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मंडुआडीह स्‍टेशन का नाम बनारस करने पर जनता दल यूनाइटेड ने उठाई आपत्ति, बताया प्राचीन संस्कृति संग छेड़छाड़

मंडुआडीह स्टेशन का नाम परिवर्तित कर बनारस रखे जाने पर केंद्र सरकार के निर्णय को युवा जनता दल यूनाइटेड उत्तर प्रदेश ने विरोध जताया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 18 Aug 2020 02:10 PM (IST)Updated: Tue, 18 Aug 2020 05:25 PM (IST)
मंडुआडीह स्‍टेशन का नाम बनारस करने पर जनता दल यूनाइटेड ने उठाई आपत्ति, बताया प्राचीन संस्कृति संग छेड़छाड़
मंडुआडीह स्‍टेशन का नाम बनारस करने पर जनता दल यूनाइटेड ने उठाई आपत्ति, बताया प्राचीन संस्कृति संग छेड़छाड़

वाराणसी, जेएनएन। मंडुआडीह स्टेशन का नाम परिवर्तित कर बनारस रखे जाने पर केंद्र सरकार के निर्णय को युवा जदयू ने अनुचित निर्णय बताया वाराणसी युवा जनता दल यूनाइटेड उत्तर प्रदेश के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता विकास चंद्र तिवारी ने गृह मंत्रालय द्वारा आदेशित मंडुवाडीह स्टेशन का नाम परिवर्तित कर बनारस स्टेशन रखे जाने पर अपनी आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि मांडव ऋषि के नाम पर स्थापित यह इलाका काफी बरसों से मंडुआडीह के नाम से जाना जाता है कुछ लोग जो इतिहास को ठीक से अध्ययन नहीं किए हैं जो आज की तारीख में केंद्र एवं प्रदेश सरकार में जनप्रतिनिधि एवं उच्च पदों पर आसीन है उन लोगों द्वारा माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी एवं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को गुमराह करके इस प्राचीन मंडुआडीह स्टेशन का नाम परिवर्तित करा कर बनारस रखवा ने में अपनी वाहवाही कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि सबकी सहमति एवं आपत्ति प्राप्त करने के बाद इस तरह के निर्णय होना चाहिए था। जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रवक्ता विकास चंद्र तिवारी ने कहा कि इसके पूर्व भी यूपीए की सरकार में मंडुआडीह स्टेशन का नाम बदलने के लिए एक निर्णय हुआ था जिस पर मैंने तत्कालीन जिलाधिकारी नितिन रमेश गोकर्ण के यहां अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। आज केंद्र एवं प्रदेश सरकार की सहमति से इस स्टेशन का नाम बदल कर प्राचीन संस्कृति के साथ छेड़छाड़ किया गया है तिवारी ने कहा कि बाहर से आने वाले यात्री जिनको वाराणसी स्टेशन उतरना है वह भूल से बनारस स्टेशन ही उतर जाएंगे ऐसे में बाहरी यात्रियों को कौन बताएगा कि वाराणसी स्टेशन इसके आगे अगर इसका नाम बदलना ही था तो किसी महापुरुष के नाम पर किए होते और साथ में मंडुआडीह भी रखे होते। वाराणसी के सांसद एवं  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से अनुरोध करते हुए अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा है कि अगर परिवर्तन ही करना है तो किसी महापुरुष  के नाम पर किया जाए वरना लोकतांत्रिक तरीके से हम लोग आंदोलन करेंगे।

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