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काशी आनंद में रिमझिम बारिश में हुई बांग्ला सुर रस वर्षा

भारत आनंद, काशी आनंद में बुधवार को डा. राजेंद्र प्रसाद घाट पर बांग्ला गीत, संगीत की वर्षा हुई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 12 Jul 2018 10:43 AM (IST)Updated: Thu, 12 Jul 2018 10:43 AM (IST)
काशी आनंद में रिमझिम बारिश में हुई बांग्ला सुर रस वर्षा

वाराणसी : भारत आनंद, काशी आनंद में बुधवार को डा. राजेंद्र प्रसाद घाट पर बांग्ला गीत, संगीत व नृत्य का आनंद दर्शकों को मिला। सुहाने मौसम में घाट पर बंगाल की सुर गंगा ने सभी को झंकृत किया। कलाकारों ने विविध प्रस्तुतियों के जरिये लोगों को पूरे समय तक बांधे रखा। संगीत साधक रंग जमाते रहे और दर्शकों की संख्या में भी इजाफा होता गया।

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बंगला के महान साहित्यकारों में से एक द्विजेंद्रलाल रॉय के 155वें जन्मदिन को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उनके रचित गीतों को समूह गान के तौर पर पेश किया गया। आजि झरो झरो मुखर बादोर दिने.. और बेला बोए जाए.. को कलाकारों ने आवाज दिया। इसमें ब्रोतती दासगुप्ता, पुष्पा बनर्जी, सपना गांगुली, अनिता मुंशी, तनुश्री मुखर्जी, पंपा मिश्र, केया मुखर्जी, शेखर लाहा, असीम दासगुप्ता, देवव्रत दासगुप्ता, ज्योति माधव भट्टाचार्य व सौरभ थे। समूह गायन में बाल कलाकारों ने रविंद्र संगीत और आधुनिक गीत सुनाया। ओ आकाश सोना.. और आमरा नतून जीबॉनेर दूत. को त्रिदिप नंदी, सौरभ चक्रवर्ती, इशिता मित्र, भूमिका रक्षित व निष्ठा बनर्जी ने सुनाई। मुंबई की गायिका पुष्पा बनर्जी समुधर आवाज में ओ रजनी एखनो.., आमी आज की.. प्रस्तुति बंगला व ¨हदी में दी। शेखर लाहा ने हेमंत कुमार के गीत एई दुनिया रंग बदलाया.. ओर आमी चेय चेय देखी.. सुनाया।

नृत्य से दिया साक्षरता का संदेश

साक्षरता अभियान के तहत नन्हें कलाकारों ने कई बंगला गीतों के माध्यम से शिक्षा के महत्व को नृत्य के माध्यम से पेश की। इसमें नाचो तो देखी.., हाट टिमाटिम.., आहा कि आनंदो.., ओ आय रे.., प्रजापति आमारा.., मंगलदीप जले.. गीत पर नृत्य की। कलाकारों में श्रीया कुंडु, ईशानी पाल, अद्रिका मित्र, अदिति पाल, अन्वेषा सोनकर, दीपिका, प्रियांशी, सुष्मिता, प्रत्युषा, विवेका, संजना रहीं। नृत्य निर्देशिका ब्रतती दासगुप्ता की रही। ऋषिका मुखर्जी ने बंगला गीत पर एकल नृत्य पेश की। समूह नृत्य में सोहाग चांद बदोनी.. की मनोहारी प्रस्तुति विशाखा बोस, अनन्या भालेराव, सोनिया नंदी, मनिष्का चौरसिया, तनिष्का की रही।

तबला, सिंथेसाइजर व पियानो एकार्डियन ने जमाया रंग

डा. देवव्रत भट्टाचार्य (पं. आशुतोष भट्टाचार्य के पुत्र) के शिष्य दिवाकर कसेरा ने तबला वादन किया। परंपरागत मध्यलय तीन ताल, उठान, टुकड़ा की प्रस्तुति दी। संगत में हारमोनियम पर मोहित साहनी रहे। सिंथेसाइजर पर शुभंकर चटर्जी ने आमी झड़ेर काछे. और जा रे पाखी उड़े.. बजाया। संगत में गिटार पर विश्वजीत चटर्जी, तबले पर गौतम चक्रवर्ती और पियानो एकार्डियन पर राजबंधु खन्ना थे।

मुख्य अतिथि प्रमुख चिकित्सक डा. काशीनाथ चक्रवर्ती के साथ ही बंग सांस्कृतिक मंच के संयोजक अशोककांति चक्रवर्ती, देवाशीष दास, तरुण कुमार मुखर्जी, आशीष दास, चंद्रनाथ मुखर्जी, गौतम चंद्र, सौगत प्रसाद भट्टाचार्य आदि थे। संचालन बंग सांस्कृतिक मंच के सौरभ चक्रवर्ती व असीम दासगुप्त ने किया।


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