रार में उलझी नगर-जिला सरकार, विकास कार्य का हो रहा बंटाधार
शहर से गांव तक का विकास माननीयों की आपसी खींचतान में फंस गया है।
वाराणसी : शहर से गांव तक का विकास माननीयों की आपसी खींचतान में फंस गया है। नगर निगम मिनी सदन में अध्यक्ष, पार्षदों व अधिकारियों के आपसी विवाद के चलते शहर का विकास ठप पड़ गया है। बजट होने पर भी करोड़ों रुपये की प्रस्तावित योजनाएं मूर्तरूप नहीं ले पा रहीं हैं। कार्यालयों में योजनाओं की फाइलें धूल फांक रही हैं। नगर निगम मिनी सदन, जिला पंचायत व रामनगर पालिका परिषद बोर्ड की समय से बैठक नहीं हो रही है। यदि तिथि तय भी हो रही है तो बैठक हंगामे की भेंट चढ़ जा रही है।
-नगर निगम में कई चरणों में बवाल
चौकाघाट स्थित सांस्कृतिक संकुल में 23 मार्च को नगर निगम मिनी सदन की दूसरी बैठक में पार्षदों ने हंगामा करने के साथ सड़क पर प्रदर्शन किया था। पुलिस लाठीचार्ज के साथ कई लोगों के खिलाफ कैंट थाने में मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया था। भाजपा छोड़ सभी दल के पार्षद मुकदमा वापसी के बिना सदन चलाने को तैयार नहीं है। महापौर मृदुला जायसवाल ने गत दिनों नगर निगम में कांग्रेस पार्षद दल के नेता सीताराम केशरी, सपा पार्षद दल नेता कमल पटेल समेत अन्य पार्षदों संग मिनी सदन चलाने को लेकर बैठक की थी, लेकिन बात नहीं बनी। हालत यह है कि अभी तक कार्यकारिणी का गठन नहीं हो सका है, जबकि नियमानुसार हो जाना चाहिए। नगर निगम के अधिकारी भी अपने हिसाब से चल रहे हैं। वह खुद नहीं चाहते हैं कि सदन चले, क्योंकि सदन में उनकी कारगुजारियों की गूंज होनी तय है।
- विवादों में रहा जिला पंचायत भी
जिला पंचायत सदस्यों का चुनाव होने बाद से जब-जब सदन की बैठक बुलाई गई, तब-तब हंगामा हुआ। जिपं की बैठक में विकास से ज्यादा आरोप-प्रत्यारोप को सदस्यों ने मुद्दा बनाया। सपा कार्यकाल में अपराजिता सोनकर के जिला पंचायत अध्यक्ष चुने जाने के बाद से दूसरा गुट खींचातानी करता रहा। नई सरकार बनते ही अपराजिता सोनकर सपा छोड़ भाजपा में चली आई, लेकिन विवाद में कोई कमी हुई। अधिकारी, कर्मचारी, सदस्य विकास कार्य पर चर्चा से ज्यादा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप में ज्यादा रुचि दिखा रहे।
-नपा में किसी योजना पर मुहर नहीं
रामनगर नगरपालिका बोर्ड का गठन हुए सात माह बीत जाने के बाद भी विकास के नाम पर एक भी फाइल पर बोर्ड की मुहर नहीं लगा सकी है। छह जनवरी को बोर्ड की पहली बैठक में हंगामा होने पर अध्यक्ष ने स्थगित कर दी। 12 जनवरी को बुलाई बैठक में फिर वही हुआ जिसका अंदेशा था। सभासदों ने कार्यवाही रजिस्टर छीन लिया। हालांकि, बाद में वापस कर दिया। वहीं 30 जनवरी की बैठक विधानसभा के चलते स्थगित कर दी गई। नौ अप्रैल को बुलाई गई बैठक में पेयजल और नामांतरण पत्रावली को पास करने के साथ समिति के लिए नियमावली बनाने का निर्णय हुआ। 12 अप्रैल को पालिका के वित्तवर्ष 2018- 19 के बजट पर चर्चा हुई। 16 अप्रैल को हुई बैठक में आउटसोर्सिंग से कर्मियों को रखने के लिए ठेका देने का निर्णय हुआ। 21 मई की बैठक हंगामे से नहीं हुई। एक जून की बैठक में कोई निर्णय नहीं हुआ।