काशी आनंद में डम-डम बजा डमरू, गूंजीं कबीर की सखियां
भारत आनंद, काशी आनंद के तहत डा. राजेंद्र प्रसाद घाट पर गुरुवार को उत्तर प्रदेश के कलाकारों ने सांस्कृतिक संध्या को विविध रंगों में सराबोर कर दिया।
वाराणसी : भारत आनंद, काशी आनंद के तहत डा. राजेंद्र प्रसाद घाट पर गुरुवार को उत्तर प्रदेश के कलाकारों ने सांस्कृतिक संध्या को विविध रंगों से सराबोर कर दिया। इसमें विविध गायन, कथक नृत्य के साथी तानाबाना और कबीर ग्रुप ने कबीरदास की साखियां पेश कर दर्शकों को आह्लादित कर दिया। कार्यक्रम में सुर साधकों ने अपनी शानदार प्रस्तुति देकर घाट की सीढि़यों पर बैठे श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम की शुरूआत भगवान शिव को स्मरण करते हुए डमरू वादन से हुआ। शनि देव डमरू दल के कार्यकर्ताओं ने डमरू की घोर कर्णप्रिय निनाद से भावविभोर कर दिया। डमरू निनाद के बीच दर्शक प्रफुल्लित होकर हर-हर महादेव के नारे लगातार लगाते रहे। डमरू दल में प्रमुख रूप से शुभम जायसवाल, सुनील, विनोद, रोहित जायसवाल ,विशाल गुप्ता, किशन, राहुल, राहुल विश्वकर्मा, दीनानाथ, लाली कुमार, शिवम गुप्ता थे। डमरू दल के कार्यकर्ता पारंपरिक वेशभूषा धारण किए थे।
इसके बाद गायन के क्रम में वयोवृद्ध साहित्यकार व आकाशवाणी और दूरदर्शन के पारंगत कलाकार जितेंद्र नाथ सिंह जीत ने भोजपुरी की मिठास घोलते हुए काशी का बखान किया। जगवा से न्यारी सुधर काशी नगरिया..और गंगा की व्यथा को उकेरते हुए गंगा मईया के पनिया बचाला मोर वीरना..गाकर लोगों के दिलों को झकझोर दिया। सुप्रसिद्ध टेलीविजन के कलाकार अजय अजनबी ने दर्शकों से जयकार लगवाते बाबा विश्वनाथ और गंगा मईया का स्मरण करने के साथ भोजपुरी माटी की सुगंध को जीवंत किया। गंगा के निर्मल पानी से अपने गीतों का क्रम शुरू किया। बेटियों की सुरक्षा और महत्ता पर विशेष बल देते हुए अजन्मी बेटी के दर्द को करूण स्वर में जब का करबू माई हमके माई कोखिया में मार के गाया तो सभी की आंखें नम हो गई। पारंपरिक गीतों के माध्यम से गांवों के किसानों पर आधारित गीत बाबू जी हऊवन किसान, देशवा क शान हवे हो.. गांव की छवि पेश की।
नवोदित कलाकार ज्योति गुप्ता ने निमिया के खातिर.., और लचारी में पारंपरिक गीत चला मीना बजार, जिया लागे ना हमार गाकर वाहवाही बटोरी। कलाकारों के साथ तबले पर जाने-माने तबला वादक दीपक सिंह ,ढोलक पर नसीम ,बैंजो पर महिपाल और पैड पर विकास ने संगत किया। गायन की प्रस्तुति में आदित्य धनराज पांडेय ने आया करे जरा कह दो संवरिया से..कोई कहे रे प्रभु आवन के गाकर कृष्ण प्रेम भक्ति से रसासिक्त किया। इसके बाद अर्चना तिवारी ने हम त खा गईली धोखा.. और जो बसेला वरुणा असी.. सुनाई। इनके साथ तबले पर आकाश गुप्ता, हारमोनियम पर नीरज पांडेय, बांसुरी पर राजा ने साथ दिया।
नृत्य के आयोजन में अमन पांडेय, अंशु, विशाल ने कथक पेश किया। इसमें शिव स्तुति, शाम ए बनारस के साथ ही तराना को सधे हुए अंदाज में रखा।
कार्यक्रम में कबीर दास पर गीत गाकर कलाकारों ने काफी वाहवाही लूटी। ताना बाना और कबीर ग्रुप के कलाकारों ने कबीर के प्रसंग को लयबद्ध कर कबीर के साखिया..पिया मिलेंगे.., जरा धीरे धीरे गाड़ी हाको..सुनाकर वाहवाही बटोरी। डफली, इकतारा, गिटार, पैड के साथ गायकी को बेहतर बना दिया। मुख्य गायक देवेंद्र दास के साथ सहयोग में उमेश कबीर, कृष्णा, गौरव, सतवीर, जितेंद्र, हरीश, राजा व हर्ष रहे। अंतिम आयोजन में रीता दवे ने कथक की पेश की। कार्यक्रम संयोजन गीतकार कन्हैया दुबे केडी का रहा।
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फोटो- आयोजन से काशी को मिल रही खास पहचान : प्रो. पांडेय
मुख्य अतिथि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. प्रदीप कुमार पांडेय ने कलाकारों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत आनंद ,काशी आनंद अपने आप में विश्व पटल पर गौरवमयी परंपरा का निर्वहन कर रहा है। भविष्य में अपनी संस्कृति की अमिट छाप छोड़ने में विशेष योगदान रखता है। संचालन सौरभ चक्रवर्ती और धन्यवाद काशी मिश्रा ने प्रकट किया।