पर्यावरण की बढ़ी चुनौती : हीट आइलैंड बनती जा रही है काशी, बढ़ रहा सेहत पर खतरा
प्रकृति से अन्याय एसी की गर्म हवा व सकरी गलियों से काशी अब हीट आइलैंड बन गई है। कई दिनों तक लगातार गर्मी होने के बाद भी शहर में बारिश की संभावना नही के बराबर हो रही है।
वाराणसी, जेएनएन। प्रकृति से अन्याय, एसी की गर्म हवा व सकरी गलियों से काशी अब हीट आइलैंड बन गई है। कई दिनों तक लगातार गर्मी होने के बाद भी शहर में बारिश की संभावना नही के बराबर हो रही है। रही सही कसर हर साल औसत तापमान में 0.5 से 0.6 डिग्री की वृद्धि पूरा कर रही है। एसी का प्रचलन वर्ष 2000 के बाद कुछ यूं बढ़ा कि शापिंग मॉल, बहुमंजिला भवन से लगायत लगभग हर दूसरे घर में एसी लगा हुआ है। यही वजह है कि बारिश में कमी होने से गर्मी भी बेतहाशा बढ़ रही है।
प्रसिद्ध मौसम विज्ञानी प्रो. एसएन पांडेय बताते हैं कि अचानक ही अधिकतम तापमान बहुत अधिक हो जाए और इसके बाद बारिश हो जाएं तो कोई खतरा नहीं है, लेकिन लगातार कई दिनों तक पारा 40 डिग्री से अधिक रहे तो यह चिंता की बात है। ऐसा कुछ वर्षो में देखने को भी मिल रहा है। इस साल तो स्थिति और ही भयावह है। मात्र 20 साल में 11 गर्म साल आकड़ों पर गौर करें तो 1901 से 2010 तक 22 गर्म साल रहा, जिसमें 1995 से यानी मात्र 20 साल में ही हमें 11 गर्म साल से सामना करना पड़ चुका है। धर्म की नगरी कही जाने वाली काशी भी प्रकृति की इस मार से नहीं बच रही है। यहां हर 10 साल में 12 ऐसे दिन आए हैं, जिसकी रातें सबसे अधिक गर्म हो रही है।
-नहीं चेते तो दो माह ही रह जाएगी ठंडी धरती एवं इस पर निवास करने वाले जीवों का संतुलन बरकरार रखने के लिए एक साल में करीब 93 दिन ठंड का होता है। हालांकि आधुनिकता की होड़ में वातावरण असंतुलित होने लगा है। अब हर 10 वर्ष पर ठंड का दिवस 2.2 दिन कम हो रहा है। अगर ऐसा ही चलते रहा तो अगले 100 साल में ठंड का मौसम महज दो माह के ही होने लगेंगे।
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