चोरी के ट्रकों का पंजीयन करने के मामले कनिष्ठ लिपिक सुरेश चन्द्र मालवीय गिरफ्तार
बडागांंव थाने में चोरी के ट्रकों का पंजीयन करने के मामले कनिष्ठ लिपिक सुरेश चन्द्र मालवीय को आखिरकार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
वाराणसी, जेएनएन। बडागांंव थाने में चोरी के ट्रकों का पंजीयन करने के मामले कनिष्ठ लिपिक सुरेश चन्द्र मालवीय को आखिरकार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। बाबू की गिरफ्तारी सोमवार की रात आवास दुल्लापुर पडरी मिर्जापुर से रात में थानाध्यक्ष संजय सिंह उपनिरीक्षक अनिल सिंह, कन्हैया सिंह सहित पुलिस टीम ने घर से किया। आरोपित को गिरफ्तार कर पुलिस थाने लायी और आवश्यक पूछताछ भी किया। लिपिक के खिलाफ धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120 बी सहित 34 के तहत कार्रवाई की जा रही है।
चोरी के 29 ट्रक समेत 31 वाहनों का पंजीयन करने के आरोपी बाबू से सोमवार को रात तक एसआइटी ने पूछताछ की। एसआइटी आरोपी बाबू से कई चरणों में पूछताछ चली। इसमें कई नए तथ्य सामने आए हैं। इस आधार पर पुलिस जांच में जुट गई है। आरोपी बाबू रात तक पुलिस हिरासत में रहा। एसआइटी ने दो दिन पहले एआरटीओ को भी बुलाकर पूछताछ की थी। दोनों के बयानों का अंतर मिलने से पुलिस जांच में आगे बढ़ रही है।
दैनिक जागरण ने 25 दिसंबर को 'चेचिस और इंजन नंबर एक, गाड़ी नंबर अलग' तथा 30 दिसंबर-2019 को 'चोरी के 25 ट्रकों का हुआ पंजीयन' खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी। परिवहन कार्यालय में चोरी के पांच ट्रकों का मामला उजागर होने पर उप परिवहन आयुक्त लक्ष्मीकांत मिश्रा परिवहन कार्यालय पहुंचे तो ट्रकों की संख्या 25 पहुंच गई। तत्कालीन एआरटीओ सर्वेश कुमार सिंह ने बड़ागांव थाने में दो जनवरी को चोरी के ट्रकों का पंजीयन कराने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।
बड़ागांव पुलिस मामले की जांच कर रही थी कि शासन ने तत्कालीन दोनों एआरटीओ को निलंबित कर दिया तथा आरटीओ हरिशंकर सिंह ने पंजीयन लिपिक को। मामला गंभीर होने पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रभाकर चौधरी ने एसआइटी गठित करने के साथ पूरे मामले की जांच करने का निर्देश दिया। एसआइटी ने चोरी के पंजीकृत वाहनों की फाइल तलब करने के साथ पंजीयन बाबू और एआरटीओ से पूछताछ की है। जांच में नए तथ्य सामने आने पर सोमवार की शाम निलंबित बाबू को हिरासत में लेने के साथ रात करीब चार घंटे एसआइटी ने पूछताछ की।
एसआइटी ने बड़ागांव थाने में बाबू से रुक-रुककर कई बार पूछताछ की है। पूछताछ करने के बाद एसआइटी लौट गई लेकिन बाबू को देर रात तक छोड़ा नहीं गया। चोरी के ट्रकों में पंजीयन अधिकारी और लिपिक की संलिप्तता सामने आई है। एसआइटी उस गिरोह की तलाश में जिसने चोरी के वाहनों का पंजीयन कराया है। हालांकि पुलिस इस मामले में बाबू को हिरासत में लेने से इंकार करती रही।