Move to Jagran APP

नेक पहल ; लेकर गुलाबी मीनाकारी का ज्ञान, विदेशी बढ़ाएंगे काशी का मान varanasi news

हथकरघा व हस्तकला को वैश्विक मंच देने को प्रयास जारी है। अब इसमें एक नया अध्याय भी जुड़ गया है। काशीवासियों के साथ अब विदेशी भी इसके प्रचार-प्रसार का जिम्मा संभालेंगे।

By Edited By: Published: Thu, 10 Oct 2019 01:42 AM (IST)Updated: Thu, 10 Oct 2019 10:08 AM (IST)
नेक पहल ; लेकर गुलाबी मीनाकारी का ज्ञान, विदेशी बढ़ाएंगे काशी का मान varanasi news
नेक पहल ; लेकर गुलाबी मीनाकारी का ज्ञान, विदेशी बढ़ाएंगे काशी का मान varanasi news

वाराणसी, जेएनएन। हथकरघा व हस्तकला को वैश्विक मंच देने को प्रयास जारी है। अब इसमें एक नया अध्याय भी जुड़ गया है। काशीवासियों के साथ अब विदेशी भी इसके प्रचार-प्रसार का जिम्मा संभालेंगे। जी हां, बात गुलाबी मीनाकारी की हो रही है जिसकी अद्भुत कलाकारी ने विश्व के कला प्रेमियों को आकर्षित किया है।

loksabha election banner

हाल में अमेरिकन इंटरनेशनल स्कूल ने कला की बारीकियां सीखने 20 छात्रों का प्रतिनिधिमंडल काशी भेजा था। इन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से अलंकृत कुंजबिहारी सिंह सहित लोकेश कुमार सिंह, तरुण कुमार व कृष्ण कुमार ने 21 से 26 सितंबर तक गायघाट स्थित अपने आवास पर प्रशिक्षण दिया। इनमें अमेरिका, साउथ कोरिया, जापान, मोरक्को, सर्बिया व यूगोस्लोवाकिया के छात्र शामिल थे। उन्हें जीआई (भौगोलिक संकेतक) की भी जानकारी दी गई। सभी ने कई उत्पाद तैयार किए जिन्हें वे अपने साथ भी ले गए। छात्रों का कहना था कि कला को अपनी संस्कृति के अनुरूप विस्तार देकर विश्व में काशी का मान बढ़ाएंगे।

लुप्त हो रही कला को जीआई से मिली संजीवनी 

करीब पांच वर्ष पूर्व कुंजबिहारी सिंह सहित बचे हुए करीब 50 शिल्पियों ने पलायन का मन बना लिया था। मगर जीआइ पंजीयन के बाद न सिर्फ उनमें आस जगी बल्कि कारोबार भी बढ़ा। पलायन कर चुके शिल्पी दोबारा इससे जुड़ने लगे। रोजगार की आस में युवाओं ने भी इस ओर रुख किया। वर्तमान में 200 से अधिक कारीगर इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। यहां से तैयार उत्पाद यूरोप, अमेरिका संग खाड़ी देशों में निर्यात किए जाते हैं। इसका सालाना कारोबार लगभग दस करोड़ रुपये है।

निश्चित तापमान में चढ़ता है रंग 

पुराने बनारस के पक्के महाल, भैरवगली, आसभैरव, गायघाट की गलियों में कई पीढि़यों से यह काम होता आया है। कारीगर चांदी व सोने पर गुलाबी रंग की इनेमलिंग का कार्य एक निश्चित तापमान में पक्के रंगों के प्रयोग द्वारा करते हैं। यह कार्य सोने-चांदी के आभूषणों, सजावटी सामानों-मसलन हाथी, घोड़े, ऊंट, चिड़िया, मोर आदि पर किया जाता है। गुलाबी रंग चढ़ाने की विशेष तकनीक के कारण ही यहां का मीनाकारी विश्व में मशहूर है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.