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भारत-श्रीलंका मैत्री का प्रतीक जम्बूद्वीप बौद्ध मठ, बौद्ध अनुयायी स्थापित करते हैं बुद्ध मूर्ति

बुद्ध विहार के प्रभारी भिक्षु के सिरी सुमेध थेरो ने बताया कि देश विदेश के बौद्ध अनुयायियों के लिए भारत के बोध गया सारनाथ लुम्बनी व कुशीनगर चार बौद्ध तीर्थ स्थल पर अपने जीवन काल मे एक बार दर्शन पूजन करते है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 02:57 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 02:57 PM (IST)
सारनाथ में चीन, कंबोडिया, श्रीलंका सहित तमाम देशों के मंदिर मैत्री के प्रतीक के तौर पर मौजूद हैं।

वाराणसी, जेएनएन। भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्‍थली सारनाथ वैश्विक एकता का भी प्रतीक है। इसकी वजह से विश्‍व भर में विश्व शांति व सुख समृद्धि के लिए लोग यहां विभिन्‍न देश विदेश के लोगों के लिए एक मंच हो गया है। ऐसे में सारनाथ में विभिन्‍न देशों के मठ और मंदिरों में लोगों की आस्‍था भी खूब नजर आती है। सारनाथ में चीन, कंबोडिया, श्रीलंका सहित तमाम देशों के मंदिर मैत्री के प्रतीक के तौर पर मौजूद हैं। 

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विश्व शांति एंव सुख समृद्धि के लिए बौद्ध अनुयायी सारनाथ में श्रीलंका शैली में बने जम्बूद्वीप श्रीलंका बुद्ध विहार के मन्दिर में धर्म चक्र प्रवर्तन मुद्रा में धातु की बनी भगवान बुद्ध की प्रतिमाएं विधि विधान से स्थापित करते है। मन्दिर में बने आठ इंच चौड़ा व 10 इंच ऊंचे लकड़ी के बॉक्स में चार इंच चौड़ी व छह इंच ऊची भगवान बुद्ध की 178 प्रतिमाएं स्थापित की जा चुकी है। जिसमें श्रीलंका के प्रधानमंत्री महेंद्रा राजपक्षे 9 फरवरी 2020में बुद्ध की प्रतिमा स्थापित कर चुके हैं, ऐसे में मंदिर के प्रति आस्‍था खूब परवान चढ़ रही है। 

बुद्ध विहार के प्रभारी भिक्षु के सिरी सुमेध थेरो ने बताया कि देश विदेश के बौद्ध अनुयायियों के लिए भारत के बोध गया, सारनाथ, लुम्बनी, व कुशीनगर चार बौद्ध तीर्थ स्थल पर अपने जीवन काल मे एक बार दर्शन पूजन करते है। जिसके मद्देनजर मन्दिर में चारो तरफ लकड़ी के नक्काशीदार मन्दिर बनाये गए है। जिसमे देश विदेश से यहां आने वाले बौद्ध अनुयायी विश्व शांति व सुख समृद्धि के लिए भगवान बुद्ध की तपोस्थली पर आकर धर्म चक्र प्रवर्तन मुद्रा में प्रतिमाएं स्थापित कर रहे है । अब तक 178 बौद्ध अनुयायियों ने प्रतिमाएं बौद्ध परम्परानुसार पूजा पाठ के साथ स्थापित कर चुके है।जिसमे श्रीलंका के प्रधानमंत्री महेंद्रा राजपक्षे वर्ष 2020 में अपने भारत यात्रा के दौरान यहां पर भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित किये। यह मन्दिर भारत श्रीलंका मैत्री का अटूट छाप है।


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