मनोकामना पूर्ति का मास पर्यंत कार्तिक स्नान आज से, गंगा घाटों पर उमड़ रही आस्था
श्रीहरि को समर्पित कार्तिक मास का स्नान आश्विन पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा एक मास तक चलता है, इस बार स्नान 24 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 23 नवंबर तक चलेगा।
वाराणसी (जेएनएन) । सनातन धर्म में हिंदी के बारहों मास में मास पर्यंत स्नान-दान के लिए माघ, कार्तिक व वैशाख मास पुनीत माने गए हैं। इसमें श्रीहरि को समर्पित कार्तिक बेहद खास है। कार्तिक मास का स्नान आश्विन पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा एक मास तक चलता है। इस बार कार्तिक स्नान 24 अक्टूबर से प्रारंभ हो कर 23 नवंबर तक चलेगा। ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार कार्तिक पर्यंत व्रत स्नान यम नियम पालन करना चाहिए।
धर्म शास्त्र अनुसार तीनों मासों में से कार्तिक स्नान दान यम नियम का अत्यधिक महत्व बताया गया है। कहा गया है कि 'कार्तिकम् सकलम् मासम् नित्यस्नाई जितेंद्रिय:। जपन् अविश्ह्य गोक्छान्स सर्व पापई प्रमुश्च्यते।। अर्थात् कार्तिक मास में जितेंद्रिय रह कर नित्य स्नान कर एक बार भोजन करने से सभी तरह के पापों का नाश होता है। वहीं सूर्य को अघ्र्य देकर स्नान-दान करने से सभी तरह के पापों का नाश हो अमोघ पुण्य की प्राप्ति होती है। कार्तिक में तीर्थ स्थानादि या स्वदेश में रह कर नित्य प्रति स्नान दानादि करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है। स्नान के लिए सूर्योदय का समय श्रेष्ठ माना गया है।
इसके बाद जितना विलंब हो उतना ही निष्फल माना जाता है। स्नान के लिए प्रयाग काशी या कुआं, बावली, स्वच्छ जल से स्नान का महत्व होता है लेकिन तीर्थों में स्नान का महत्व बढ़ जाता है। रात्रि के समय मास पर्यंत नित्य प्रति देव मंदिरों चौराहों गलियों तुलसी पौध व पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाना चाहिए। रोज भगवान भास्कर को जल देकर श्रीहरि की आराधना करनी चाहिए। इससे श्रीहरि प्रसन्न होकर सभी तरह के पापों का नाश कर विशेष पुण्य फल प्रदान करते हैं।