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वाराणसी में घर-घर खोजे जाएंगे कालाजार के रोगी, 15 फरवरी से चलेगा अभियान

15 फरवरी से काशीविद्यापीठ ब्लाक के हरपालपुर गांव व सेवाुपरी के अर्जुनपुर गांव में सघन अभियान चलाया जाएगा। आशाओं की मदद से जहां घर-घर कालाजार के मरीज खोजे जाएंगे वहीं घरों में अल्फा सायपरमेथ्रीन कीटनाशक का छिड़काव भी किया जाएगा।

By Abhishek sharmaEdited By: Published: Sun, 07 Feb 2021 01:08 PM (IST)Updated: Sun, 07 Feb 2021 01:08 PM (IST)
वाराणसी में आशाओं की मदद से जहां घर-घर कालाजार के मरीज खोजे जाएंगे।

वाराणसी, जेएनएन। जिले से कालाजार उन्मूलन के क्रम में आगामी 15 फरवरी से काशीविद्यापीठ ब्लाक के हरपालपुर गांव व सेवाुपरी के अर्जुनपुर गांव में सघन अभियान चलाया जाएगा। आशाओं की मदद से जहां घर-घर कालाजार के मरीज खोजे जाएंगे, वहीं घरों में अल्फा सायपरमेथ्रीन कीटनाशक का छिड़काव भी किया जाएगा। साथ ही लोगों को इस रोग के बचाव की जानकारी देते हुए जागरुक किया जाएगा। 

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जिले में केवल दो ही गांव कालाजार प्रभावित रहे हैं। इनमें से हरपालपुर गांव की आबादी 2,538 है। यह वर्ष 2009 तक कालाजार प्रभावित रहा है। 21 मरीज थे जिनका इलाज कर ठीक कर दिया गया। मरीजों में बेहद कमी आई है। वहीं 1300 की आबादी वाला अर्जुनपुर गांव 2018 तक कालाजार के प्रभाव में रहा। 2018 में एक मरीज मिला था, जिसका इलाज करते हुए ठीक किया जा चुका है। जिला मलेरिया अधिकारी डा. शरद चंद पांडेय ने बताया कि डब्ल्यूएचओ ने कालाजार उन्मूलन के लिए 2025 तक का लक्ष्य निर्धारित किया है। जनपद में काफी हद तक इस पर काबू पा लिया गया है। वर्ष 2019 में दो मरीज व 2020 में केवल एक ही मरीज मिला था, जो अब पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। बताया कालाजार की वाहक बालू मक्खी को खत्म करने व रोग के प्रसार को कम करने के लिए प्रतिवर्ष दो चरणों में इंडोर रेसीडूअल स्प्रे (आइआरएस) किया जाता है। यह छिड़काव घर के अंदर दीवारों पर छह फीट की ऊंचाई तक होता है।

यह है कालाजार 

- कालाजार धीरे-धीरे विकसित होने वाला एक देशी रोग है जो एक कोशीय परजीवी या जीनस लेशमेनिया से होता है। कई वर्षों के बाद यह पीकेडीएल (पोस्ट कालाजार डर्मल लेशमेनियासिस) में बदल जाता है। इसमें मरीज के शरीर पर सफेद दाग या चकत्ते दिखाई देने लगते हैं। ऐसा मरीज रोग के वाहक का कार्य करता है। 

यह लक्षण दिखे तो हो जाएं सावधान

- बुखार अक्सर रुक-रुक कर या तेजी से तथा दोहरी गति से आता है। 

- भूख न लगना, पीलापन और वजन में कमी जिससे शरीर में दुर्बलता महसूस होती है।

- प्लीहा (तिल्ली) का अधिक बढऩा। 

- त्वचा-सूखी, पतली शल्की होती है तथा बाल झड़ सकते हैं। 

- गोरे व्यक्तियों के हाथ, पैर, पेट और चेहरे का रंग भूरा हो जाता है।

- खून की कमी-बड़ी तेजी होने लगती है। 


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