वाराणसी में आयोजित Jagran Forum में 'नया भारत : नया उत्तर प्रदेश' की तस्वीर पर मंथन
विकास को लेकर हर एक के पास आशाएं और परिभाषाएं भले जुदा-जुदा हों लेकिन गंगा की तरह ही इसकी धारा भी नयापन ले आती है।
वाराणसी, जेएनएन। विकास को लेकर हर एक के पास आशाएं और परिभाषाएं भले जुदा-जुदा हों लेकिन गंगा की तरह ही इसकी धारा भी नयापन ले आती है। खुशहाली के सोते फूटते हैैं और 'नया भारत : नया उत्तर प्रदेश' की तस्वीर उभर जाती है। कुछ इसी उम्मीद के साथ शनिवार को जागरण फोरम में सीएम योगी आदित्यनाथ और रेल मंत्री पीयूष गाेयल संग विकास की संभावनाओं पर मंथन किया गया। वहीं विभिन्न अगले सत्रों में विकास की संभावनाओं पर विशेषज्ञों संग संवाद किया गया।
काशी-प्रयागराज के परिप्रेक्ष्य में मिशन विकास के इस अहसास को महसूस करने का प्लेटफार्म दैनिक जागरण ने उपलब्ध कराया। इसके लिए शनिवार को नदेसर स्थित होटल ताज में जागरण फोरम का आयोजन किया गया। शनिवार को सुबह कार्यक्रम के पहले सत्र में मुख्यमंत्री याेगी आदित्यनाथ शामिल हुए और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का काशी-प्रयागराज के उद्योग पर प्रभाव सहित लिंक रोड्स को लेकर अपेक्षाओं पर विचार विमर्श का क्रम चला। इस दौरान कुंभ पर जागरण की विशेष प्रस्तुतियों को लेकर एक संकलन का भी अनावरण किया गया।
सीएम योगी अादित्यनाथ ने फोरम को संबोधित करते हुए कहा कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे से पूर्वांचल देश के प्रमुख महानगरों से कनेक्ट हो जाएगा। इससे विकास की गंगा पूर्वांचल तक आसानी से पहुंच सकेगी। आने वाले दिनों में विकास का यह सबसे बड़ा जरिया साबित होगा। शिक्षा के केंद्र महज टापू न बन जाएं इसके लिए हम लोग समाज और आम जन से इसे जोड़ने का काम करें। प्राथमिक शिक्षा पर कहा कि जितने भी बच्चे हैं उनको यूनिफार्म, बैग, स्वेटर आदि उपलब्ध कराया जा रहा है। नकल विहीन परीक्षा को लेकर कई बडे कदम सरकार उठा रही है।
इसमें धर्म व शिक्षा की दोनों ही विश्व प्रसिद्ध नगरियों से विभिन्न विधाओं के ख्यात विशेषज्ञ अलग-अलग विषयों पर मंथन करेंगे। इस खास फोरम का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सुबह 10 बजे उद्घाटन करेंगे। दोनों शहरों की विभूतियों से रूबरू होने के साथ ही विशिष्टजनों के साथ संवाद भी करेंगे। इसके साथ शुरू होगा देश-प्रदेश की दशा-दिशा पर मंथन का पांच सत्रीय दौर जो शाम चार बजे तक चलेगा। इसके बाद केंद्रीय रेल एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल बतौर मुख्य अतिथि इसका समापन करेंगे।
पैनल डिस्कशन के पांच सत्र
पहला सत्र : क्योंकि कनेक्टिविटी जरूरी है : पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का काशी-प्रयागराज के उद्योग पर प्रभाव, लिंक रोड्स को लेकर अपेक्षाएं।
दूसरा सत्र : काशी विश्वनाथ मंदिर विस्तार-सुंदरीकरण और संगम के संदर्भ में तीर्थस्थल विकास की संभावनाएं।
तीसरा सत्र : शिक्षा के दो बड़े केंद्रों की वर्तमान स्थिति, नकल पर जीरो टॉलरेंस की नीति।
चौथा सत्र : कितनी साफ हुईं गंगा।
पांचवां सत्र : साहित्य-संगीत की वर्तमान धारा व भविष्य।
विश्वनाथ कारिडोर आस्था विस्तार व पर्यटन विकास की आधारशिला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण कार्य को महादेव के चरणों में हृदय से अर्पित किया है। विश्वनाथ मंदिर-प्रयागराज तीर्थ विस्तार व सुंदरीकरण कार्य से आस्था के रूप में भगवान विष्णु व शिव की नगरी एकाकार हो रही है। कार्य की पूर्णता पर आध्यात्म के जीवंत रूप व अतीत के भव्य स्वरूप को एक साथ देख सकेंगे। गंगा से विश्वनाथ मंदिर तक परिपथ प्रशस्त होने पर आस्था का विस्तार होगा। कार्य की प्रगति भरोसा दे रही कि भावना व आस्था आहत नहीं होगी।
