 61 छायाचित्र तमिलनाडु के और 29 काशी के हैं। काशी और तमिलनाडु का बड़ा ही गहरा नाता रहा है। और उस संबंध के केंद्र में भगवान शिव हैं। काशी भगवान शिव की सबसे प्यारी नगरियों में से एक है, तमिलनाडु के भी अधिकतर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।

इन दोनों जगहों के मंदिरों का छायाचित्र यहां लगाया गया है। काशी तमिल संगमम् के सर्वाधिक केंद्र में उन्होंने मंदिरों के आकृति को लेकर बताया कि दोनों तरफ दो तरह के मंदिर बनते हैं दक्षिण भारत के जो मंदिर है वह मूल रूप से द्रविड़ परंपरा के हैं जिन्हें द्रविड़ शैली कहा जाता है। और उत्तर भारत के जो मंदिर हैं वह नागर शैली के मंदिर हैं। नागर शैली के मंदिरों में विशेषता होती है कि उनका जो गर्भ गृह के ऊपर का शिखर होता है वह सबसे महत्वपूर्ण और विशाल होता है ।

जबकि द्रविड़ संस्कृति के मंदिरों में द्रविड़ शैली के मंदिरों की विशेषता होती है कि उनका प्रवेश द्वार सबसे विशाल होता है और उसमें एक खास प्रकार की नक्काशी होती है।

उन्होंने कहा कि देवता एक ही है लेकिन अस्थान भिन्नता के कारण जो निर्माण शैली है वह दोनों की अलग-अलग है। इस संगमम् में सबसे महत्वपूर्ण बात है एक ही देवता को समर्पित मंदिर कैसे-कैसे क्षेत्रीय विविधता के कारण अलग-अलग बनते हैं और उनका एक अपना अलग संस्कार है। वह देखने को मिल रहा हैं।

25 को शामिल होंगी तेलंगाना की राज्यपाल और पुडुचेरी की एलजी

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में आयोजित काशी-तमिल संगमम के तहत शुक्रवार को एमफीथियेटर ग्राउण्ड पर अकादमिक सत्र पूर्वान्ह 10 बजे आरम्भ होगा। इस सत्र में मुख्य अतिथि के तौर पर तेलंगाना की राज्यपाल एवं पुडुचेरी की लेफ्टिनेन्ट गवर्नर डॉ. टी. सौन्दराराजन होगी। इस सत्र का विषय वस्तु महाकवि सुब्रमणिया भारती से प्रेरणा तथा उनका काशी से सम्बन्ध (Inspirations From Mahakavi Subramania Bharti and His Kashi Connect) है। उक्त जानकारी अकादमिक सत्र की समन्वयक एवं सामाजिक विज्ञान संकाय प्रमुख प्रो. बिन्दा डी. परांजपे ने दी।


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