वाराणसी में कबड्डी की राष्ट्रीय खिलाड़ी परिवार की गुजर बसर के लिए कर रही लॉन्ड्रिंग का काम
कबड्डी की राष्ट्रीय खिलाड़ी सोनाली कनौजिया भी इन दिनों पिता के कामकाज में साथ दे रही हैं। परिवार की गुजर बसर के लिए सोनाली लॉन्ड्रिंग का काम रही है।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोनावायरस संक्रमण के दौर में लोगाें के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या आन पड़ी है। कई खिलाड़ी इन दिनों रोजगार को लेकर परेशान है। मैदान में अभ्यास बंद होने के साथ ही खेल प्रतियोगिताएं भी नहीं हो रही है। घर पर वर्कआउट के साथ ही पारिवारीक कामकाज में भी सहयोग करने में जुटे हैं। कबड्डी की राष्ट्रीय खिलाड़ी सोनाली कनौजिया भी इन दिनों पिता के कामकाज में साथ दे रही हैं। परिवार की गुजर बसर के लिए सोनाली लॉन्ड्रिंग का काम रही है।
सोनाली कनौजिया कबड्डी की एक राष्ट्रीय खिलाड़ी हैं। उन्होंने कब्डड्डी प्रतियोगिताओं में कई मेडल हासिल की हैं। कोरोना वायरस संकट के चलते सोनाली के घर पर जब आर्थिक संकट आया तो अभ्यास के साथ ही लॉन्ड्रिंग का काम शुरू कर दिया। सोनाली अंडर-14 में कबड्डी की राष्ट्रीय खिलाड़ी हैं और वाराणसी के बच्छाव स्थित महामना मालवीय इंटर कॉलेज में कक्षा 9 में पढ़ती हैं। कबड्डी के इस होनहार खिलाड़ी के घरों की दीवाल गोल्ड और सिल्वर मेडल्स से सजे हैं लेकिन वक्त की मार है कि आज लॉन्ड्रिंग का काम करने को मजबूर हैं।
जनवरी 2020 में मिला था कांस्य पदक
वाराणसी के बच्छाव की रहने वाली सोनाली कनौजिया यूं तो कई राज्य स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता में अपना लोहा मनवा चुकी है लेकिन जनवरी 2020 में सोनाली ने छत्तीसगढ़ में आयोजित 65वें राष्ट्रीय स्कूल गेम्स कबड्डी प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीत कर वाराणसी का नाम रोशन किया था।
बीएचयू के हॉस्टल बंद होने से पिता का काम पड़ा ठप
सोनाली के पिता श्यामू कनौजिया बीएचयू के एक के हॉस्टल में लॉन्ड्रिंग का काम करते थे लेकिन जब लॉकडाउन हुआ तो सभी हॉस्टल खाली हो गए। इसके बाद सोलानी के पिता का काम पूरी तरह बंद है। कुछ दिनों बाद जब घर में खाने के लाले पड़ने लगे तब सोनाली ने अपने इलाके के लोगों के घर जाकर उनसे कपड़े लाने लगी और उसे घर में धोने के बाद प्रेस करना शुरू किया। अब इस काम से जो पैसा मिलता है, उससे अपने परिवार को जिंदगी दे रही है।
जितेंद्र सर ने सिखाया चुनौतियों से लड़ना
सोनाली के मुताबिक स्कूल के उनके कोच डॉ. जितेंद्र ने मुश्किल हालात से लड़ना सिखाया। प्रशिक्षण के दौरान उनकी नसीहतों को संजीदगी के साथ लेती थी। शायद यही वजह है कि खेल का मैदान हो या असल जिंदगी, डटकर मुकाबला करना आदत बन गई है। लॉकडाउन के दौरान सर बराबर परिवार का कुशलक्षेम पूछते रहे और मदद भी उपलब्ध कराई।