Move to Jagran APP

जागरण विमर्श : 'दुष्कर्म की घटनाओं पर कैसे लगे लगाम' विषयक परिचर्चा में आए सुझाव और निदान

अपनी बात रखने के लिए सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय में मौजूद थे समाज शास्त्र विभाग महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के वरिष्ठ प्रो. रवि प्रकाश पांडेय।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 01:23 PM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 01:23 PM (IST)
जागरण विमर्श : 'दुष्कर्म की घटनाओं पर कैसे लगे लगाम' विषयक परिचर्चा में आए सुझाव और निदान
जागरण विमर्श : 'दुष्कर्म की घटनाओं पर कैसे लगे लगाम' विषयक परिचर्चा में आए सुझाव और निदान

वाराणसी, जेएनएन। समाज में स्त्रियों के खिलाफ हिंसा लंबे समय से हो रही है। इसे देखते हुए इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए देश में कड़े कानून बनाए गए हैं। इसके बावजूद दुष्कर्म की घटनाएं जारी हैं। इसके पीछे इंसाफ में अति विलंब होना मुख्य कारण है। त्वरित न्याय व संस्कारों के समन्वय से ही दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराधों पर लगाम संभव है। 

loksabha election banner

जागरण विमर्श में इस बार 'दुष्कर्म की घटनाओं पर कैसे लगे लगाम?'  पर अपनी बात रखने के लिए सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय में मौजूद थे समाज शास्त्र विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के वरिष्ठ प्रो. रवि प्रकाश पांडेय। उन्होंने कहा वर्ष 2012 में निर्भया कांड के बाद अब हैदराबाद की घटना ने लोगों को झकझोर दिया। यौन मनोरोगी मानसिकता वाले व्यक्तियों के चलते समाज में इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। इसके पीछे कई कारण हैं। सबसे प्रमुख कारण न्यायिक प्रक्रिया है। इंसाफ में देरी होने के कारण अपराधियों में कानून का भय खत्म होता जा रहा है। कड़े कानून होने के बावजूद लोगों को न्याय मिलने में इतनी देरी हो रही है। 16 दिसंबर 2012 में निर्भया गैंपरेप के आरोपियों को अब तक सजा नहीं मिल सकी है। इससे अपराधियों का मनोबल बढ़ रहा है। इस तरह के जघन्य अपराधों की सुनवाई एक माह के भीतर पूरी कर लेनी चाहिए ताकि अपराधियों को जल्द से जल्द सजा मिल सके। साथ ही समाजिक तिरस्कार किया जाए। ताकि यौन मनोरोगी मानसिकता वाले व्यक्तियों को सबक मिल सके। 

नैतिक मूल्यों का क्षरण 

दूसरा प्रमुख कारण नैतिक मूल्यों का क्षरण। नैतिक मूल्यों व संस्कारों की कमी समाज में तमाम विसंगितयों को जन्म दे रही है। ऐसे में भारतीय संस्कृति व संस्कारों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। 

अश्लील साइट्स पर लगे रोक 

वर्तमान दौर में स्मार्ट मोबाइल फोन प्राय: हर व्यक्ति के हाथ में है। वहीं कुछ वेबसाइटों पर तमाम अश्लील चित्र व वीडियो अपलोड हैं जो यौन मनोरोगियों में  उत्तेजना फैलाने का काम कर रहे हैं। ऐसी साइट्स को तत्काल प्रतिबंधित करने की जरूरत है। 

चैनलों पर भी मर्यादा जरूरी 

चैनलों पर स्त्रियों के प्रचार-प्रसार की सामग्री के रूप में पेश किया जा रहा है। इससे भी समाज में विकृति पैदा हो रही है। इलेक्ट्रानिक्स चैनलों में स्त्रियों की मर्यादा का ध्यान देना होगा।  

बदलना होगा दृष्टिकोण 

हैदराबाद कांड के मुख्य आरोपियों के एनकाउंटर होते ही कुछ मानवाधिकार संगठनों ने सवाल खड़े करने शुरू कर दिए, जबकि मानवाधिकार मानव के लिए बना हुआ है। इस तरह के दानवों के लिए नहीं।  ऐसे जघन्य अपराधियों के हिमायती होना समझ से परे है। यही नहीं कुछ राजनेता भी एनकाउंटर पर सवाल उठा रहे हैं। इसका फायदा सीधे-सीधे यौन मनोरोगी मानसिकता वाले अपराधियों को मिल रहा है। ऐसे में मानवाधिकार से जुड़े संगठनों को अपना दृष्टिकोण बदलने की जरूरत है। 

सेल्फ डिफेंस का प्रशिक्षण 

द ष्कर्म की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए अब बालिकाओं को सेल्फ डिफेंस का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसका दायरा और व्यापक करने की जरूरत है।  


मुख्य अतिथि का परिचय : प्रो. रवि प्रकाश पांडेय समाज शास्त्र विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के वरिष्ठ प्रोफेसर हैं। वर्तमान में आप समाज कल्याण संकाय के अध्यक्ष हैं। इससे पहले आप समाज शास्त्र विभाग के अध्यक्ष रहे। प्रो. पांडेय की अब तक 12 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें से छह पुस्तकें विद्यापीठ सहित अन्य विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित हैं। आपकी करीब 40 से अधिक शोध पत्र विभिन्न पत्रिकाओं व जर्नल में प्रकाशित हो चुकी हैं। 'द सोसाइटी' नामक समाज विज्ञान जर्नल के आप प्रधान संपादक भी हैं। आपके निर्देशन में 40 से अधिक विद्यार्थी पीएचडी व डीलिट कर चुके हैं। यूजीसी की दो वृहद परियोजनाएं भी आप पूर्ण कर चुके हैं। विभिन्न विश्वविद्यालयों की अकादमिक कमेटियों में सदस्य के रूप में आप योगदान दे रहे हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.