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वाराणसी में घाट के समानांतर होगी कॉरिडोर की जेटी, राष्ट्रीय जलमार्ग प्राधिकरण ने भेजा डिजाइन

वाराणसी में श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के निर्माण में गंगा में जल परिवहन को और सुगम बनाने के लिए जेटी को घाट व कॉरिडोर के समानांतर करने की व्यवस्था बनाई गई है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 24 Aug 2020 06:20 AM (IST)Updated: Mon, 24 Aug 2020 05:28 PM (IST)
वाराणसी में घाट के समानांतर होगी कॉरिडोर की जेटी, राष्ट्रीय जलमार्ग प्राधिकरण ने भेजा डिजाइन
वाराणसी में घाट के समानांतर होगी कॉरिडोर की जेटी, राष्ट्रीय जलमार्ग प्राधिकरण ने भेजा डिजाइन

वाराणसी, जेएनएन। वैसे तो कोरोना के कारण श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के निर्माण की प्रगति पर भी असर पड़ा है। हालांकि लॉकडाउन के बाद कार्य में तेजी आ गई है। पहले की अपेक्षा श्रमिकों की संख्या बढ़ा दी गई है। अन्य राज्यों से भी कुशल कारीगर बुलाए गए हैं। तीनों यात्री सुविधा केंद्र, मंदिर चौक व गेस्ट हाउस का निर्माण भी गति पकड़ लिया है। करीब 345 करोड़ की लागत से बनने वाले काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का कार्य रविवार तक 11 फीसद से अधिक हो गया था। इस कार्य को अगस्त 2021 तक पुरा करना है, अब इसमें करीब 11 माह से ही शेष बचे हैं। कार्यदायी संस्था का दावा है कि समय रहते ही कार्य पूरा कर लिया जाएगा। वहीं गंगा में जल परिवहन को और सुगम बनाने के लिए जेटी को घाट व कॉरिडोर के समानांतर करने की व्यवस्था बनाई गई है। डिजाइन में संशोधन का प्रस्ताव भी भेजा गया है।

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श्री काशी विश्वनाथ धाम पहुंचने के लिए गंगा सुगम मार्ग बनाया जा रहा है। साथ ही समानांतर जेटी भी बनाई जा रही है। पहले से गंगा में 50 मीटर अंदर बनाने का कार्य चल रहा था, लेकिन बाढ़ के कारण रूक गया। इसी बीच राष्ट्रीय जलमार्ग ने संभावनाओं को देखते हुए सरकार से डिजाइन में कुछ बदलाव की पहल की गई है। काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर की कार्यदायी संस्थान लोक निर्माण विभाग निर्माण खंड तृतीय अधिशासी अभियंता संजय गोरे ने बताया कि मुख्य मंदिर में ही सिर्फ सीमेंट का कार्य है। इसे पीतल की प्लेटों से कंसा जाना है। करीब 10 दिन से स्टोन का भी कार्य चल रहा है। बताया कि कॉरिडोर में कुल 24 भवन बनने हैं, जिसमें से 15 में कार्य शुरू हो गया है। शुरूआत यात्री सुविधा केंद्र व मंदिर परिसर चौक से की गई है।

भूकंपरोधी होगी एक-एक दीवार

मंदिर के मुख्य द्वार में भी प्लेटें लगानी शुरू हो गई है। ताकि भूकंप या फिर भूस्खलन की स्थिति में भी इसकी मजबूती बनी रहे। बताया कि राजस्थान से मंगाए गए पत्थरों को जोडऩे के लिए पीतल की प्लेटें उपयोग की जा रही है। इनकी साइज वहीं से माप कर कटिंग कर मंगाई गई है। प्लेटों को आपस में जोडऩे के लिए लेपाक्स अल्ट्रा फिक्स नाम विशेष केमिकल का प्रयोग किया जा रहा है। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर से मां गंगा को जोडऩे वाला मार्ग काफी हद तक बन गया है। बाबा विश्वनाथ को सीधे गंगा तट ललिता और मणिकर्णिका घाट से जोड़ा जाना है, जिसमें मणिकर्णिका घाट और जलासेन घाट के बीच से काशी विश्वनाथ के गर्भ गृह तक जाने वाले मार्ग बनकर तैयार हो चुका है। मालूम हो कि शनिवार को ही कमिश्नर दीपक अग्रवाल, सीईओ गौरांग राठी एवं विशेष कार्याधिकारी उमेश कुमार सिंह ने निर्माण कार्य का निरीक्षण किया था।

काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर

350 मीटर में पूरा क्षेत्र

46  हजार वर्ग मीटर

345 करोड़ है पूरी लागत

24 भवन बनने हैं कॉरिडोर में

03यात्री सुविधा केंद्र बनाए जाने हैं


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