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आजमगढ़ की जिया राय : नौकरी छोड़कर तैराकी सीख मां ने बिटिया को बनाया स्वर्ण परी

दुश्वारियों पर चर्चा हुई तो मां की जीजिविशा सामने आई। हालांकि उन्होंने अपनी जीत को पति मदन राय का हौसला बताया। बताया कि छह वर्ष में जिया को स्कूल ले गई तो दाखिले से पूर्व शैडो टीचर की डिमांड की गई।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 10:34 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 10:34 PM (IST)
आजमगढ़ की जिया राय : नौकरी छोड़कर तैराकी सीख मां ने बिटिया को बनाया स्वर्ण परी
बांद्रा-वर्ली सी-लिंक से गेट वे ऑफ इंडिया तक की दूरी तय करने के बाद पुरस्‍कार लेतीं जिया राय

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : वर्ष 2010 में 10 मई को कोच्चि में जिया राय के दूसरे जन्मदिन की खुशियां शवाब पर थीं। राय दंपती भी इकलौती बेटी की खुशियों में मगन थे कि पिता मदन राय की नजर दूसरें बच्चों से अलग गुमसुम जिया पर जा टिकीं। उनके मन में कई आशंकाएं उठ खड़ी हुईं, जिसका जवाब दूसरे दिन डाक्टर ने आटिज्म स्पेक्ट्रम डिसआर्डर (न्यूरो संबंधी बीमारी, जिसमें बच्चे ज्यादा बोल नहीं पाते हैं।) की जानकारी दी। पता चला कि इलाज भी नामुमकिन है। दंपती को झटका जरूर लगा लेकिन मां ने उसे मुमकिन बनाने को नौकरी छोड़ी फिर खुद तैराकी के गुर सीख बिटिया को ऐसी जलपरी बनाया कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार जीत पूरे देश में छा गई।

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आजमगढ़ के सगड़ी तहसील अंतर्गत अलाउद्दीनपुर गांव में सोमवार को जश्न का नजारा था। नेवी अधिकारी पिता मदन राय और मां रत्ना को लोग फोन पर बधाइयां दे रहे थे। जागरण ने बात की तो पति-पत्नी की आंखों में आंसू छलक आए। कहाकि ऐसा कोई इवेंट न रहा, जब जिया की जीत जागरण में न छपी हो। वह रात जिया के लिए उम्मीदों की होती थी, जब सुबह उठते ही जागरण को पढ़ डालती। दुश्वारियों पर चर्चा हुई तो मां की जीजिविशा सामने आई। हालांकि, उन्होंने अपनी जीत को पति मदन राय का हौसला बताया। बताया कि छह वर्ष में जिया को स्कूल ले गई तो दाखिले से पूर्व शैडो टीचर की डिमांड की गई।

दरअसल, मां-पिता नहीं चाहते थे कि बिटिया मूक-बधिर विद्यालय में पढ़े। मां केंद्रीय विद्यालय में केमेस्ट्री पढ़ाती थीं, लिहाजा उन्होंने पति से बिटिया के लिए नौकरी छोडऩे की पेशकश की तो सहमति बन गई। उसी दौरान मां-पिता को जिया के पानी से प्रेम का पता चल गया तो उसे तैराक बनाने की ठानी। चूंकि जिया सिर्फ मां की बात समझ पाती इसलिए रचना ने तैराकी सीखी और कोच की बातें जिया को समझाना शुरू की तो उसमें सुधार होने लगा। आठ साल की उम्र में जिया ने डिस्ट्रिक्ट लेवल पर अपनी पहचान बनाई। जिया के दो-दो घंटे तैरने के दौरान उसमे पावर देख कोच ने उसे स्टेट लेवल पर ले जाने की ठानी। वर्ष 2017 में वोपन वाटर में 17 दिसंबर को राज्यस्तरीय प्रतियोगिता हुई तो जिया पांचवें स्थान पर रही। लेकिन जिया के बांह में लगे सेंसर की रिपोर्ट मुताबिक उसने पांच सौ मीटर के बाद रफ्तार पकड़ी थी। सेंसर रिपोर्ट को कोच ने हथियार बनाया और 14 किमी तैराकी में विश्व प्रतियोगिता में उतारने की ठानी। वर्ष 2020 में 15 फरवरी को मुंबई में एलिफैंटा से इंडिया गेट तक की तैराकी प्रतियोगिता में 14 किमी दूरी जिया 3.27 मिनट में पार कर ली, जबकि यह रिकार्ड नार्वे की 14 साल की तैराक के नाम था। उस समय 10 साल की रही जिया के लिए कोच ने विशेष अनुमति ली थी। जिया के नाम वर्तमान में 25 गोल्ड, एक ब्रांज और एक कांस्य पदक है।


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