काशी की बेटी ने बनाया ऐसा डिवाइस कि एक बटन दबाते ही पहुंचेगी पुलिस, 'लॉक' होगी घरेलू हिंसा
प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र निवासी अंजली श्रीवास्तव ने एंटी होम क्राइम पैनिक बटन डिवाइस बनाकर घरेलू हिंसा जैसी समस्या का हल तलाशने की पहल की है।
वाराणसी, [मुहम्मद रईस]। कोरोना से युद्ध के क्रम में भारत समेत दुनिया के कई मुल्कों में महिलाओं व बच्चों के प्रति हिंसक घटनाओं में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यूनाइटेड नेशन के जनरल सेक्रेटरी सहित तमाम विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त करते हुए इमरजेंसी वार्निंग सिस्टम बनाने का सुझाव भी दिया था, जिस पर कई देशों में काम भी हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र निवासी अंजली श्रीवास्तव ने एंटी होम क्राइम पैनिक बटन डिवाइस बनाकर इस समस्या का हल तलाशने की पहल की है।
घर में रहने वाली गृहणियां या पीजी में रहने वाली छात्राएं और प्रोफेशनल मुसीबत आने पर इसकी मदद से तत्काल मदद के लिए पुलिस बुला सकेंगी। अशोका इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट की छात्रा रही अंजली ने इलेक्ट्रानिक एंड कम्यूनिकेशन में बीटेक किया था। पांच वर्ष पूर्व उन्होंने लड़कियों व महिलाओं की सुरक्षा के लिए एंटी रेप जींस, शॉकिंग ग्लव्स आदि बनाए थे। कहीं से मदद न मिलने के कारण इन डिवाइसों पर अधिक काम नहीं हो पाया था। इसके बाद वे गुरुग्राम चली गई और वहीं मल्टी नेशनल कंपनी में जॉब करने लगीं। लॉकडाउन से पहले वे बनारस आईं और यहीं रह गई।
इस अवधि में महिलाओं व बच्चों के प्रति हिंसा की खबरों ने उन्हें दोबारा कुछ करने को प्रेरित किया। फिर क्या, उन्होंने एंटी होम क्राइम पैनिक बटन नाम से डिवाइस बना डाला। अशोका इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंचार्ज श्याम चौरसिया ने कहा कि डिवाइस को परिष्कृत करने में हर तरह की तकनीकी मदद के लिए वे तैयार हैं। यदि सरकार मदद करती है तो इस तरह की डिवाइस बनाकर आमजन तक पहुंचाई जाएगी।
इस तरह करता है काम
अंजली के मुताबिक डिवाइस को रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए जीपीए तकनीक से जोड़ कर तैयार किया गया है। इसमें एक से लेकर पांच इमरजेंसी पैनिक बटन जोड़े जा सकते हैं। इसका रेंज 100 मीटर तक है, जबकि बैटरी करीब आठ माह तक काम करेगी। वायरलेस पैनिक बटन आकार में काफी छोटा है, जिसे महिलाएं अपने जरूरत के मुताबिक किचन, बेडरूम, डायनिंग रूम, बाथरूम कहीं भी छुपाकर रख सकती हैं।
जरूरत पडऩे पर या घर के भीतर किसी तरह की हिंसा की घटना होने पर एक बटन दबाने से स्थानीय थाने तक संदेश पहुंच जाएगा और तत्काल मदद मिल जाएगी। जीपीएस की मदद से जहां पुलिस पीडि़त तक आसानी से पहुंचेगी, वहीं ऑडियो रिकाॄडग भी सबूत के तौर पर भेजी जा सकेगी। गृहणियों के साथ ही पीजी में रहने वाली युवतियां के अलावा छात्राएं अपने बैग में इसे रखकर रास्ते में अचानक किसी मुसीबत आने पर मदद बुला सकेंगी।