पाकिस्तान के ननकाना साहिब से वाराणसी पहुंची अंतरराष्ट्रीय कीर्तन शोभायात्रा Varanasi news
सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव के जन्मस्थान पाकिस्तान के ननकाना साहिब से चलकर अमृतसर होते हुए शुक्रवार देर शाम काशी पहुंची अंतरराष्ट्रीय कीर्तन शोभायात्रा।
वाराणसी, जेएनएन। सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव के जन्मस्थान पाकिस्तान के ननकाना साहिब से चलकर अमृतसर होते हुए शुक्रवार देर शाम काशी पहुंचे अंतरराष्ट्रीय कीर्तन शोभायात्रा का रथयात्रा चौराहे पर काशीवासियों ने भव्य स्वागत किया। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से 'बोले सो निहाल, सत् श्री अकाल..' के जयघोष लगते रहे। इस दौरान गुरुग्रंथ साहिब की पालकी व गुरुनानक देव महाराज के खड़ाऊं के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।
गुरुनानक देव जी महाराज के 550वें प्रकाश पर्व के तहत पाकिस्तान के ननकाना साहिब से एक अगस्त को निकली शोभायात्रा का काशी में अभिनंदन करने के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। सुसज्जित वाहन पर नगाड़े को बजाकर गुरुनानक देव जी महाराज का संदेश देता रागी जत्था, वाहनों पर सवार पंच प्यारे और आगे-आगे रथ पर आसीन गुरुग्रंथ साहिब की पालकी जिसके ठीक पीछे गुरुनानक देव जी महाराज के खड़ाऊं व बटखरा का दर्शन करने वालों की कतार दृश्य को अलौकिक बना रहे थे। वहीं गुरुगोविंद सिंह के शस्त्रों का दर्शन कर संगत निहाल हुई। लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, औराई होते हुए शोभायात्रा रथयात्रा चौराहा पहुंची थी।
रथयात्रा चौराहे के पास जत्थे में शामिल करीब 200 लोगों का स्वागत-सत्कार किया गया। इसके बाद यात्रा गुरुद्वारा गुरुबाग के लिए बढ़ चली जिसके आगे-आगे गुरुनानक स्कूल के छात्र कीर्तन बैंड-बाजे संग चल रहे थे। वहीं श्रद्धालुजन सड़कों की धुलाई करने के साथ ही पुष्पवर्षा कर रहे थे। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के मुख्य ग्रंथी भाई सुखदेव सिंह के मुताबिक रात्रि विश्राम के बाद शनिवार की सुबह कीर्तन यात्रा पटना स्थित हरमिंदर साहिब के लिए रवाना होगी। अंतरराष्ट्रीय कीर्तन शोभायात्रा का लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वागत किया था।
हजारों की संगत से लगा जाम : अंतरराष्ट्रीय नगर कीर्तन शोभायात्रा के स्वागत को रथयात्रा चौराहे पर हजारों की भीड़ उमड़ी पड़ी। इससे लंबा जाम लग लग गया। रथयात्रा से गुरुद्वारा गुरुबाग तक यात्रा को पहुंचाने में पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी। निशान साहिब रहे श्रद्धा के केंद्र शोभायात्रा में हर कोई गुरुग्रंथ साहिब की पालकी के साथ गुरुनानक देव जी महाराज के खड़ाऊ को मत्था टेकने को लालायित था। मत्था टेकने वाली संगत को सेवादार प्रसाद वितरित कर रहे थे।