मिशन विकास काशी-प्रयागराज (नया भारत : नया उत्तर प्रदेश) फोरम में विशिष्टजनों की जिज्ञासाओं को शांत करते हुए पैनलिस्ट काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पूर्व अध्यक्ष हरिहर कृपालु त्रिपाठी, प्रख्यात ज्योतिषाचार्य प्रो. चंद्रमौली उपाध्याय, कला व इतिहासविद प्रो. मारुति नंदन तिवारी, इतिहासविद इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रो. डीपी दुबे ने पीएम नरेंद्र मोदी व सीएम योगी आदित्यनाथ की निगरानी में हो रहे कार्यों से काशी-प्रयागराजके अभूतपूर्व विकास की उम्मीद जताई। इसे आस्था विस्तार व पर्यटन विकास की आधारशिला बताई। मॉडरेटर साहित्यकार रामसुधार सिंह ने कारिडोर निर्माण को लेकर उठे विरोधी स्वरों को थोथा बताया। पर्यटन के संभावित नए आयामों को रेखांकित किया और दूसरे सत्र के विषय 'काशी विश्वनाथ मंदिर विस्तार-सुंदरीकरण और संगम के संदर्भ में तीर्थ स्थल विकास की संभावनाएं' की स्थापना की।
गोविंद शर्मा, एमपी सिंह व डा. जेएस दीक्षित ने सवाल किए। पैनलिस्ट हरिहर कृपालु त्रिपाठी ने कहा कि ज्ञान के अधिष्ठाता भगवान शिव हैं जिनकी काशी में समस्त विद्या का प्रदुर्भाव हुआ। मंदिर विस्तार के लिए दिए वचन को पीएम मोदी पूरा कर रहे। प्रो. चंद्रमौली उपाध्याय ने कहा कि रानी भवानी मंदिर नवीनीकरण व सात भवन अधिग्रहण से मंदिर विस्तार कार्य प्रारंभ हुआ। द्वादश ज्योतिर्लिंग के लिए वास्तु की जरूरत नहीं। चारों दिशाओं के दरवाजे से शिवलिंग पर पडऩे वाली सूर्य की किरणों से ऊर्जा बढ़ती है। प्रो. मारुति नंदन तिवारी ने कहा कि मंदिर विस्तार व प्रयागराज तीर्थ सुंदरीकरण से विश्व स्तर पर भावनात्मक जुड़ाव बढ़ेगा। अस्तित्व में आए 35 मंदिर अनेकता में एकता को प्रतिपादित करते हैं। प्रो. डीपी दुबे ने कहा कि काशी भगवान विष्णु का चरण है तो प्रयागराज मस्तक। प्राचीन काल से ही काशी व प्रयागराज का आध्यात्मिक जुड़ाव रहा है। तीर्थ विकास से इनकी दूरियां कम होंगी।
मूल्यों को प्रतिष्ठित करने वाली शिक्षा की जरूरत
वर्तमान शिक्षा व्यवस्था यूरोपियन संस्कृति को बढ़ावा दे रही है। डिग्री हासिल करना, कॅरियर की चिंता करना ही शिक्षा नहीं है। शिक्षा का उद्देश्य मानव को संस्कारित संग सामथ्र्यवान बनाना है। शिक्षा अपनों के लिए होनी चाहिए न कि अपने लिए। इसलिए अब जीवन मूल्यों को प्रतिष्ठित करने वाली वाली शिक्षा की जरूरत है।
जागरण फोरम के तीसरे सत्र 'शिक्षा के दो बड़े केंद्रों की वर्तमान स्थिति, नकल पर जीरो टॉलरेंस नीति' विषयक परिसंवाद का यह निष्कर्ष रहा। बीएचयू के पूर्व कुलपति, उच्च शिक्षा परिषद, यूपी के अध्यक्ष प्रो. जीसी त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षा वह है जो हमारे मस्तिष्क व हृदय को परिमार्जित करें। शिक्षा में संस्कृति व दर्शन की दृष्टि जरूरी है। संस्कृति व दर्शन को ध्यान में रखते हुए पं. मदन मोहन मालवीय ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की। वर्तमान में विचारयुक्त शिक्षा आंखों से ओझल हो गई है। इसे पुन: स्थापित करने की जरूरत है, जिसमें राष्ट्रवाद, समरसता, मनुष्यता की दृष्टि हो।
संस्कृत विद्या एवं धर्म विज्ञान संकाय के प्रो. गिरिजा शंकर शास्त्री ने कहा कि अध्ययन के साथ-साथ चरित्र का भी विकास होना चाहिए। नैतिकता के बूते ही नए भारत का निर्माण संभव है। प्राचीन काल से ही काशी विद्या का प्रमुख केंद्र रही है। भारत अध्ययन केंद्र, बीएचयू के चेयर प्रोफेसर डा. राकेश उपाध्याय कहा कि वर्तमान शिक्षा व्यवस्था के लिए कोई सरकार नहीं शासन की नीतियां जिम्मेदार है। हमें भारतीय संस्कृति पर आधारित शिक्षा व्यवस्था अपनाने की जरूरत है। कहा कि प्राचीन काल में गुरु-शिष्य की परंपरा रही है। काशी में यह परंपरा अब भी कायम है। निवेदिता शिक्षा सदन बालिका इंटर कालेज की प्रधानाचार्य डा. आनंद प्रभा सिंह ने कहा कि हम नकल विहीन परीक्षा का माहौल नहीं बना पा रहे हैं और परीक्षार्थियों के संग सख्ती किए जा रहे हैं। आत्मावलोकन की जरूरत है। कहा कृष्ण व सुदामा एक साथ पढ़े, ऐसी शिक्षा व्यवस्था बनाने की आवश्यकता है। सत्र का संचालन महाबोधि इंटर कालेज (सारनाथ) के प्रधानाचार्य डा. बेनी माधव ने किया। इस दौरान शिक्षाविदें ने पैनलिस्ट से प्रश्न पूछ कर अपनी जिज्ञासा को भी शांत किया।