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पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा क्लीयरेंस नहीं मिलने से ककरी कोल परियोजना आज से बंद

नियम कायदों की जद में आने से सोनभद्र जिले में एक योजना अब बंद होने जा रही है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 23 Dec 2019 07:30 AM (IST)Updated: Mon, 23 Dec 2019 07:30 AM (IST)
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा क्लीयरेंस नहीं मिलने से ककरी कोल परियोजना आज से बंद
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा क्लीयरेंस नहीं मिलने से ककरी कोल परियोजना आज से बंद

सोनभद्र, जेएनएन। नियम कायदों की जद में आने से सोनभद्र जिले में एक योजना अब बंद होने जा रही है। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा पर्यावरणीय क्लीयरेंस नहीं देने के कारण सोमवार से ककरी कोल परियोजना बंद हो जाएगी। इसकी सूचना से समूचे परियोजना क्षेत्र में हलचल मच गई है। 

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1989 में 30 वर्ष के लिए कोयला खनन के लिए पर्यावरण स्वीकृति मिली थी जिसकी अवधि रविवार को समाप्त हो गई। पर्यावरणीय क्लीयरेंस नहीं मिलने पर परियोजना समेत कंपनी में हड़कंप मचा हुआ है। ककरी परियोजना में लगभग 750 कर्मी एवं 150 अधिकारी कार्यरत हैं। लगभग इतने ही संविदा श्रमिक भी परियोजना में कार्य करते हैं। ककरी परियोजना को इस वित्तीय वर्ष में 2.1 मिलियन टन कोयला उत्पादन करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसका समय से परियोजना द्वारा लक्ष्य को पूरा किया जा रहा था। परियोजना द्वारा पर्यावरणीय क्लीयरेंस लेने के लिए अगस्त, 2017 से ही प्रयास की जा रही थी लेकिन, दो वर्षों से अधिक गुजर जाने के बाद भी पर्यावरण व वनविभाग द्वारा क्लीयरेंस जारी नहीं किया गया। ककरी परियोजना का पर्यावरणीय क्लीयरेंस लखनऊ शासन में ही लटका हुआ है। सरकार की इस उदासीनता पर परियोजना कर्मियों समेत क्षेत्रवासियों में रोष है। 

लोगों का कहना है कि सरकार द्वारा एक ओर जहां कोयला उत्पादन करने की जोर दी जाती है वहीं सरकार परियोजनाओं के समक्ष आ रही परेशानियों के निराकरण के लिए कोई ठोस पहल समय से नहीं की जाती है। इससे ककरी परियोजना बंद होने के कगार पर खड़ी हो गई है। ककरी परियोजना के महाप्रबंधक एलपी गोडसे ने कहा कि दो वर्षों से पर्यावरणीय क्लीयरेंस लेने के लिए प्रयास जारी था। आवश्यकता पड़ी तो ककरी परियोजना में कार्यरत कर्मियों को उच्च प्रबंधन के निर्देशन में अन्य परियोजनाओं में तब तक के लिए भेजा जाएगा जब तक ककरी खदान पुन: शुरू न हो जाए। 

एनओसी न मिलना प्रबंधकीय विफलता

बीएमएस के महामंत्री अरुण कुमार दुबे ने कहा कि ककरी परियोजना को पर्यावरणीय क्लीयरेंस न मिलना प्रबंधकीय विफलता है। इसमें श्रमिक संगठन और कर्मचारियों का कोई दोष नहीं है। पर्यावरणीय क्लीयरेंस रिनुअल कराना प्रबंधन का कार्य है। इसके लिए परियोजना में अधिकारी नियुक्त हैं। जितने दिन के लिए परियोजना बंद हो रही है, उतने दिन के लिए अस्थाई व स्थाई कर्मियों का स्थानांतरण की योजना अनुचित है। बीएमएस इसका विरोध करता है।


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