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प्राथमिक से विश्वविद्यालय तक पहुंची जांच की आंच, राजकीय महाविद्यालयों के 51 शिक्षकों के अभिलेखों की पड़ताल

केजीबीवी की तथाकथित शिक्षिका अनामिका शुक्ला से शुरू हुई शिक्षकों की जांच की आंच अब वाराणसी के महाविद्यालय व विश्वविद्यालय तक पहुंच गई है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 24 Jul 2020 06:26 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jul 2020 07:21 PM (IST)
प्राथमिक से विश्वविद्यालय तक पहुंची जांच की आंच, राजकीय महाविद्यालयों के 51 शिक्षकों के अभिलेखों की पड़ताल

वाराणसी, जेएनएन। कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय (केजीबीवी) की तथाकथित शिक्षिका अनामिका शुक्ला से शुरू हुई शिक्षकों की जांच की आंच अब महाविद्यालय व विश्वविद्यालय तक पहुंच गई है। शासन के निर्देश पर गठित समिति ने जनपद के चारों राजकीय महाविद्यालयों के सभी 51 शिक्षकों के अभिलेखों की जांच कर चुका है। इस क्रम में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के सभी 48 अध्यापकों की जांच हो चुकी है। वहीं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के शिक्षकों की जांच अब तक पूरी नहीं हो सकी है। समिति अब तक 91 शिक्षकों के अभिलेखों का ही मिलान कर चुकी है। शेष 11 शिक्षकों के अभिलेखों का परीक्षण अब 27 जुलाई को होना है।

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जनपद के दो विश्वविद्यालय व चार राजकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों की जांच एसीएम (द्वितीय) जय प्रकाश की अध्यक्षता में गठित उप समिति कर रही है। इसमें विद्यापीठ के वित्त अधिकारी वित्त अधिकारी राधेश्याम, संस्कृत विवि के वित्त अधिकारी अमित कुमार श्रीवास्तव, व पं दीनदयाल उपाध्याय राजकीय महाविद्यालय (पलहीपट्टी) के वरिष्ठ प्रवक्ता अनंतव्रत पांडेय शामिल हैं। समिति ने अध्यापकों से शैक्षिक योग्यता, चयन प्रक्रिया सहित अन्य पत्रावलियां जमा कर चुकी है। वहीं दो अध्यापकों के चयन प्रक्रिया को समिति को समिति उलझी हुई है। सूबे के बाहर के अध्यापक होने के बावजूद नियुक्ति में उन्हेंं आरक्षण का लाभ मिला हुआ है। इसे देखते हुए समिति विश्वविद्यालय के अधिनियम-परिनियम का अध्ययन करने में जुटी हुई है ताकि आरक्षण के नियमों का पता लगाया जा सके। बहरहाल समिति के इस संबंध सदस्य कुछ बोलने को तैयार नहीं है। समिति के सदस्यों का कहना है कि समस्त शिक्षकों का हाईस्कूल, इंटर, स्नातक, स्नातकोत्तर से लगायत पीएचडी तक की उपाधियों का संबंधित शैक्षिक संस्थाओं से सत्यापन भी होना है। ऐसे में जांच समय लगना स्वभाविक है। वहीं डीएम के माध्यम से गोपनीय रिपोर्ट शासन को प्रेषित किया जाना है। दूसरी ओर अनुदानित महाविद्यालयों के शिक्षकों की जांच अब तक नहीं शुरू हो सकी। जांच की प्रक्रिया को लेकर शिक्षकों में रोष है। इसके चलते गतिरोध बना हुआ है। अनुदानित कॉलेजों के शिक्षकों की जांच दूसरी उप समिति कर रही है।

इन कॉलेजों के शिक्षकों की जांच पूरी

-राजकीय महिला महाविद्यालय (डीएलडब्ल्यू)

-राजकीय महाविद्यालय (जक्खिनी)

-पंं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय महाविद्यालय (पलहीपट्टी)

-राजकीय महिला महाविद्यालय (सेवापुरी)


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