भरत मिलाप मैदान में गूंजा नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की
भातृ प्रेम का गवाह बनने वाला नाटीइमली का भरत मिलाप मैदान नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के उद्घोष से गूंजा।
वाराणसी, जेएनएन। भातृ प्रेम का गवाह बनने वाला नाटीइमली का भरत मिलाप मैदान 'नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की' के उद्घोष से गूंजा। श्रीकाशी सत्संग सेवा समिति की ओर से आयोजित नौ दिनी श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन प्रसंगानुसार श्रीकृष्ण प्राकट्योत्सव की झांकी सजाई गई। लाल रंग की टोकरी में प्रभु की प्राकट्य लीला दर्शाई गई। साथ ही फूलों व गुब्बारों से सजा पंडाल जयघोष से गूंजा। पीत वस्त्रधारी महिलाओं और पुरुषों ने भी गुलाब की पंखुड़ियां बरसाई और बड़े ही भाव से डाडिया चटकाई। श्रद्धालुओं में माखन-मिश्री प्रसाद वितरित किया गया।
कथा व्यास पं. श्रीकांत शर्मा ने कहा कि अपमान से भी ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है, यह सीखना है तो ध्रुव चरित्र को अंतरात्मा में उतारना होगा। ध्रुव विश्वास का नाम है। यदि आपके अंदर ईश्वर में अटूट विश्वास है तो वे आपके पास अवश्य आएंगे। कोई व्यक्ति जब ईश्वर की सत्ता को हाथ में लेने का प्रयास करता है तो उसका सर्वनाश निश्चित है। बाल व्यास ने कहा कि इस दौर में सच्चे शिष्यों की कमी है, सद्गुरुओं की नहीं। स्वयं को शिष्य योग्य बनाने की जरूरत है। सद्गुरु तो सदा ही अच्छे शिष्यों की तलाश में रहते हैं। संस्कार वालों को ही संतों का आशीर्वाद भी मिलता है। मीरा की कथा का श्रवण कराते हुए बाल व्यास ने कहा कि संयोग तो सबको मिलता है, लेकिन वियोगी बनने का सौभाग्य बहुत कम लोगों को ही मिलता है, क्योंकि कोई वियोगी ही मीरा जैसी भक्ति कर अजर-अमर हो सकता है। इससे पहले मुख्य यजमान महावीर प्रसाद रूंगटा, उर्मिला रूंगटा, रामस्वरूप रूंगटा, श्याम सुंदर रूंगटा, नवीन रूंगटा ने सपत्नीक व्यास पीठ व पोथी की आरती उतारी। कमलेश बाजोरिया, अवधेश खेमका, गोपाल अग्रवाल, सुरेश तुलस्यान, मनीष गिनोडिया, राधे गोविंद केजरीवाल, अनुज डिडवानिया आदि ने स्वागत, महेश चौधरी ने संचालन व संयोजन कृष्ण कुमार काबरा ने किया।