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काशी में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शास्त्रार्थ, प्रकांड संस्कृत विद्वानों से हो रहा संपर्क

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय जुलाई में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शास्त्रार्थ प्रतियोगिता आयोजित करने का निर्णय लिया है। इसकी तैयारी अभी से शुरू कर दी गई है।

By Vandana SinghEdited By: Published: Wed, 22 May 2019 07:17 PM (IST)Updated: Thu, 23 May 2019 02:06 PM (IST)
काशी में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शास्त्रार्थ, प्रकांड संस्कृत विद्वानों से हो रहा संपर्क
काशी में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शास्त्रार्थ, प्रकांड संस्कृत विद्वानों से हो रहा संपर्क

वाराणसी, जेएनएन। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय जुलाई में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शास्त्रार्थ प्रतियोगिता आयोजित करने का निर्णय लिया है। इसकी तैयारी अभी से शुरू कर दी गई है। इस संबंध में नेपाल, भूटान, मारीशस, चीन सहित अन्य देशों से संपर्क किया जा रहा है। नेपाल, भूटान, मारीशस सहित कई देशों के संस्कृत विद्वानों ने सहमति भी दे दी है। काशी में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का पहला शास्त्रार्थ प्रतियोगिता का दावा किया जा रहा है।

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काशी में शास्त्रार्थ की परंपरा प्राचीन काल से ही रही है। वहीं संस्कृत विश्वविद्यालय में भी पहले शास्त्रार्थ प्रतियोगिताएं होती रहती थी। हाल के दशकों में विश्वविद्यालय में शास्त्रार्थ परंपरा की कड़ी टूट गई थी। कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल इस परंपरा को आगे बढ़ाने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। इस क्रम में हाल में ही विवि में शास्त्रार्थ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। अब जुलाई में बड़े पैमाने पर संस्कृत के प्रकांड विद्वानों को बुलाने की तैयारी है। इसमें देश-विदेश के प्रकांड संस्कृत विद्वानों के जुटने की संभावना जताई जा रही हैं।

क्या हैं शास्त्रार्थ

किसी भी गूढ़ विषयों पर दो या दो से अधिक विद्वान चर्चा-परिचर्चा करते हैं। उसे शास्त्रार्थ कहा जाता है। शास्त्रार्थ का अर्थ शास्त्रों के ज्ञान से है। शास्त्रार्थ की परंपरा देश में प्राचीन काल से ही चली आ रही है। वर्तमान में यह परंपरा धूमिल होती जा रही है। हालांकि नागपंचमी सहित विभिन्न अवसरों पर अब भी काशी में शास्त्रार्थ की परंपरा कायम है।

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