वाराणसी के कबीरचौरा मठ मूलगादी देगा सौ बुनकरों को रोजगार, स्थापित होगा हैंडलूम क्लस्टर
करघे के माध्यम से श्रम साधना को ही धर्म बताने वाले संत कबीर की तपस्थली कबीरचौरा मठ मूलगादी में अब रोजगार की चदरिया भी बुनी जाएगी। यहां हैंडलूम क्लस्टर स्थापित किया जाएगा। जहां 30 पारंपरिक हथकरघे लगाकर 100 बुनकरों को रोजगार दिया जाएगा।
वाराणसी, जेएनएन। करघे के माध्यम से श्रम साधना को ही धर्म बताने वाले संत कबीर की तपस्थली कबीरचौरा मठ मूलगादी में अब रोजगार की चदरिया भी बुनी जाएगी। यहां हैंडलूम क्लस्टर स्थापित किया जाएगा। जहां 30 पारंपरिक हथकरघे लगाकर 100 बुनकरों को रोजगार दिया जाएगा। तैयार होने वाली चादर-चुनरी मूलगादी मठ में आने वाले श्रद्धालुओं को लागत मूल्य पर उपलब्ध कराई जाएगी।
मठ ने क्लस्टर स्थापना का खाका खींच लिया है। महंत आचार्य विवेकदास बताते हैं कि उन्होंने इसके लिए दो बड़े-बड़े हॉल तैयार कराए हैं। प्रथम चरण में दोनों हॉल में 30 करघे लगाए जाएंगे। जिससे करीब सौ बुनकर रोजगार पा सकेंगे। काम शुरू होने के बाद परिसर के अन्य स्थलों में भी इसका विस्तार किया जाएगा। बताया कि हथकरघों पर चादर, चुनरी, रूमाल, तौलिए आदि बुने जाएंगे। उत्पादों को लागत मूल्य पर मठ में आने वाले पर्यटकों व श्रद्धालुओं को उपलब्ध कराया जाएगा। लोग इसे संत कबीर का प्रसाद मानकर ले जाएंगे।
50 लाख रुपये की योजना
मठ ने अपनी तरफ से इसके लिए लगभग 50 लाख रुपये की योजना तैयार की है। महंत विवेकदास ने बताया कि इसके लिए उनकी हथकरघा विभाग के अधिकारियों से भी बात हुई है। इसमें तकनीकी सहायता के लिए शीघ्र ही विभागीय अधिकारियों से भी मिलेंगे। कहा कि यहां के उत्पादों एक खास विशिष्टता होगी। योजना है कि पूरे परिसर को कबीर के ताने-बाने से सजा दिया जाए ताकि जो आए, वह वर्षों पहले संत की गई श्रम-साधना की महत्ता को समझ सके।